---

मंगलवार, 24 अक्तूबर 2017

830....क्रान्ति सुनहरा कल लाएगी


जय मां हाटेशवरी....
9 नवंबर को हिमाचल में विधान सभा के लिये मतदान होने है....मुख्या मुकाबला दो दलों कांग्रेस   व भाजपा में है....कुछ नेता कांग्रेस   से टूटकर भाजपा में तो कुछ भाजपा से कांग्रेस   में चले गये हैं....इन दोनों दलों ने ही....प्रत्याशी चुनते हुए जनता से नहीं पूछा कि किसे हम इस बार चुनाव में अपना प्रतिनिधि बनाएं..........अब मतदाता असमंजस में है.....क्या करे.....किसे चुनकर विधानसभा में भेजे....एक न एक को तो वोट देना ही होगा.....मत-दाताओं के पास कोई विकल्प ही नहीं है....निर्दलीय को अगर वोट दिया तो उस की विजय की कोई संभावना नहीं है....क्योंकि सरकार इन दोनों दलों में से किसी एक की ही बननी है.....विकास हुआ या नहीं....अब इस बात की चर्चा कम ही सुनाई दे रही है.....अब तो क्षेत्र, जाती, धर्म या अन्य कुछ क्षेत्रीय मुद्दों पर ही दाव खेला जा रहा है.....

 हम भारत के मत दाता है....
हमारे पास मत देने का अधिकार
द्वापर में भी था
हमने सर्वमत से
युधिष्ठिर को राजा बनाया
पर शकुनी की एक चाल ने
द्युत खेल कर
पांचों पांडवों को वनवास भेज दिया।
हम महाभारत से युद्ध में
हाथी घोड़ों की तरह
मर सकते हैं,
पर राजा से
अपने मत के अधिकार के लिये
नहीं लड़ सकते।



शुभ मुहूर्त कितने शुभ होते हैं
पिछले कई सालों से शुभ मुहूर्त देख कर ही बच्चे पैदा किए जा रहे हैं। ऐसे में तो ये सभी बच्चे सफ़ल खिलाड़ी, वैज्ञानिक, अभिनेता, उद्योगपति या प्रधानमंत्री ही बनने चाहिए थे। शुभ मुहूर्त में पैदा होने वाले बच्चे भी गलत राह पर क्यों जा रहे हैं? जीवन में फ़िस्सडी क्यों साबित होते हैं? मुकेश अंबानी के जन्म समय पर जन्म लेने वाले बच्चे मुकेश अंबानी जैसे अमीर क्यों नहीं बने? अमिताभ बच्चन के जन्म समय पर जन्म लेने वाले बच्चे सदी के महानायक क्यों नहीं बने?

एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता
तीज त्योहार कहाँ रह गए है
अब तो उपरी दिखावे बचे है बाकी
पुरानी ज़िन्दगी अब कहाँ रह गयी है ,
अब तो बस मोबाइल और इन्टरनेट बचे है बाकी

ख़्यालों का सफ़र
छूकर फूल को महसूस हुआ
हाथ आपका जैसे छुआ हो
रूह यों जगमग रौशन हुई
ज्यों रात से सबेरा हुआ हो।

बेघर बेचारी नारी
घर
बनाती है नारी
उसे सजाती -सँवारती है
नारी
उसके आँचल की छाया
देती वह संरक्षण
जिसे जीवन की तप्त धूप
भी जला नहीं पाती है
और नारी
पहले पिता का
फिर पति का
घर बसाती जाती है
किन्तु न पिता का घर
और न पति का घर
उसे अपना पाता
पिता अपने कंधे से
बोझ उतारकर
पति के गले में डाल देता
और पति
अपनी गर्दन झुकते देख
उसे बाहर फेंक देता
और नारी
रह जाती
हमेशा बेघर

आज भी मौजूद है श्रीलंका में रामायण के पांच निशान
पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में एक महल मिला है जिसे रामायण काल का बताया जाता है। रामायण लंका दहन का वर्णन है जब हनुमान जी ने पूरी लंका मे अपनी पूंछ से आग लगा दी थी। जलने के बाद उस जगह की की मिट्टी काली हो गई थी, इस बात के प्रमाण भी यहां से मिलते हैं। यहीं से थोड़ी दूर पर रावण एल्ला नाम से एक झरना है, जो 82 फीट की ऊंचाई से गिरता है। राम द्वारा रावण का वध करने के पश्‍चात विभीषण को लंका का राजा बनाया गया था। विभीषण ने अपना महल कालानियां में बनाया था। यह कैलानी नदी के किनारे स्थित था। नदी के किनारे पुरातत्व विभाग को उस महल के अवशेष मिले हैं।


क्रान्ति सुनहरा कल लाएगी
स्वप्न बंधे जंजीरों में
आशाएं कुंठित रुद्ध भले होँ
आज समय विपरीत सही
विधि के निर्माता क्रुद्ध भले होँ
स्वेद लिखेगा आने वाले
कल को बाज़ी किसकी होगी
झंझावात रुके हैं किससे
राहें होँ अवरुद्ध, भले होँ
जाग पड़ेंगे सुप्त भाग्य
कुछ ऐसा कोलाहल लाएगी
क्रान्ति सुनहरा कल लाएगी


आज बस इतना ही.....
चलते-चलते ये रचना भी पढ़ें....
बह गए कितने सिकंदर वक्त के सैलाब में,
अक्ल इस कच्चे घड़े से कैसे दरिया पार हो
सभ्यता ने मौत से डरकर उठाये है कदम,
ताज की कारीगरी या चीन की दीवार हो
मेरी खुद्दारी ने अपना सर झुकाया दो जगह
वो कोई मजलूम हो या साहिबे किरदार हो
धन्यवाद।















7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
    चुनाव समाचार मिला
    यानी आपकी व्यस्तता का समाचार मिला
    सरकारी तौर पर आपको कुछ विशेश कार्य भी सौंपे जाएँगे
    रचनाएँ सारी अनछुई है.. पढ़ी जाएँगी आज
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर सरस सारगर्भित अंक प्रस्तुत किया है भाई कुलदीप जी ने। बधाई। सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं। मेरी रचना को मान देने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही लाज़वाब प्रस्तुति आदरणीय कुलदीप जी।
    सुंदर लिंकों का संयोजन।

    जवाब देंहटाएं
  4. सभी बढ़िया लिंक्स प्रस्तुत किए हैं आपने, कुलदीप जी। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा लिंक संकलन....सुन्दर प्रस्तुतिकरण....

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।