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बुधवार, 27 सितंबर 2017

803.. हर शहर का आजकल मौसम बदला है


मांगल्यम  सुप्रभात

अथ श्री दुर्गा महासप्तमी 

तुम्हीं स्वाहा, स्वाधा और वष्टाकार हो
स्वर भी तुम्हारे ही रुप में निहित है
नित्य अक्षर प्रणव में आकार, उकार और मकार
 इन तीनों मात्राओं में तुम्हारी ही स्थिति है।

आप सबकी आमद के इन रचनाओं को
 पढ़िए और उभरते रचनाकारों की रहनुमाई और हौसला आफ़ज़ाई कीजिए

हर शहर का आजकल मौसम बदला है
रवायत और ज़दीदियत का  संगम है
पर...खूब खरा रंग निखरा ...




आईये आज इसी माहौल की शुरुआत करते है.
प्रस्तुत लिंको से  ब्लॉग के नाम क्रमशः
इस प्रकार से पढ़े ..



बस थोड़ी देर और ये नज़ारा रहेगा,
कुछ पल और धूप का किनारा रहेगा।
हो जाएगें आकाश के कोर सुनहरे लाल,
परिंदों की ख़ामोशी शाम का इशारा रहेगा।



"और वे जी उठे" !
मैं 'निराला' नहीं 
प्रतिबिम्ब ज़रूर हूँ 
'दुष्यंत' की लेखनी का 
गुरूर ज़रूर हूँ 
'मुंशी' जी गायेंगे मेरे शब्दों में 
कुछ दर्द सुनायेंगे 

ट्रोल-नाके से गुज़रने का अनुभव !
सोशल मीडिया पर टहल रहा था।अचानक कई जगह अलग-अलग वैरायटी की गालियाँ दिखाई दीं।
मन ख़ुश हो गया कि हम किसी दूसरी दुनिया में नहीं पहुँचे हैं।यहाँ भी हमारे गली-मुहल्ले का-सा अपनापा है।
वही तू-तू,मैं-मैं,वही मौलिक अभिव्यक्ति।गालियों के मामले में क्या पढ़े-लिखे और क्या अनपढ़ !
इस कला में सभी दक्ष दिखते हैं।सोशल मीडिया अब इसके लिए कोचिंग सेंटर
का काम कर रहा है।लोग यहीं निपट रहे हैं,निपटा रहे हैं।
वेस्ट-मैनेजमेंटका सबसे बढ़िया उदाहरण है यह।
हर प्रकार का कूड़ा यहाँ खप जाता है।
वो भी बिलकुल मुफ़्त में।अन्तर्जाल
में गालियों पर शोधपत्र छापे जा रहे



आज जो जोगन गीत वो गाऊं.
अधरों के सम्पुट क्या खोलूं ,
मूक कंठों से अब क्या बोलूं.
भावों की उच्छल जलधि में,
आंसू से दृग पट तो धो लूँ .


किस्सा दर्द का है फिर भी सुनाता हूं इसे गुनगुना कर ।

वो रूठ कर खुश हो ले, मैं भी खुश होता हूँ उसे मनाकर ।

एक रात के मुसाफिर से तू इजहार-ए-मोहब्बत न कर ,


सुबह होते ही चला जाऊंगा मैं तो तुझे रुलाकर ।


समय के साथ हम  सभी रचनाकार और  बढेंगे समीक्षा होनी ही चाहिए..
💭✍

।। इति शम।।

आभार 

पम्मी सिंह


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17 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सखी
    परिवर्तन प्रकृति करती है
    अपने आप में...तदानुसार
    विचार भी बदलते रहते है
    मानव मन में...
    ठीक इसी प्रकार
    दिन-प्रतिदिन
    आ रहा है निखार..
    हमारे इस ब्लॉग में स्वतः ही
    एक बेहतरीन प्रस्तुति
    आभार
    सादर

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  2. ऊषा स्वास्ति पम्मी जी,
    परिवर्तन ही तो है जो जीवन को गति प्रदान करती है।
    बदलाव वक्त के अनुसार स्वाभाविक प्रक्रिया है। बस माता रानी से इतनी दुआ हर शहर के मौसम में बदलाव सकारात्मक हो।
    आपके अनोखे अंदाज़ में प्रस्तुत आज का अंक बहुत सुंदर है जी।सारी रचनाएँ बहुत ही सराहनीय है।
    मेरी रचना को मान देने के लिए हृदयतल से आभार आपका। सभी साथी चयनित रचनाकारों को भी बधाई
    एवं शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बदलता है
    मौसम भी
    मन भी
    प्रकृति भी
    और हम भी
    कभी तो
    तुरन्त...
    और कभी
    लग जाते है सालों
    बदलने में..
    निहारें..
    मेरी ओर भी
    कभी....
    बेहतरीन प्रस्तुति
    आदर सहित

    जवाब देंहटाएं
  4. नवरात्रि की सप्तमी तिथि आप सभी के लिए शुभ हो..बहुत सुंदर प्रस्तुति, बधाई पम्मी जी.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर संकलन पम्मी जी ,परिवर्तन ही प्रग्रति का सूचक है ,माँ दुर्गा के नवरात्रों में सबका जीवन पावन हो और उन्नति की नयी ऊँचाइयाँ छुए

    जवाब देंहटाएं
  6. कल बीत जाना, फिर कल आना,
    सृष्टि का ये चलन पुराना.
    तपना, भींगना और ठिठुरना,
    मौसम का ये ताना बाना.
    जीवन चक्र ऐसे ही चलता,
    उद्भव, पलना और गुजरना.

    हिम तरल बन वाष्प में परिणत,
    फिर तुषार का वापस पड़ना.
    जगत मिथ्या ब्रह्म्-सत्यम दर्शन,
    चिन्मय चिंतन चिरंतन चरना.
    नैसर्गिक पावन उपवन में,
    विश्वमोहिनी, हरदम हंसना.........कालरात्री शुभंकरी की पावन सप्तमी के इस सुभग संकलन का साधुवाद एवं शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  7. पम्मी जी द्वारा प्रस्तुत सुन्दर पांच लिंकों का आनन्द एवं इस चर्चा में सम्मलित सभी सारगर्भित रचनाओं के रचनाकार को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  8. नमस्ते ,
    वाह !
    सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया पम्मी जी की।
    नवरात्र -उत्सव के बीच तरोताज़ा करते वैचारिक सूत्र।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
    आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
  9. खूबसूरत लिंक संयोजन ! बहुत सुंदर आदरणीया ।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बढ़िया अंक। सारी रचनायें एक से बढ़कर एक। पम्मी जी को आभार शुभेक्षायें

    जवाब देंहटाएं


  11. सुंदर शब्द विन्यास से प्रतिक्रिया के लिये आप सभी को नमन करते हुए आभार प्रकट करती हूँ..

    जवाब देंहटाएं
  12. आदरणीया पम्मी जी प्रणाम आज का संकलन विशेष है विचारों से ओत-प्रोत सुन्दर रचनाओं से सजी आज की प्रस्तुति हृदय से आभार। "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  13. सुन्दर प्रस्तुतिकरण.....उम्दा लिंक्स...

    जवाब देंहटाएं

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