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शुक्रवार, 11 मई 2018

1029.....बामुलाहिजा होशियार...जिन्ना का जिन्न

राजनेताओं के आरोप-प्रत्यारोप  की राजनीतिक से बेमतलब की बयानबाजी और बहस, 
चुनाव का चढ़ता पारा, जनता की मौसम के अनुरुप पानी-बिजली की गंभीर समस्या, 
विदेश में जूते पर हुआ बवाल, जैसे और भी अनेकोंनेक मुद्दों को पीछे छोड़ते हुई 
शीर्ष पर सिंहासनारूढ़ है अजब रुप-रंग से भरी गीष्म ऋतु।
कहीं आँधी-तूफान,कहीं बर्फबारी और कहीं
धूप के बढ़ते गुस्से से घबराये हुये पेड़ दिन चढ़ते ही छाँव की तलाश में मुरझाये से लगने लगते हैं, 
जानवर छटपटाये नालियों के आस-पास, पेड़ों से सटकर निश्चल, निढ़ाल पड़े रहते हैं, 
पसीने की बाढ़ से परेशान,असह्य गरम हवाओं से भयातुर दफ्तर के कर्मचारी, बॉस, 
या घर पर गृहिणी हो या बच्चे सब अपनी सुविधानुसार पंखे,कूलर या ए.सी में जरा-सा 
सुकून की आस में सुबह से लेकर रात तक परेशान हैं।

प्रकृति की इस विषमताओं से भरे अनूठे रुप में व्यापक संदेश छुपा कि आप भी अपने जीवन के 
हर उतार-चढ़ाव और बदलाव को सहज ले तभी जीना आसान होगा।

||सादर नमस्कार||

चलिए अब हम चलते है आपके सृजन के संसार में-
💠🔴💠
सबसे पहले पढ़िये हमक़दम के विषय पर आदरणीय यशोदा जी का अद्भुत सृजन

रात देखा था 
इक ख़्वाब सा
किया था हमने
इज़हार प्यार का
कर रहा हूँ इन्तेज़ार
तेरे इकरार का

🌸🌸🌸🌸🌸🌸

आदरणीय विश्वमोहन जी
की निष्पक्ष लेखनी से सृजित बेहद सारगर्भित,वैचारिकता से ओत-प्रोत
 समसामयिक सुंदर,संदेशात्मक लेख


ऐसा न हो कि संपेरो के देश का संपेरा अपनी बीन भूल जाए और सांप की फुफकार 
पर स्वयं नाचने लगे. अलादीन का चिराग यहाँ के लिए एक आयातित चिराग है 
जिसका इस्तेमाल कुछ ख़ास किसिम के फिरकापरस्त खास खास समयों में 
अपनी रोटी सेंकने के लिए करते हैं. समय आते ही चिराग रगड़ देते है

🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸


एक पुत्री के मन के कोमल भाव अपने पिता के प्रति अप्रतिम स्नेह उकेरती 
आदरणीय पुरुषोत्तम जी की हृदयस्पर्शी,भावुक रचना


बरखा बहार मैं, थी मेघा मल्हार मैं,
हर बार पाई तेरा दुलार मैं,
अब जाऊंगी कहाँ उस पार मैं,
न अलविदा तेरे मन से है होना मुझे,
विदाई का उपहार, यही देना मुझे!


🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸


सदैव अपनी लेखनी से संदेशात्मक और सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करने वाली सुंदर लेखनी से पढ़िये
आदरणीया कुसुम जी की बहुत सुंदर रचना



अतृप्त सा मन कस्तुरी मृग सा
भटकता खोजता अलब्ध सा
तिमिराछन्न परिवेश मे मूढ मना सा
स्वर्णिम विहान की किरण ढूंढता
छोड घटित अघटित खोजता ।
जीवन पल पल एक परीक्षा...



🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸



भावपूर्ण हृदय की एक संवेदनशील अभिव्यक्ति आदरणीय रंगराज सर
की कलम से पल्लवित सुंदर रचना
ना बँट पाएँगे ना ही झर पाएँगे,
सुख दुख भी मन में सिमट जाएँगे
कितना सँभालोगी सुख दुख का ये बोझ तुम,
इक दिन तुमको लेकर ये ढल जाएगी,
 🌸🌸🌸🌸🌸🌸


और चलते-चलते आदरणीय लोकेश जी की लिखी शानदार और लाज़वाब गज़ल


उमड़ पड़ा है ये तूफ़ान देखकर तुमको
मुद्दतों से जिसे इस दिल में दबाये रक्खा

रही बिखेरती ख़ुश्बू नदीश की ग़ज़लें
एक-एक हर्फ़ ने अहसास बनाये रक्खा
🌸🌸🌸🌸🌸

हमक़दम के विषय के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ देंखें
हम-क़दम के अट्ठाहरवें क़दम
का विषय...
...........यहाँ देखिए...........


