दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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बुधवार, 29 नवंबर 2017
866..शेष है अब भी कुछ सवाले.. जो निर्भर है जीवन और परिवेश के हवाले..
19 टिप्पणियां:
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शुभ प्रभात सखि
जवाब देंहटाएंसुनियोजित षडयंत्र..
लोगों का मन जीतने का
एक बेहतरीन प्रस्तुति
सादर
उम्दा प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन
जवाब देंहटाएंसूचना -
जवाब देंहटाएंसुप्रभात।
आदरणीय पम्मी जी आज के इस सुन्दर अंक में मेरी रचना का लिंक फेसबुक वाला खुल रहा है जोकि मेरी ही रचना है फेसबुक पर। मेरे ब्लॉग पर इस रचना का संशोधित रूप प्रकाशित किया गया है जिसका लिंक है -
https://anitalaguri38.blogspot.in/2017/11/blog-post_27.html
कृपया इसे ठीक कर लीजिये जिससे मैं अपने ऑडियंस को सही सन्देश दे सकूं। धन्यवाद।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति बनाई है आपने आज। आपको बधाई। सभी रचनाकारों को मेरी ओर से बधाई। बहुत आनंद आ रहा है पांच लिंकों का आनंद के सफर में.....आभार मेरी रचना को यहां लाने के लिए।
अपडेट कर दिया गया है
हटाएंकृपया पुनः देखें
सादर
जी धन्यवाद आपका आदरणीय दी.... आपका स्नेह बना रहे ....
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंआदरणीय पम्मी जी बहुत बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंlajawab halchal ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहि धन्यवाद, एवं हार्दिक आभार, पम्मी जी !
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!!!
जवाब देंहटाएंलाजवाब हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम आपको बहुत -बहुत बधाई व धन्यवाद। आपने इतनी अच्छी रचनायें पढ़वाईं। सभी रचनायें उम्दा !
जवाब देंहटाएंकई बार किसी रचना पर तुरत प्रतिक्रिया देने की इच्छा होती है पर खटखटाने पर कुण्डी लगी दिखती है तो फिर वहाँ पलट कर जाने का मन नहीं करता !!!
जवाब देंहटाएंअरे वाह .... एक से बढ़कर एक लिंक ... शुक्रिया आपका
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा
जवाब देंहटाएंवाह! पम्मी जी आपका प्रस्तुतिकरण शानदार है . बेहतरीन रचनाओं को चुनकर लाई हैं आप. समयाभाव के कारण देर से उपस्थित हुआ. इस अंक के लिये सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें. आभार सादर.
जवाब देंहटाएंशेष है अब भी
जवाब देंहटाएंकुछ सवाले..
जो निर्भर है
जीवन और परिवेश के हवाले..
क्योंकि...
जो पढा है उसे जीना ही नहीं है मुमकिन
ज़िंदगी को मैं किताबों से अलग रखता हूँ
सुंदर प्रस्तुतिकरण।