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मंगलवार, 26 जून 2018

1075,बचपन का भोलापन फिर से मिल जाए

जय मां हाटेशवरी....
जीवन में एक समय में एक लक्ष्य निर्धारित करो और
जिस काम को करने का संकल्प लो उसे पूरे
जी जान से करो बाकी उस समय अन्य सभी कामो को भूल जाओ
---स्वामी विवेकानन्द

अभिवादन आप का.....
पेश है आज के लिये मेरी पसंद....


तेरा साथ होने भर से
मैं जानता हूँ
ज़रूरतें कभी ख़त्म नहीं होतीं
फिर भी
मुझे ऐसा लगता है
कि तेरा साथ होने भर से
मुझे किसी की ज़रूरत नहीं रहेगी | ~


आप के इंतजार में ख्वाब ...
आसमां एक जमीं मिली कमोबेस सबको
आप हैं की ले नया राग बैठे हैं -
कोयल की मांग थी जमाने को
कंगूरो बाग में अब काग बैठे हैं -
ग्रंथ कहते हैं मानवता से बड़ा न कोई
ये सूत्र वाक्य भी त्याग बैठे हैं


जिंदगी
क्याssss \ जिंदगी पीछे मुड़कर बोली |
ईश्वर का शुक्रिया करने के लिए – उसने उत्तर दिया |
वर्तमान में जीने के लिए खुशनुमा पल छोड़कर बीती जिंदगी
मुस्कराहट के साथ मन के दरवाजे के पार निकल गई |


मुझसे बातें करती जाती है
उड़ती हूं बादलों में
रोम-रोम पुलकता है
स्‍नान करती है आत्‍मा
अपसृत धाराओं में
सितारों संग, बिखरी पड़ी है, शरद पूर्णिमा
आकाश में
चांदनी से नहायी पृथ्‍वी में
विभोर होती है मीरा गलियों में
कबीर एक तारा बजाते हैं


सामने दिखती ढलान
 स्वार्थ से वह घेरता है
अब नजर वह फेरता है
छल कपट का है अंधेरा
सामने दिखती ढलान


अंतराल
तारों को यूँ ही
आसमान
में रहने
दो अपनी जगह, दे सके रूह को
सुकूं ऐसा कोई ख़्वाब ओ
ख़्याल चाहिए।

पीहर
बाबुल का प्यार, माँ का दुलार
ममता की रोटी, आम का अचार
बहनों की बातें , शिकायतें हज़ार
चहल -पहल से भरा घरबार
कुल्फी की घंटी, बुढ़िया के बाल
बगीचे के झूले, बच्चो का प्यार
ढेरों खिलोने, पर नखरे हरबार
नाना के घर में इठलाते ये चार





वृद्ध वही जो पूर्ण तृप्त हो
और एक चक्र पूर्ण हो जायेगा. मानव का जीवन भी एक वृक्ष की भांति ही होता है,
शिशु रूप में जो कोमल है, युवा होकर वही कितने उत्तरदायित्व सम्भालता है.
अपने इर्द-गिर्द के वातावरण को विभिन्न रूपों से प्रभावित करता है.
उसके सम्पर्क में आने वाले अनेकों व्यक्तियों को चाहे वे परिवार के सदस्य हों
अथवा मित्र, या कार्यक्षेत्रके सहकर्मी सभी से विचारों और
भावनाओं का आदान-प्रदान करता है.

नव प्रवेश


रिश्ते कितने अजीब होते हैं....अभिलाषा चौहान
रिश्ते महकाएं जिन्दगी फूलों सी
रिश्ते कांटों सी चुभन भी देते हैं
रंग भरते हैं जिन्दगी में रिश्ते
बदरंग भी जिन्दगी को बना देते हैं।



आज बस इतना ही.....
अंत में आदरणीय दीदी के ब्लॉग से.....

ललक उठे है एक मन में मेरे
बचपन का भोलापन
फिर से मिल जाए
मीठे सपने, मीठी बातें,
था मीठा जीवन तबका
क्लेश-कलुष, बर्बरता का
न था कोई स्थान वहां
थे निर्मल, निर्लि‍प्त द्वंदों से,
छल का नामो निशां न था

अब बारी है
हम-कदम की.....
हम-क़दम 
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम पच्चीसवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
'मंजर'
उदाहरण.......
बड़ा भयावह
बड़ा दर्दनाक
होता है,
वह मंजर....
जब होता है कोई
अपना, बहुत अपना..
मानो दिल ही.... मृत्यु शय्या पर !
देखना उसे,
तड़पते हुए,
पल-पल, तिल-तिल..
क्षण-क्षण, जाते हुए
मृत्यु-मुख में....
बड़ा भयावह होता है
वह मंजर......!
अभिलाषा चौहान

उपरोक्त विषय पर आप सबको अपने ढंग से 
पूरी कविता लिखने की आज़ादी है

आप अपनी रचना शनिवार 30 जून 2018  
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं 
आगामी सोमवारीय अंक 02 जुलाई 2018  को प्रकाशित की जाएगी । 
रचनाएँ  पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के 
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें



धन्यवाद।



16 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
    बहुत ही बेहतरीन संयोजन
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. उत्तर
    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

      हटाएं
  3. सस्नेहाशीष संग शुभ प्रभात
    सुंदर संकलन

    जवाब देंहटाएं
  4. आपका तहेदिल से शुक्रिया सखी यशोदा जी , आप सभी का सानिध्य मेरे पथ को सदैव आलोकित करेगा
    आपकी प्रेरणा नित मुझे आगे बढने का मार्ग दिखाएगी। सादर 🙏 🙏 🙏 🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. धन्यवाद भाई कुलदीप जी सादर आभार 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  6. शानदार चयन, एक से एक प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. तेरा साथ होने भर से मजा आ गया जीवन का

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रभावशाली भूमिका के साथ सुंदर रचनाओं का गुलदस्ता..बहुत सुंदर संकलन।

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन चयन के लिए श्री कुलदीप जी का हार्दिक आभार। सुधि पाठकों के धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह बहुत ही बढ़िया रचनायें ....

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुंदर रचनाएँ
    उम्दा संकलन

    जवाब देंहटाएं

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