आपके द्वारा सृजित रचनाओं का संसार आपको.कैसा लगा कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें।

आपके सुझावों की प्रतीक्षा में




16 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी रचना को सम्मान देने हेतु आभार। सुप्रभात।

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  2. शुभ प्रभात सखी
    बढ़या प्रस्तुति
    गहन विचारों के साथ
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात प्रिय श्वेता ...सुन्दर लेखन का संसार हर लेखन मैं बात है ....बात बात में सार ...🙏....

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  4. शभ प्रभात सूंदर रचनाओं का संकलन अभी रचनाकारों को शुभकामनाये

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  5. प्रभावी शुरूवात विसंगतियों और मौसम का सही आंकलन करती सुंदर प्रस्तुति।
    मेरी रचना को मान देने का बहुत सा आभार और उस पर स्नेह सिक्त टिप्पणी अभिभूत कर गई। कुछ रचनाऐं पढी हुई है कुछ को पढने की उत्सुकता लिये सस्नेह..

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  6. बेहतरीन संकलन
    सभी रचनाएँ उम्दा
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार

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  7. सुन्दर हलचल,
    बढ़िया पोस्ट

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  8. भूमिका बहुत बढ़ियाँ
    उम्दा लिंक्स चयन

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  9. सुप्रभात
    प्रभावपूर्ण भूमिका के साथ सुंंदर लिंको का चयन..
    धन्यवाद।

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  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति श्वेता जी .

    जवाब देंहटाएं
  11. "प्रकृति की इस विषमताओं से भरे अनूठे रुप में व्यापक संदेश छुपा कि आप भी अपने जीवन के
    हर उतार-चढ़ाव और बदलाव को सहज ले तभी जीना आसान होगा।"......जीवन के अमृत सन्देश की पृष्ठभूमि में सजा सुन्दर अंक आज का. हमारे सहित सभी रचनाकारों को बधाई !!!!

    जवाब देंहटाएं
  12. एक संदेशात्मक भूमिका के साथ बहुत ही उम्दा प्रस्तुति श्वेता ....सभी लिंक बेहद खूबसूरत ।

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  13. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।

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  14. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

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  15. प्रिय श्वेता --- आज के लिंक में भूमिका में ही आपका चिंतन पढ़कर मुझे विवशता में ये बात कहनी पड़ रही है कि बहन हम नाचीज़ इंसानों का ना तो राजनीति और ना मौसम पर कोई भी बस है | मौसम भी अपनी चाल चलता है और राजनीति का बेढब मौसम तो कब रंफ पलट ले उसका कुछ कहना नही | शायद यही स्बी अनिश्चितता भांप कर गोस्वामी जी ने बहुत पहले ही अनमोल पंक्तियाँ रच दी थी --- जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये --- बिजली वाले बिजली की कटौती करेंगे तो उनका कोई क्या बिगाड़ सकता है और राजनीतिक हलचल तो बस बैठकर देखने की ही चीज है | आज के अंक का शीर्षक आदरणीय विश्वमोहन जी अत्यंत संवेदनशील और और विचारोत्तेजक रचना के शीर्षक से लिया गया -- जो की बहुत अर्थपूर्ण है | विश्वमोहन जी कम लिखते हैं पर बहुत ही लाजवाब लिखते हैं | उन्होंने बहुत ही सारगर्भित लिख एक ऐसे विवाद से ग्रस्त समाज और राष्ट्र को आईना दिखाया है जो नितांत बेतुका है | अपनी प्रभावशाली शैली में उन्होंने बहुत ही ठोस चितन के जरिये अपनी बात रखी है | आदरणीय अयंगर जी भी बहुत सशक्त हस्ताक्षर हैं हिदी के |गद्य और पद्य - दोनों में लाजवाब लिखते है | उनकी रचना बहुत ही प्रभावी लगी मुझे
    | उन्हें मेरी हार्दिक शुभकामनायें | आदरणीय बहन यशोदा जी ने भी कमाल लेखनी चलाई है उर्दू रचना में | अनंत शुभकामनायें मेरी | प्रिय बहन कुसुम जी की लेखनी से अनमोल रचना बहुत ही प्रभावी है | आदरणीय पुरुषोत्तम जी ने बेटी के मन की अतल गहराइयों से उमड़े भाव पढ़ अत्यंत सुंदर और अविस्मरनीय सृजन रचा जो शायद हर किसी के बस की बात नहीं | आदरणीय लोकेश जी अपनी हर रचना में नया ला हैरान कर देते हैं | इन सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनायें | और आप को हार्दिक बधाई और मेरा प्यार इस रोचक अंक के लिए ||
    ..

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