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मंगलवार, 3 जुलाई 2018

1082....तीसरी वर्षगाँठ के नजदीक हैं हम

सादर अभिवादन....
तीसरी वर्षगाँठ के नजदीक हैं हम
रथ-यात्रा का पर्व बस समझिए आ ही गया
कोई बादल नहीं...और बरसात भी नहीं
ऐसे में नेट काम न करे...

हिमांचल का रास्ता जिओ को शायद नहीं पता
चलिए चलें आज की पसंदीदा रचनाओँ की ओर....



हरी में नित मन जो विभोर है...
सन्नाटे में भी यहाँ शोर है 
राज कपटों का चहुँओर है 
हर दिल में बसते कई चोर हैं 
अच्छाई का तो बस ढोंग है 
मक़सद तो सबका भोग है 
हर साधु के मन में लोभ है 
नीयत में सबके खोट है 

मकां सा है ...मीना गुलियानी
आसमां आग ये उगलता है
सारा मंज़र धुआँ धुआँ सा है
तुमसे दुश्मनी क्या हुई
ख़ाक गुलिस्तां सा है

दरख्तों से कई लम्हे गिरेंगे ...दिगम्बर नासवा
किसी की याद के मटके भरेंगे
पुराने रास्तों पे जब चलेंगे

कभी मिल जाएं जो बचपन के साथी
गुज़रते वक़्त की बातें करेंगे

गए टूटी हवेली पर, यकीनन
दिवारों से कई किस्से झरेंगे

कौन हैं ये लोग ....रश्मि शर्मा
बेटियों ने बेटियों को बचाना चाहा 
अपने जैसी मासूमों को 
बताना चाहा, कि समझो 
तुम कोई सामान नहीं 
कि तस्करी की जाए तुम्हारी 
और एक दिन 
लुट-पिट कर, आबरू और 
बरसों की कमाई गवाँ 
ख़ाली हाथ लौट आओ 


ओ मनमीत.............   साधना वैद 
बोलो बनोगे ना तुम मेरे गुरू ?
बना लोगे ना तुम मुझे
अपना हमशक्ल 
अपना प्रतिरूप
कि कभी भी किसीको
तुम्हारी कमी ना अखरे !


मरते सपने....श्वेता सिन्हा
बीतती उम्र के खोल पर
खुशियों का रंग पोते
मैं अक्सर फड़फड़ाता हूँ
मुस्कुराता हूँ चहककर
अपने लिये तय दायरों में
थकाऊ,उबाऊ रास्तों पर
चलते-चलते सुस्ताता

आज यहीं तक
यहां से आगे भी है..

हम-क़दम 
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम छब्बीसवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
'मेघ-मल्हार'
...उदाहरण...
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार, अली री !
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार

चमक-चम-चम बिजुरीया चमके,
छमक-छम-छम पानी की बौछार, अली री
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार

कल-कल-कल-कल,संगीत नदी का,
सर-सर-सर-सर , करे आम की डार, अली री
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार

उपरोक्त विषय पर आप सबको अपने ढंग से 
पूरी कविता लिखने की आज़ादी है

आप अपनी रचना शनिवार 07 जुलाई 2018  
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक 09 जुलाई 2018  को प्रकाशित की जाएगी । 
रचनाएँ  पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के 
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें

आज्ञा दें
सादर
दिग्विजय ..
















14 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    आभार...
    चलिए ये तो याद है....
    बाकी क्यों याद नहीं रहता
    अच्छी फटा-फट प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. तीसरी वर्षगाँठ भी अच्छी रहने वाली है ... यात्रा टन ही चलती रहेगी ... आज जे लिंक्स भी वक से बढ़ कर एक ...
    आभार आज मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया प्रस्तुति, तीसरी वर्षगांठ के लिए हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. हास्य-व्यंग का पुट लिये संक्षिप्त प्रस्तावाना और बेहतरीन रचनाओं का प्रस्तुतिकरण करती सुन्दर प्रस्तुति. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
    तीसरी वर्षगांठ का आगामी उत्सव सचमुच हमें अभी से आल्हादित कर रहा है.

    जवाब देंहटाएं
  5. तीसरी वर्षगाँठ के उत्सव में जरूर शामिल होना है। प्रस्तुति बेहद नायाब है। रचनाकारों को बधाई। ये कारवां यूं ही चलता रहे।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. दो सप्ताह बचे हैं बस । इन्तजार रहेगा। शुभकामनाएं। सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति ।सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का यह संकलन ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार दिग्विजय जी !

    जवाब देंहटाएं
  10. वर्षगांठ सदैव खुशी,उल्लास,उमंग के साथ-साथ नयी आशाएँ अपने साथ लाता है सुंदर भविष्य की कामना के साथ। हमारी भी अशेष अनंत शुभकामनाएं हैं।
    बहुत सुंदर रचनाओं का अति सुंदर संयोजन सर।
    बहुत आभार मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए सर।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  11. वाह तीसरी वर्षगाँठ!!!खूब बधाई टीम हलचल को
    आदरणीय सर सुंदर संकलन
    सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक
    इन दिग्गजों के बीच हमारी साधारण सी रचना को भी स्थान मिला!! आश्चर्य भी है और हर्ष भी। बहुत बहुत धन्यवाद सादर नमन सुप्रभात 🙇

    जवाब देंहटाएं
  12. सुंदर सहज प्रवाह लिये प्रमुदित करती भुमिका
    शानदार रचनाओं का संकलन सभी रचनाकारों को बधाई ।
    वाह तीसरी वर्ष गांठ...
    गजल न जाने कब पांव पांव चली
    और अब देखों हवाओं के साथ साथ चली।
    सरगम सी फैली है सभी दिशाओं मे
    संग अपने कवि शायर और काव्यकार लेके चली।

    जवाब देंहटाएं

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