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बुधवार, 16 मई 2018

1034..हम अपनी -अपनी हद लिखते हैं..

।प्रातः वंदन ।।
 विश्व परिवार दिवस  (१५मई ) की हार्दिक शुभकामनाएँ । वक्त की जरूरत के
 मुताबिक हम भले ही एकल परिवार की ओर बढ़ रहे हैं रहे हैं पर संयुक्त परिवार के
  खूबसूरती से इनकार नहीं किया जा सकता जहां पीढ़ियों के बीच सामंजस्य बनाने में
 कई पड़ावों से गुजरना पड़ता है क्योंकि परिवार ही पूंजी है.. इसलिए चलो..

 अब हम अपनी -अपनी हद लिखते हैं
रिश्तों को महफूज रखतें हैं

इन्हीं खूबसूरत विचारों  के साथ अब हम लिंकों  पर गौर फ़रमाते हैं..✍
🔴




आदरणीया रेणु व्यास जी की रचना..
कल रात एक सांवली सी लड़की बहुत याद आई 

मैं चुपके से फिर एक बार अपने बचपन में लौट आयी. . 
मिली मुझे एक बार फिर  वो मासूम सी परी 
थोड़ी शरारती , थोड़ी नादान , पर बातों की खरी 
बुनती थी सुन्दर सपने , रहती खयालों में घिरी..

🔴

ब्लॉग लालित्यम्  से
 कहाँ शक्कर और कहाँ गुड़ ! 
एक रिफ़ाइंड, सुन्दर, खिलखिलाकर बिखर-बिखर जाती, नवयौवना , देखने में ही संभ्रान्त,
 सजीली शक्कर और कहाँ गाँठ-गठीला, पुटलिया सा भेली बना गँवार अक्खड़  ठस जैसा गुड़?
पर क्या किया जाय पहले
 उन्हीं बुढ़ऊ को याद करते हैं लोग.
 इस चिपकू बूढ़-पुरान के चक्कर में, चंचला ..

🔴




ब्लॉग उलूक टाइम्स से..

होता है 
एक नहीं 
कई बार 
होता है 

कुछ पर 
लिखने 
के लिये 
कुछ भी 
नहीं होता है 
तो मत लिख 
लिखने की 
बीमारी का 
इलाज सुना..

🔴




आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी की कलम से..।
समाचार आया है-
"इज़राइली राजकीय भोज में जापानी प्रधानमंत्री को 
जूते में परोसी मिठाई!" 
ग़ज़ब है जूते को  
टेबल पर सजाने की ढिठाई !!
दम्भ और आक्रामकता में डूबा 
एक अहंकारी देश 

🔴

ब्लॉग कबीरा खडा़ बाज़ार में से ..
नमस् से बना है नमाज़ जबकि वन्दे का भी वही अर्थ है जो नमस् का है। लेकिन वन्दे -मातरम कहने से हमारे माशूक को परहेज़ है ..

🔴

और अंतिम कड़ी में पढे आदरणीया अपर्णा वाजपेयी की रचना..



मैंने देखा है,
कई बार देखा है,
उम्र को छला जाते हुए,
बुझते हुए चराग में रौशनी बढ़ते हुए,
बूढ़ी आँखों में बचपन को उगते हुए
मैंने देखा है...
कई बार देखा है,
मैंने देखा है 
बूँद को बादल बनते हुए,
गाते हुए लोरी बच्चे को..
🔴
हम-क़दम के उन्नीसवें क़दम
का विषय...
...........यहाँ देखिए...........


🔴

।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह..✍






17 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सखी
    संयुक्त परिवार की तरफदारी काबिले तारीफ़ है
    रचनाएँ सही व सटीक है
    साधुवाद
    विश्व परिवार दिवस की शुभकामनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभातम् पम्मी जी,
    शहरी संस्कृति और आधुनिकता के बोझ से दबकर संयुक्त परिवार का अस्तित्व खतरे में हैं। सहूलियत के हिसाब से जीवन जीने की चाह में
    एकल होते परिवार का वजूद आने वाली पीढियों पर भी खासा असर डालेगी।
    बहुत सुंदर सारगर्भित भूमिका पम्मी जी और बढ़िया रचनाओं का शानदार संकलन है आज के अंक में।

    जवाब देंहटाएं
  3. Thank you Pammi Ji for including my poem, it is an honour ma'am. I loved the others poems too, an excellent collection.

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर प्रस्तुति,
    विश्व परिवार दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।
    संयुक्त परिसर आकाश कुसुम सा लुभाता तो है पर हाथ नही आता ।
    एकल नैतृत्रव के बिना ये संभव नही और आज के दौर मे सभी अपनी निर्णय क्षमता को सर्वोत्तम मानते हैं। सभी रचनाकारों को बधाई।

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  5. सयुंक्त परिवार में आँख खोली
    एकल परिवार या यूँ कहें तन्हाई में आँख बंद होगी
    बहुत कसक संग ले चल रही हूँ
    उम्दा प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर सूत्रो से सजी आज की हलचल के बीच में 'उलूक' की बकबक। आभार पम्मी जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. संयुक्त परिवार की नीव दिन ब दिन खोखली होती जा रही है. आगे आनेवाली पीढ़ियों पर इसका दूरगामी प्रभाव पड़ेगा.

    सुंदर प्रस्तुति . सभी रचनाकारों को बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  8. सयुंक्त परिवार हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है लेकिन अब बहुत कम ऐसे परिवार बचे हैं।
    आज एकल परिवार का चलन बढ़ गया है।

    खैर

    आज की हलचल में सभी रचनाएं चुनिदा रही।

    जवाब देंहटाएं
  9. अति सुन्दर और सबकी जरूरत ...संयुक्त परिवार
    पम्मी जी सहज भाव से समाकलित किया ये संकलन हास्य और ज्ञान दोनों दे गया ..अति आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. सभी को विश्व परिवार दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ..खुशनसीब हूँ कि हम सब साथ साथ रहते हैं ....।
    बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  12. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा ल़िक संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  13. विश्व परिवार दिवस पर आदरणीया पम्मी जी की ओर से गंभीर चर्चा आरंभ की गयी जिसे टिप्पणीकारों ने आगे बढ़ाया. विचारणीय सूत्रों का चयन. सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
    त्याग और प्रेम जीवन में सिकुड़ता गया और व्यक्ति व्यक्तिगत विकास की ओर उन्मुख हुआ तो परिवार का विघटन आरंभ हुआ जिससे स्वच्छंदता को बढ़ावा मिला जो नयी पीढी की आवश्यक मांग है.
    आज तो न्यूक्लीयर फैमिली चर्चा में है.

    जवाब देंहटाएं
  14. संयुक्त परिवार व्यवस्था को वापस चलन में लाना चाहिए। संयुक्त परिवारों के टूटने से संस्कारों व नैतिक मूल्यों का ह्रास हुआ है। विचारणीय प्रस्तुति।चयनित रचनाकारों को बधाई !

    जवाब देंहटाएं

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