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शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2017

833...जो तूफानों को किनारे तक पहुँचा दे...


प्रथम प्रस्तुति पर 
सादर अभिवादन
त्योहारों का मौसम समाप्त होने को है। आपने अपने घर में बची मिठाइयों और नमकीन जो आपको पसंद नहीं, अधजली बची मोमबत्तियाँ,बची रंगोली के रंग,पुरानी बिजली के झालर और  ऐसे ही आपके लिए अनुपयोगी चीजों का क्या किया???
कृपया, इन सब चीजों को फेंकने के बजाय गरीबों, जरुरतमंदों में सम्मान के साथ बाँट दे। किसी झोपड़ी में रोशनी हो जायेगी, किसी गरीब का मँहगी मिठाई खाने का सपना पूरा हो जायेगा। किसी झोपड़ी के दीवार में रंग-बिरंगी तितली,फूल बनाकर बच्चे खुश होंगे। संभव हो तो आपके और आपके बच्चों के काम  न आने वाली अनुपयोगी वस्तुएँ, कपड़े, खिलौने फेंकने के बजाय समय समय पर जरुरतमंदों को ससम्मान दे दें।

चलिये मेरी पसंद की आज की रचनाओं की ओर


मौन है गर्जन है

 रत है विरक्त है

शून्य है..

शब्द है पर खामोश है

नत है ..

हर ऊषा की प्रत्युषा भी



जो तूफानों में किनारे तक पहुंचा दे 
ऐसी अब कश्तियाँ नहीं मिलतीं
गम को गले से लगा कर खुशी बांटे
ऐसीं जादू की झप्पियाँ नहीं मिलतीं
ख़ुद के लिये जूझने वाले इस जहाँ में
एक ढूढों तो हज़ारों मिल जायेंगे
दूसरों की खुशी के लिये जूझने वाली 
आप जैसी हस्तियां नहीं मिलतीं।

याद  धूप  है  याद  छाँव  है,
तड़प-ओ-ख़लिश का एक गाँव है, 
याद  रात  है याद  ही दिन है,
न फ़लक़-ज़मीं पर होता पाँव है,
हिय में हूक होती है पल-पल,  
बेक़रारी में चश्म-ए-तर है। 

आदरणीया यशोदा दी के शानदार संकलन से

चिलमन के पीछे जाके ... क्यूँ छुप गया है वो...
मुश्किल से जुदाई का .. हम गम गटक रहें हैं..

नज़रो से तेरी पहले ही ... बेहोश है ये दुनिया...
नींद आती नहीं है न ही..कोई ख्व़ाब फटक रहें हैं..


अंतर्मन के अनछुये भावों को शब्द देती 
आदरणीया अपर्णा जी की 
बहुत सुंदर रचना

उड़ आए बीज कंही से;
कि लाख कोशिशों के बावजूद
उग ही आये कुछ अंकुर
बातें करने लगे हवा से
नाता जोड़ लिया इस धरा से,
गगन से और इंसानों से.......
और हम!
अपनी कोशिशों में भी हारते रहे..... 

जहाँ फैली थी मधुर चांदनी - 
शीतल जल के धारों पे , 
कुंदन जैसी रात थमी थी  ;
फेर आँखे जग - भर से वहां-
दो प्रेमी नटखट निकल पड़े !!

