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शनिवार, 23 सितंबर 2017

799... लड्डू



सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष



और 

चित्र में ये शामिल हो सकता है: 9 लोग, स्टेज पर लोग और अंदरचित्र में ये शामिल हो सकता है: 3 लोग, लोग खड़े हैं

17 सितम्बर 2017 के आयोजन के लिए
बैनर , सम्मान-पत्र और पत्रिका छपवाने में ऐसा खोये कि
15 सितंबर 2017 को ग्यारह बजे रात में पोस्ट बनाने बैठे

इस बार 19 सितम्बर को ही बना लिए
20 सितम्बर को शिमला जा रहे हैं

मन ही मन फूट रहे हैं

लड्डू


सुनी सुनाई बातों पर तुम,
कभी ध्यान मत देना|
क्या सच है क्या झूठ सुनिश्चित ,
खुद जाकर‌ कर लेना|



लड्डू


हवा ने अपनी तपिश तर की और
जेठ की लू थोड़ी देर के लिए शीतल हो चली।
“बुला रहे हैं प्यार से तो आ नहीं रहे हो बे
अबहियें कनवा तर दुई ठो लगाएंगे तो
अक्कल ठिकाने आ जायेगी तुम्हारी।”
 भइया क्रोध से तमतमा रहे थे।


लड्डू


तरुवर की ऊंची डाली पर, दो पंछी बैठे अनजाने,
दोनों का हृदय उछाल चले, जीवन के दर्द भरे गाने,
मधुरस तो भौरें पिए चले, मधु-गंध लिए चल दिया पवन,
पतझड़ आई ले गई उड़ा, वन-वन के सूखे पत्र-सुमन
दो पंछी मिले चमन में, पर चोंचों में लेकर शूल चले,
दो मेघ मिले बोले-डोले, बरसाकर दो-दो बूंद चले ।


कौन क्या-क्या खाता है



खान-पान की कृपा से, तोंद हो गई गोल,
रोगी खाते औषधी, लड्डू खाएँ किलोल।
लड्डू खाएँ किलोल, जपें खाने की माला,
ऊँची रिश्वत खाते, ऊँचे अफसर आला।
दादा टाइप छात्र, मास्टरों का सर खाते,
लेखक की रायल्टी, चतुर पब्लिशर खाते।


गाँव का खत::शहर के नाम


मैंने-तुमने सत्तू और
चूरमे के लड्डू जिन्हें
तुम सुबह से ओढ़नी में
छिपाए हुए थीं



Image result for लड्डू पर कविता
फिर मिलेंगे ....
याद दिलाते चलें....
दशहरा के दिन आयेंगे ....





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6 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन
    आपका कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हो गया होगा
    लड्डू आप आने के उपरान्त हमे खिलाइएगा ही
    शुभ कामनाएं आज की प्रस्तुति हैतु
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर संकलन!एक टटका अहसास!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. विभा जी के अपने अन्दाज की एक सुन्दर हलचल प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं

  4. विभिन्न कार्यक्रमों की सफलता के साथ-साथ शब्द विशेष पर संकलन बहुत बढिया..
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत शानदार प्रस्तुति। सचमुच की हलचल। वाह

    जवाब देंहटाएं

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