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रविवार, 18 फ़रवरी 2018

947...एक ही ब्लॉग से.....मन के पाँखी

सोलह फरवरी को 
अपने जीवन के दूसरे वर्ष मे कदम रखा है
अशेष शुभकामनाएँ श्वेता जी को
सादर अभिवादन स्वीकारें....
आज प्रस्तुत है
मन के पंखों की परवाज़
श्वेता जी के शब्दों में
सालभर बीत गये कैसे...पता ही नहीं चला।
हाँ, आज ही के दिन १६ फरवरी २०१७ को पहली बार ब्लॉग पर 
लिखना शुरु किये थे। कुछ पता नहीं था ब्लॉग के बारे में। 
आदरणीय पुरुषोत्तम जी की रचनाएँ पढ़ते हुये समझ आया 
कि साहित्य जगत के असली मोती तो ब्लॉग जगत में 
महासागर में छुपे हैं। हिम्मत जुटाकर  फिर अपने 
मोबाईल-फोन के माध्यम से ही एक एकाउंट बना लिये हम भी 
" मन के पाखी "
चलिए समय ज़ाया न करते हुए
ज़ायजा लेते है..

" मन के पाखी "
ऐ दिल,चल तू संग मेरे
मेरे ख्यालों के हसीन
दुनिया में...
जहाँ हूँ मैं और तुम हो
उस हसीन दुनिया मे

" मन के पाखी "
घोलकर तेरे एहसास जेहन की वादियों में,
मुस्कुराती हूँ तेरे नाम के गुलाब खिलने पर।

तेरा ख्याल धड़कनों की ताल पर गूँजता है,
गुनगुनाते हो साँसों में जीवन रागिनी बनकर।

" मन के पाखी "
गुनगुना रही है हवा तुम्हारी तरह
मुस्कुरा रहे है गुलाब तुम्हारी तरह

ढल रही शाम छू रही हवाएँ तन
जगा रही है तमन्ना तुम्हारी तरह

" मन के पाखी "
जिंदगी तेरे राह में हर रंग का नज़ारा मिला
कभी खुशी तो कभी गम बहुत सारा मिला

जो गुजरा लम्हा खुशी की पनाह से होकर
बहुत ढ़ूँढ़ा वो पल फिर न कभी दोबारा मिला

तय करना है मंजिल सफर में चलते रहना है
वो खुशनसीब रहे जिन्हें हमसफर प्यारा मिला

" मन के पाखी "
जीवन सिंधु की स्वाति बूँद
तुम चिरजीवी मैं क्षणभंगुर,
इस देह से परे मन बंधन में
मादक कुसुमित तेरा साथ प्रिय।

" मन के पाखी "
हाँ,मैं ख़्वाब लिखती हूँ
अंतर्मन के परतों में दबे
भावों की तुलिका के
नोकों से रंग बिखेरकर
शब्द देकर 
मन के छिपे उद्गगार को
मैं स्वप्नों के महीन जाल
लिखती हूँ।

" मन के पाखी "
न ही तम में न मैं घन में
न मिलूँ मौसम के रंग में
पाषाण मोम बन के बहे
वो मीत कोमल मन हूँ मैं

उपरोक्त सात रचनाओं में
साल समेटने की कोशिश की है मैनें

दिन पर दिन निखरती कलम..
वो कलम जो मन से लिखे
वो कलम हमारे पास नही है
उन्हीं की कलम से समापन भी
"जो छू ना पाये हिय तेरा
वो गीत बनकर क्या करूँ"
...........
अथ प्रारम्भ....
दिग्विजय

19 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात्
    आदरणीय सर।
    मन भावुक हो गया है आज इतना मान पाकर धन्यवाद,शुक्रिया आभार जैसे हर शब्द कम है कहने को बस इतना ही कहना है कृपया आप और दी अपना नेह बनाये रखिएगा हमपर सदैव।
    हृदयतल से आभारी हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  2. ओएएहोए...इतना प्यारा उपहार
    सालगिरह का
    ब्लॉग मन के पाँखी को
    इस तरह भी दिया जा सकता है
    हम सोच भी नहीं सकते थे
    आपने कर दिखाया
    वाह..लेखन कह रहा है
    हम सुधर रहे हैं
    सादर

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  3. वाहः
    हार्दिक बधाई के संग असीम शुभकामनाएं द्वितीय जन्मदिन ब्लॉग की पर
    लेखनी सदा ऊर्जावान रहे