http://www.thahrav.com/2017/07/blog-post_18.html?m=1

जो भी ख़लिश थी दिल में एहसास हो गयी है
दर्द निस्बत मुझे कुछ खास हो गयी है

वजूद हर ख़ुशी का ग़म से है इस जहाँ में
फिर जिंदगी क्यूँ इतनी उदास हो गयी है

रोज पकाया 
जाता है 
कुछ ना कुछ 



अधपकों के 

बस में बस 

इतना ही 
तो होता है 
जो पकाने
के बाद
भी पका
ही नहीं
होता है। 

आज के लिए इतना ही
आप सभी के सुझाव 
की प्रतीक्षा में

23 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सखी श्वेता
    कम्मााााल की प्रस्तुति
    चलिए..सूरज निकल आया है
    पारणा कीजिए
    आभारी हूँ...
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात।
    "पाँच लिंकों का आनन्द" में आज प्रथम प्रस्तुति पर आदरणीया श्वेता जी आपका हार्दिक अभिनन्दन।
    बधाई। सार्थक,शानदार प्रस्तुति। सरस रचनाओं का संकलन। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं। मेरी रचना को स्थान मिलने से अभिभूत हूँ। आज के अंक में आपकी भूमिका सामाजिक सरोकारों पर आपके गंभीर चिंतन की छाप छोड़ती है। एक संवेदनशील प्रकृतिप्रेमी चर्चाकार की चर्चा अब सुधिजनों को अनवरत नवीनता के दर्शन कराएगी। श्रीगणेश पर सचित्र गजानन। आभार सादर।

    8+3 +3 = 14
    1+4 =5 अर्थात पंचतत्व।
    पाँच लिंकों का आनन्द में "पाँच" को सार्थक अर्थ मिले।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह..
    पहली प्रस्तुति में शानदार प्रदर्शन...
    शुभकामनाएँ...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा विचारों से शुरू
    बेहतरीन संकलन
    बहुत बधाई
    मेरी रचना को मान देने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  5. श्वेता जी, सर्वप्रथम छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनायें. आपको आपकी इस पहली और शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई. उम्दा रचनाओं का संकलन किया है आपने. आज की भूमिका में आप के संवेदनशील ह्रदय के दर्शन होते है.
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार. इसी तरह नित नयी ऊंचाइयों को छूती रहिये और हम जैसों का मार्गदर्शन करती रहिये .
    आज की प्रस्तुति में चयनित रचनाकारों को बधाई.
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर सन्देश के साथ पेश की गयी आज की सुन्दर हलचल में 'उलूक' के सूत्र को भी जगह देने के लिये आभार श्वेता जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर संकलन श्वेता जी
    सभी रचनायें स्वयं मैं विशिष्ट हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर संवेदनाओं से परिपूर्ण सन्देश के साथ पेश की गयी आज की हलचल

    जवाब देंहटाएं
  9. प्रथम प्रस्तुति
    प्रथम पूज्य जैसा
    असीम शुभकामनाएं

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  10. सुंदर संदेश और अच्छा संकलन |शुभकामना

    जवाब देंहटाएं
  11. उषा स्वस्ति
    "पाँच लिंकों का आनन्द" में प्रथम प्रस्तुति पर आदरणीया श्वेता जी आपका हार्दिक अभिनन्दन।
    आज की प्रस्तुति में चयनित रचनाकारों को बधाई
    मेरी रचना को मान देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
    बहुत सुंदर प्रस्तुति, शुभकामना।

    जवाब देंहटाएं
  12. स्वेता जी,आपकी इस प्रथम प्रस्तुति पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं। बहुत बढ़िया लिंक्स दिए हैं आपने।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत अच्छे सन्देश और सुन्दर लिंको के साथ सुन्दर प्रस्तुति।

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  14. हर्षित हूं....
    हम सात से आठ हो गये.....
    इस से भी अधिक हर्ष इस बात का है कि.....
    हमारे पाठकों में भी कुछ नये नाम जुड़ते जा रहे हैं....
    पांच लिंकों का आनंद का प्रत्येक अंक नये अंदाज में पेश हो रहा है.....
    आदरणीय श्वेता जी.....
    आप का अभिनंदन है....
    पहली प्रस्तुति पर......
    आप को शुभकामनाएं.....
    आभार आप का.....

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  15. छा गई सखी आप तो
    ढेरों शुभ कामनाएँ
    बहुुत ही वजनदार रचनाएँ
    और पहने ही दिन तोड़ दी रिकार्ड
    पाँच से अधिक बढ़िया लिंक देकर
    अन्यथा न लें..यूँ ही लिख दी
    आदर सहित
    दिबू

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत बहुत शानदार प्रस्तुति श्वेता जी। आज के हलचल अंक को आपने लाज़वाब अंक बना दिया। प्रथम अंक की बेहतरीन प्रस्तुति के लिये आपको बधाइयाँ। संकलित सभी उत्कृष्ट रचनाकारों को बधाईयाँ। मेरी रचना को स्थान देने के लिये अतुल्य आभार

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  17. प्रस्तुति के एक नए प्रतिमान से प्रथम प्रतिश्रुति का अभिनंदन। इस परंपरा के चिरंतन प्रवाह की शुभकामना! चरैवती , चरैवती !!!

