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बुधवार, 29 नवंबर 2017

866..शेष है अब भी कुछ सवाले.. जो निर्भर है जीवन और परिवेश के हवाले..


।।शुभ भोर वंदन।।

जी, नमस्कार आज शुरुआत करते है
 इन अल्फाजों के साथ कि..
शेष है अब भी
कुछ सवाले..
जो निर्भर है
जीवन और परिवेश के हवाले..
क्योंकि...

जो पढा है उसे जीना ही नहीं है मुमकिन
ज़िंदगी को मैं किताबों से अलग रखता हूँ
(ज़फ़र साहबाई)

बातों के सिलसिले को आगे बढाते हुए
 आज के
रचनाकारों के नाम है..आदरणीया सदा जी,
आदरणीया अनीता लागुरी (अनु)जी, आदरणीय अरुण साथी जी, 
आदरणीय संजय ग्रोवर  जी , आदरणीय सुधा देवरानी जी, 
आदरणीया ऋता शेखर ‘मधु’ जी...✍

कुछ रिश्ते
जिंदगी होतें हैं
परवाह और
अपनापन लिए
जिनमें फ़िक्र की
धूप होती है
और ख्यालों की छाँव !!!



निस्तब्ध मां को देख रहा था
तो कभी गीत कोई गुनगुना देती...
तो कभी दौड़ सीढ़ियों से उतर



से उबरने के लिए संघर्ष करना पड़ा पर बहुत हद तक सफलता पाई है।
 उपाय के तौर पे सबसे पहला काम मोबाइल एप्प को डिलीट किया।
 ब्राउज़र से कभी कभी उपयोग करता हूँ। गंभीर मामला है, समझें..

एक समय की बात है
 एक अजीब-सी जगह पर, बलात्कार
 करनेवाले, बलात्कृत होनेवाले,
 बलात्कार देखनेवाले,




  अपरिभाषित एहसास।
  " स्व" की तिलांजली...
       "मै" से मुक्ति !
   सर्वस्व समर्पण भाव
   निस्वार्थ,निश्छल
       तो प्रेम क्या ?
     बन्धन या मुक्ति  !
 प्रेम तो बस, शाश्वत भाव
    एक सुखद एहसास!!
एहसास?

बेबसी की ज़िन्दगी से ज्ञान लेती मुफ़लिसी
मुश्किलों से जीतने की ठान लेती मुफ़लिसी

आसमाँ के धुंध में अनजान सारे पथ हुए
रास्तों को ग़र्द से पहचान लेती मुफ़लिसी
﹏﹏﹏﹏﹏﹏﹏﹏﹏

आज बस यहीं तक कल फिर नई प्रस्तुति के साथ 
सम्यक् समीक्षा जरूर करें..
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह,,,✍

19 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सखि
    सुनियोजित षडयंत्र..
    लोगों का मन जीतने का
    एक बेहतरीन प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सूचना -

    सुप्रभात।
    आदरणीय पम्मी जी आज के इस सुन्दर अंक में मेरी रचना का लिंक फेसबुक वाला खुल रहा है जोकि मेरी ही रचना है फेसबुक पर। मेरे ब्लॉग पर इस रचना का संशोधित रूप प्रकाशित किया गया है जिसका लिंक है -
    https://anitalaguri38.blogspot.in/2017/11/blog-post_27.html

    कृपया इसे ठीक कर लीजिये जिससे मैं अपने ऑडियंस को सही सन्देश दे सकूं। धन्यवाद।
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति बनाई है आपने आज। आपको बधाई। सभी रचनाकारों को मेरी ओर से बधाई। बहुत आनंद आ रहा है पांच लिंकों का आनंद के सफर में.....आभार मेरी रचना को यहां लाने के लिए।


    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अपडेट कर दिया गया है
      कृपया पुनः देखें
      सादर

      हटाएं
    2. जी धन्यवाद आपका आदरणीय दी.... आपका स्नेह बना रहे ....

      हटाएं
  3. आदरणीय पम्मी जी बहुत बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा लिंक संकलन....
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहि धन्यवाद, एवं हार्दिक आभार, पम्मी जी !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति ..

    जवाब देंहटाएं
  6. सर्वप्रथम आपको बहुत -बहुत बधाई व धन्यवाद। आपने इतनी अच्छी रचनायें पढ़वाईं। सभी रचनायें उम्दा !

    जवाब देंहटाएं
  7. कई बार किसी रचना पर तुरत प्रतिक्रिया देने की इच्छा होती है पर खटखटाने पर कुण्डी लगी दिखती है तो फिर वहाँ पलट कर जाने का मन नहीं करता !!!

    जवाब देंहटाएं
  8. अरे वाह .... एक से बढ़कर एक लिंक ... शुक्रिया आपका

    जवाब देंहटाएं
  9. वाह! पम्मी जी आपका प्रस्तुतिकरण शानदार है . बेहतरीन रचनाओं को चुनकर लाई हैं आप. समयाभाव के कारण देर से उपस्थित हुआ. इस अंक के लिये सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें. आभार सादर.

    जवाब देंहटाएं
  10. शेष है अब भी
    कुछ सवाले..
    जो निर्भर है
    जीवन और परिवेश के हवाले..
    क्योंकि...
    जो पढा है उसे जीना ही नहीं है मुमकिन
    ज़िंदगी को मैं किताबों से अलग रखता हूँ

    सुंदर प्रस्तुतिकरण।

    जवाब देंहटाएं

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