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शुक्रवार, 22 जून 2018

1071..अभी ये दिख रहा है, आगे करो इंतजार, क्या और नजर आता है

फीफा विश्वकप फुटबॉल 
जादू सर चढ़कर बोल रहा है। 

फीफा विश्वकप का यह 21वाँ संस्करण है। 31 दिन चलने वाले इस खेल उत्सव में 32 टीमें प्रतिभागी हैं। विश्व के तमाम देशों के दल रंग-बिरंगी जर्सी पहने दर्शकों से खचाखच स्टेडियम में अपनी खेल प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन कर रहे हैंं।

यह एक ऐसा सर्वजन परिचित खेल जिससे बच्चा- बच्चा परिचित है ।
सवा सौ करोड़ आबादी वाले हमारे देश का इस विश्वस्तरीय प्रतियोगिता 
में प्रतिभागी  न होना निराशाजनक है। यह सही है संसाधनों की कमी तो सदैव रही है पर फिर भी क्रिकेट जैसे खेल के प्रति जो रुझान है वैसा किसी अन्य खेल के प्रति दृष्टिगत नहीं है। 

सादर नमस्कार
चलिए आज की रचनाओं की ओर
🔷💠🔷💠🔷

आदरणीय विश्वमोहन जी
अर्पण
मन उच्छल प्रिय हलचल पल पल,
तल विकल लहर ज्यों मचल मचल//
हिय गह्वर भर भाव भंवर,
आकुल नयन घन आर्द्र तरल//

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आदरणीय मनोज कायल जी
अजनबी हो गया हूँ अपने आप से
ख़ुदा जब से तुम्हें मान लिया
बदल गयी जिंदगानी मेरी
रूह ने मेरी लिबास जब से तेरा ओढ़ लिया
लिबास जब से तेरा ओढ़ लिया 


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आदरणीया डॉ.अपर्णा त्रिपाठी जी



कीमत नही चुका पाओगे, धरती मां के आंचल का
बस बातों से हरा न होगा, बंजर सीना जंगल का
पैसा छोड कुछ पुण्य कमाओ, पेडं लगा वीरानों में
करती हूँ आह्वाहन मै, बस पढे लिखे समझदारों से

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आदरणीय पंकज प्रियम् जी

कौन सुनता किसी का यहाँ पे

सब लगे हैं अपनी सुनाने में।

दुश्मनों से नहीं है कोई खतरा

अपने ही लगे हैं अब सताने में।

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आदरणीया मीना भारद्वाज जी

एक दिन
ताल किनारे
गुजरे कुछ पल
सांझ सकारे

विश्रांति पल
कुदरत के संग
देते उमंग
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आदरणीया डॉ.इन्दिरा जी
अधर लालिमा जबई  लगाऊं 
मन ही मन शरमा जाऊं 
अधर बैठ कान्हा  मुस्काये 
लाली नाय लगा पाऊ ! 
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उलूक के पन्ने की एक पुरानी कतरन
आदरणीय सुशील सर की कलम से


ईडियट 
‘उलूक’ को 
कहाँ कुछ 
समझ में 
आता है 

बहुत बार 
बहुत से 
झाडुओं 
की कहानी 

झाडू‌ 
लगाने वालों 
के मुँह से 
सुन चुका 
होना ही 
काफी 
नहीं होता है 


🔷💠🔷💠🔷

हमक़दम के नये विषय में जानने के लिए
🔷
आज के लिए इतना ही
आप सभी की बहुमूल्य सुझाव़ों की प्रतीक्षा में


13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया सखी,,
    फुटबाल भारत वाले इसलिए नहीं खेलते
    कि ये गेम आधे घण्टे में निपट जाता है
    इसी गेम का जादू बंगाल में देखिए
    हर शख़्श टीवी पर चिपका मिलेगा
    अच्छी रचनाएँ पढ़वाई..
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आज शुक्रवारीय सुन्दर हलचल में 'उलूक' की चार साल पुरानी एक कतरन को भी जगह देने के लिये आभार श्वेता जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. फीफा विश्व कप, समयानुरूप प्रस्तुति, सही है कि विश्व स्तर पर फुटबॉल मे हम जीरो है इतनी आबादी वाला देश एक टीम तक तैयार नही कर पाता है हमारी मानसिकता क्रिकेट तक कैद है, दुसरी और राज्य सरकारों का, और दूसरे खेलों की तरह फुटबॉल के प्रति उदासीनता, मंहगे कोच, समय की कमी और भी कई कारण हैं, यशोदा दी ने सही कहा कि पश्चिम बंगाल मे ये खेल बहुत दीवानगी और आदर के साथ खेला जाता है, कुछ सालों मे देश केहर हिस्से मे बच्चों मे भी रूझान बढ़ा है फुटबॉल के प्रति तो आने वाले कुछ सालो मे हम भी वहां खडे नजर आयें तो कोई आश्चर्य नही।
    सुंदर संकलन के साथ मनभावन प्रस्तुति, सभी रचनाकारों को बधाई।

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  4. वाह!!श्वेता ,बहुत खूबसूरत प्रस्तुति । सभी रचनाकारों को हार्दिक अभिनंदन ।

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  5. प्रिय श्वेता जी सर्व प्रथम मेरी रचना को स्थान देने का आभार संभाले ! फिर लिंकों की बात करें हर लेखन अति उत्तम है सुन्दर संकलन को नमन करें ! 🙏
    हाँ एक बात नई देखी क्रिकेट के बुखार के बीच फुटबाल की हल्की फुल्की खाँसी सा अहसास कुछ नव जाग्रति सा लगा आभार 😂😁😀

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  6. वाह!!फुटबॉल के सम्बंध जानकारी बहुत बढिया..
    रोचक लिंकों कि संकलन से आज की प्रस्तुति को और भी सुंदर बन पड़ी..सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत खूबसूरत संकलन । मेरी रचना को स्थान दे कर मान
    के लिए हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. प्रिय श्वेता -- फ़ीफ़ा फूटबाल कप के बारे में अखबार में रोज पढ़ रही हूँ | खेल बहुत अच्छा है पर ज्यादा लोकप्रिय नहीं है भारत में |अच्छी जानकारी दी आपने | और आज के अंक के मध्यम से प्रेमपूरित दिव्य रचनाएँ पढवाई आपने | हार्दिक बधाई | सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें | सस्नेह --

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  9. बेहतरीन प्रस्तुति करण उम्दा लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन प्रस्तुति, मेरी रचना लेने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतरीन प्रस्तुति, मेरी रचना लेने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. बेहतरीन प्रस्तुति, मेरी रचना लेने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं

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