    जवाब देंहटाएं
  18. आदरणीया श्वेता जी स्वागत है आपका हमारे परिवार के नये सदस्या के रूप में। प्रथम प्रस्तुति काबिलेतारीफ़ है।
    आज हमारा परिवार व पाठकगण सभी हर्षित हैं आपके शुभ आगमन पर ,आपको बहुत -बहुत बधाई। आदरणीया दीदी को विशेषकर जिन्होंने आप जैसे बहुमूल्य नगीने की ख़ोज की। सभी रचनायें उम्दा ! आभार

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  19. मेरी प्रथम प्रस्तुति पर पाँच लिंकों के परिवार के सभी माननीय,सम्मानीय सदस्यों और समस्त सुधी पाठकगणों के असीम नेह और उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं से हृदय अभिभूत है।आप सभी का हृदय से अतुल्य आभार।उम्मीद है आप सभी का सहयोग और मागर्दशन भविष्य में भी मुझे मिलता रहेगा।
    खासकर मेरी यशोदा दी को हृदय से नमन।

    सादर
    आभार
    श्वेता🍁

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  20. प्रिय श्वेता बहन ----- बहुत विलम्ब से लिखने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | मैं आज के लिंक में शामिल रचनाएँ दिन में पढ़ नहीं पायी सो अब लिख रही हूँ | सबसे पहले आपकी शनदार पहली प्रस्तुति पर आपको बहुत बधाई |कितना सुंदर सन्देश दिया आपने आजके लिंक की भूमिका में | सचमुच जो चीजें हमारे लिए बेकार हैं किसी के लिए जीवन का सबसे बड़ा उपहार बन सकती हैं बशर्ते वे सम्मान से दी जाएँ --एहसान जताकर नहीं | किसी को ख़ुशी मिलेगी तो घर के अतिरिक्त जमावड़े में कमी आयेगी | ये जमाखोरी एक तरह का घरेलू प्रदूषण है और इसके कारण भी हमीं है पर इसका निवारण करना नहीं चाहते | और आज की सभी सुंदर रचनाओं के साथ -साथ आपने अपनी पहली प्रस्तुति में मेरी रचना को स्थान दिया मैं अभिभूत हूँ | आपको हार्दिक आभार | आशा है निकट भविष्य में आप के द्वारा नए लिंक संयोजन पढने को मिलेंगे | शुभकामना --------------- और ढेरों प्यार के साथ --

    जवाब देंहटाएं
  21. आदरणीय श्वेताजी,
    आपकी पहली प्रस्तुति ही इतनी शानदार है कि अच्छी रचनाएँ पढ़ने के शौकीनों को भविष्य में आपसे काफी उम्मीदें रहेंगी । ईश्वर ने इस माध्यम से आपको चुना है कि आप हिंदी साहित्य को, हिंदी ब्लॉगिंग को और हिंदी भाषा को अपनी सेवाएँ दे सकें । मेरी सारी शुभकामनाएँ तहेदिल से आपके साथ रहेंगी । आज की सभी रचनाओं को पढ़ लिया है । बेहतरीन लिंकों का चुनाव आपके वाचन की व्यापकता को दर्शाता है और सुंदर विचारों से सजी भूमिका एक संवेदनशील मन को....सादर, सस्नेह बधाई आपको।

    जवाब देंहटाएं
  22. हलचल प्रस्तुति में श्वेता जी !!!!!
    वाह!!!
    खेद है कि कि किसी कारणवश आपकी प्रस्तुति का लुफ्त उसी दिन न ले सकी....
    बहुत सुन्दर भावों से की गयी शुरुआत, सुंदर,उम्दा लिंक संकलन....
    बहुत बहुत शुभकामनाएं.... श्वेता जी !

    जवाब देंहटाएं

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