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रविवार, 24 जून 2018

1073....कतारें खूबसूरत सारी की सारी, बहुत सारी बस आज ऐसे ही बनानी हैं

सादर अभिवादन....
आज एक व्यंग्य पढ़ा गया हमारे द्वारा
क्या पता शायद सच हो....मुलाहिज़ा फ़रमाइए...
*दिग्विजय एक्सप्रेस आज फिर से आरएसएस स्टेशन पर अटक गयी।
*पंजाब के यात्रियों ने मनमोहन मेल के खिलाफ शिकायत दर्ज की । उनका कहना है कि ट्रेन चुपचाप स्टेशन से आ के चली जाती है सीटी तक नही बजाती उन्हें पता नही चलता ट्रेन छूट जाती है।
*केजरीवाल एक्सप्रेस मोदी सुपरफास्ट एक्सप्रेस को 
ओवरटेक करने में दुर्घटनाग्रस्त।
*यात्रियो द्वारा मोदी सुपरफास्ट का रुट गुजरात से बदल 
दिल्ली करने की माँग।
*आज राहुल टॉय ट्रेन कार्टून नेटवर्क जंक्शन से 
पोगो जंक्शन तक जायेगी।

आइए अब चलें रचनाओं की ओर...
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रिसता कोढ़... विभारानी श्रीवास्तव

"हाँ तभी तो जीर्णोद्धार के जंग खत्म होते-होते चुनाव आ गया... 
और खाने-कमाने के लिए मुझे वहाँ से निकाल फेका गया... 
बर्फ का सिल्ली है, सरकारी फंड... 
बीरबल ने अकबर को एक बार बतलाया था न।"


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योग बनाम योगा...हर्षवर्धन जोग

हमारे शर्मा जी ने तो टीवी के प्रोग्राम देख देख कर योगा सीख लिया. 
शर्मा जी कहते हैं,
- मैं तो बिस्तर में ही योगा कर लेता हूँ !
- वो कैसे ?
- सांस ही तो अंदर बाहर करनी है !
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आखिर कब तक..श्वेता सिन्हा

दुनियादारी से अब तक 
जिसकी पहचान नहीं
न उभार अंगों में,न पुष्ट सौष्ठव
दुबले तन पर लिबास का भान नहीं
जाने कैसे वासना जगाती है?
मासूमियत दरिंदे का आसान शिकार हो जाती है
पल-पल मरती वो पाँच साल की परी
नारी का प्रतिमान हो जाती है

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आराम...अशोक बमनिया

जीने के लिये ए हमसफर
अब तेरा साथ ही काफ़ी ना रहा
दरिया पास चला आया है
पर अब इसमे पानी ही काफ़ी ना रहा

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कोरा अनुबंध....पुरुषोत्तम सिन्हा

अनुबंधों से परे ये कैसा है बंधन!
हर पल इक बंधन में रहता है ये मन!
किन धागों से है बंधा ये बंधन!
दो साँसों का अनबूझ सा ये अनुबंध!


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परवरिश...डॉ. जेन्नी शबनम
कहीं पथरीली कहीं कँटीली  
यथार्थ की जमीन बंजर होती है  
जहाँ ख्वाहिशों के फूल उगाना  
न सहज होता है न सरल  
परन्तु फूल उगाना लाजिमी है  
और उसकी खूशबू का बसना भी,  
यही जीवन का नियम है  

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चांदनी की तरह....लोकेश नदीश

प्यार हमने किया जिंदगी की तरह
आप हरदम मिले अजनबी की तरह

मैं भी इन्सां हूँ, इन्सान हैं आप भी
फिर क्यों मिलते नहीं आदमी की तरह

मेरे सीने में भी इक धड़कता है दिल
प्यार यूँ न करें दिल्लगी की तरह

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उलूक टाईम्स में...डॉ. सुशील जी जोशी

यहाँ की रेत की 
बात यहीं तक रखनी है 
किसी को नहीं बतानी है 
बस हरी दूब लानी है 

बहुत जगह उगी है 
बहुत सारी उगी है 
हरी हरी दूब है 
पानी नहीं होने की 
बात ही बेमानी है 

लगता है कुछ और रचनाएँ जोड़ी जा सकती है
पर.....पर अब रहने ही दीजिए
और दे दीजिए आज्ञा
यशोदा
















9 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभातम् दी:),
    बहुत बढ़िया व्यंग्य है...👌👌
    एक से बढ़कर एक रचनाएँ है दी। बहुत सुंदर संकलन बन पड़ा है।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार दी।

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  2. *दिग्विजय एक्सप्रेस आज फिर से आरएसएस स्टेशन पर अटक गयी।
    *पंजाब के यात्रियों ने मनमोहन मेल के खिलाफ शिकायत दर्ज की । उनका कहना है कि ट्रेन चुपचाप स्टेशन से आ के चली जाती है सीटी तक नही बजाती उन्हें पता नही चलता ट्रेन छूट जाती है।
    *केजरीवाल एक्सप्रेस मोदी सुपरफास्ट एक्सप्रेस को
    ओवरटेक करने में दुर्घटनाग्रस्त।
    *यात्रियो द्वारा मोदी सुपरफास्ट का रुट गुजरात से बदल
    दिल्ली करने की माँग।
    *आज राहुल टॉय ट्रेन कार्टून नेटवर्क जंक्शन से
    पोगो जंक्शन तक जायेगी।

    ✔️😅 भूमिका लाज़बाब बोले तो मस्त

    सस्नेहाशीष संग शुक्रिया आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर सूत्र संयोजन। बढ़िया भूमिका। आभारी है 'उलूक' की कतार को आज की हलचल में जगह देने के लिये।

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  4. व्यंग की पटरी पर खूब चली ढुलमुल लो पथ गामिनी सुंदर आकर्षक भुमिका के साथ सुंदर रचनाओं का संकलन ।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. भूमिका लाजवाब मोहक चित्रण उस पर संकलन लाजवाब ...धन्यवाद 🙏

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  6. बहुत ही उम्दा संकलन
    बेहतरीन रचनाएँ
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय दीदी -- सादर प्रणाम | अत्यंत रोचक और हास्य रंग में रंगी भूमिका के साथ आज का बेहतरीन अंक बहुत अच्छा लगा |रचनाये अभी बहुत बेहतरीन और सार्थक है | सभी रचना कारों को सस्नेह बधाई और शुभकामनायें | आपके सफलसराहनीय प्रयास के लिए आपको भी सादर हार्दिक बधाई |

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  8. बहुत ही बढ़िया यशोदा जी वास्तव में आनंद ही आ गया। यह संसार आज के संसार से बिलकुल अलग है, यहां भावनाएं बोल रही हैं प्रणाम है आपको🙏🙏

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