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय श्वेता जी की प्रतिभासम्पन्न लेखन से हम सभी प्रभावित हैं। परन्तु मुझे अपनी प्रेरणा स्रोत बताकर उन्होने शालीनता का परिचय भी दिया है।

    वस्तुतः उनकी रचनाओं में इक ताजगी और अलग ही तरह की बानगी है, जो बरबस ही मंत्रमुग्ध कर जाती है।

    हम उनके दिनानुदिन कुशल/प्रभावी रचनाओं सहित सुखद भविष्य की कामना करते हैं।

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  5. वाह!!हार्दिक बधाई श्वेता .और ढेरों शुभकामनाएं ..दिनों दिन आपका यश बढता रहे ...।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। श्वेता जी के लिये शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  7. इस तरह की बधाई तो बनती है
    बहुत सुंदर प्रस्तुति भाई जी
    स्वेता जी को शुभकामनाएं
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही लाजवाब प्रस्तुतिकरण....
    श्वेता जी को बधाई एवं ढ़ेर सारी शुभकामनाएं...

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  9. बहुत ही सुंदर,,,हार्दिक शुभकामनाएं जी

    जवाब देंहटाएं
  10. श्वेता जी को बधाई एवं ढ़ेर सारी शुभकामनाएं...
    लाजवाब प्रस्तुतिकरण।

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  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  12. आदरणीय दिग्विजय जी -- प्रिय श्वेता बहन के रचना संसार को इतना बेहतरीन सलाम कौन दे पाता जो आपने दिया? इस भावपूर्ण सराहनीय प्रस्तुती के लिए आपको बधाई देती हूँ | आज सुबह अखबार उठाया तो श्वेता बहन की ब्लॉग पर सबसे लोकप्रिय रचना को साप्ताहिक पृष्ठ पर पाकर मन आह्लादित हो उठा | हार्दिक बधाई मेरी |
    धीरे - धीरे विस्तार पाता बहन श्वेता का लेखन भावनाओं के शिखर छु रहा है | अच्छी रचनाकार होने के साथ अच्छी, सजग पाठिका और शालीनता भरा व्यवहार बहुत प्रभावित करता है | मैंने जब अपना ब्लॉग शुरू किया तो इस पर पहली टिपण्णी श्वेता जी ने ही लिखी थी जो मेरे लिए अविस्मरनीय है | उनकी रचनात्मकता को नमन करते हुए मैं अपनी शुभकामनाएं देती हूँ और कुछ शब्द उनके नाम --

    मन के पाखी उड़ रहे साहित्य के आकाश में
    नित ऊँची उड़ान भर रहे भर उल्लास में ,
    ये यादों की कतरने हैं -- सपनों की सिलवटे हैं
    -कोमल एहसास लिपटे हैं रेशमी लिबास में !!-
    -महकती तन्हाई है -- मन को मुग्ध करती आई है -
    ये मधुर गान स्नेह के - सब डूबे मिठास में !!!!!!!!

    श्वेता बहन हार्दिक बधाई और शुभकामनायें इस शुभ औरविशेष अवसर पर |

    जवाब देंहटाएं
  13. आदरणीय दिग्विजय जी, सार्थक प्रस्तुति ।प्रिय श्वेता जी की कुछ चुनिंदा रचनाओं को एकसाथ पढ़ने का सौभाग्य मिला ।इनकी प्रतिभा यूँ ही परवान चढ़ती रहे, इसके लिए अनेकानेक शुभकामनाएँ हैं।

    जवाब देंहटाएं
  14. आदरनीया श्वेता सिन्हा जी का ब्लॉग मन के पाखी लोकप्रिय ब्लॉग है।
    श्वेता जी की रचनाएं निसंदेह पाठक को प्रभावित करती हैं। श्वेता जी को बधाई एवं शुभकामनाएं।
    आदरणीया यशोदा बहन जी की सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  15. आदरणीय श्वेताजी, आपकी रचनाएँ बहुत ही सुंदर होती हैं पढ़कर आनंद आ जाता है। प्राकृतिक सुंदरता की आप कुशल चितेरी हैं और मनोभावों को व्यक्त करने में आपका कोई सानी नहीं है। मेरी शुभकामनाएँ स्वीकारें।
    आदरणीय दिग्विजय जी, सार्थक प्रस्तुति के लिए सादर धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  16. श्वेताजी को ढ़ेर सारी शुभकामनाएं...
    लाजवाब प्रस्तुतिकरण।

    जवाब देंहटाएं

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