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सोमवार, 25 सितंबर 2017

801....एक दीपक रात भर जलता रहा

सादर नमस्कार
मैं ये सोचती हूँ
इससे अच्छा कोई अभिवादन नहीं
आज अचानक मैं..क्यों
भाई ध्रुव जी अपरिहार्य करणों से प्रवास पर हैं.....
प्रस्तुति बनाने की शैली नही आती उनके समान 
फिर भी कोशिश करती हूँ..बताइएगा.... 
मैं पास हुई या फिर फेल
चलिए देखते हैं आज क्या है...

और तो और..
उँगलियाँ मेरी..
करते करते टाईप 
बहक-बहक सी 
जाती थी.. 
झिड़कने पर 
कहती थी उँगलिया..
जो मेरे मन में आ रही.. 
जा रही उसी अक्षर पर..

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हरसिंगार... श्वेता सिन्हा
भोर किरण को छूकर चूमे
दूब के गीले छोर,
शापित देव न चरण चढ़े
व्यथित छलकती कोर,
रवि चंदा के मिलन पे बिछड़े
खिले है हरसिंगार।




मित्रता... नूपुरम
तुमने मुझे 
कुछ कम पाया
और जताया,
रंग तुम्हारे फीके हैं,
और कई जगह दरार है,
कुछ करो ।


क्या एक बेटी को बचा नहीं सकते....ऋतु पंचाल
बहुत अत्याचार तुम्हारा सह चुकी, 
जो कहना था वो मैं कह चुकी, 
अब मुझे और न सताना, 
मुझे दोबारा न पड़े, ये बताना। 


बस, यूँ ही....मीना शर्मा
एक दीपक रात भर जलता रहा,
तमस की तकदीर फूटी, बस यूँ ही !!!

राह तक पापा की, बिटिया सो गई,
रोई-रोई, रूठी-रूठी, बस यूँ ही !!!


कहानी है मेरी पड़ोसन की....... सुधा सिंह
कहने लगा मुझसे-
आप अपने काम से काम रखो 
आप जब घंटों लगी रहती हो फोन पे 
अपनी सखियों के संग 
तो क्या मैंने कभी डाला है 
आपके रंग में भंग 
आप कौनसा दादी की बात सुनती हो


चुप सो जा मेरे मन ...... सुधा देवरानी
रात छाई है घनी ......
पर कल सुबह होनी नयी,
कर बन्द आँखें , सब्र रख तू ;
मत रो ,मुझे न यूँ सता.......
चुप सो जा.......
मेरे मन.......
चुप सो जा.....!!!

आज बस
कहते हैं न, कापी किसी की..
और लिखे कोई और..
ये पन्ना श्रीमान जी ने खोला था
दो रचनाओं के लिंक रखे थे..
किसी क्लाईन्ट का फोन आया

उन्हें बिलासपुर जाना पड़ा..
कह गए देख लेना...
सो देख ली उन्हें...
य़शोदा ..













12 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात।
    विविधापूर्ण भावों का गुलदस्ता है आज का अंक।
    बधाई आदरणीया बहन जी।
    ध्रुव जी की याद अवश्य आयी ,वे भूमिका में तूफ़ान-सी हलचल पैदा करते हैं अपने ओजस्वी लेखन से।
    बहरहाल आज सुधि पाठकों को मिला एक और बेहतरीन अंक।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
    आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभप्रभात दी:),
    एक और सुंदर अंक का प्रस्तुतिकरण आपके द्वारा,सभी रचनाएँ बेहद अच्छी है।
    मेरी रचना को मान देने के लिए अति आभार दी।

    जवाब देंहटाएं
  3. कह गए देख लेना...
    सो देख ली उन्हें........ बहुत बढ़िया देखा . आभार और बधाई, सुन्दर रचना एवं रचनाकारों के साथ!

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात...
    एक बेहतरीन संयोजन..
    आभारी रहूँगी सदा
    आदर सहित

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही उम्दा अंक। ख़ूब लुभाया। सभी रचनाकारों को बधाइयां एवम शुभेक्षायें

    जवाब देंहटाएं
  6. पास फेल ना करिये चलते रहिये बहुत उम्दा ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सफर रुकना नहीं चाहिये....
    बहुत सुदंर आभार।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढिया संकलन..
    सभी रचनाकारों को बधाई
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन.....
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....
    सादर आभार...

    जवाब देंहटाएं
  10. आप सभी को सपरिवार शुभ पर्व की मंगलकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  11. अत्यंत आभारी हूँ यशोदा दीदी । मेरी रचना की पंक्ति को शीर्षक पर पाकर सुखद आश्चर्य हुआ । ईश्वर करे आपके द्वारा प्रज्जवलित यह हलचल का दीपक हिंदी साहित्य की सभी विधाओं का प्रकाश यूँ ही फैलाता रहे चिरकाल तक....
    सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं

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