हफ्ते का तीसरा दिन यानि बुधवार
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बुधवार, 2 अगस्त 2017
747..पन्नों पे तख़य्युल के अक्सों..
हफ्ते का तीसरा दिन यानि बुधवार
18 टिप्पणियां:
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शुभ प्रभात पम्मी बहन
जवाब देंहटाएंमनभावक रचनाएँ पढ़वा रही हैं आप
सादर
शुभ प्रभात !
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने पम्मी जी
तख़य्युल के अक्सों (कल्पना के प्रतिबिम्बों) को
पन्नों पर उकेरना सार्थक सृजन है
जिसमें समाये होते हैं एहसासों के महासागर।
उम्दा सूत्रों का संकलन है आज का अंक।
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं !
पम्मी जी को बधाई एक सार्थक प्रस्तुति के लिए।
सुपंक्ति में वक़्त के स्वभाव का उल्लेख प्रभावी है।
शुक्रिया कल का ज़िक्र करने के लिए।
आभार सादर।
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति। सुप्रभात।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन ,अच्छी रचनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंकों से सजी आज की सुंदर पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंसदैव की भाँति इस बार भी सुंदर संकलन एवं प्रस्तुति के लिए बधाई पम्मी जी। सभी रचनाकारों को भी बधाई।
जवाब देंहटाएंव्यस्तता के क्षणों में पम्मीजी के द्वारा परोसे गए इन "तख़य्युल के अक्सों " को निहारने में ठेठ टटकापन महसूस होता है। सभी नगमानिगारों को बधाई। रविंद्रजी को खास आदाब 'तख़य्युल के अक्सों ' के मतलब से रु ब रु कराने के लिए।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतिकरण..पठनीय सूत्रों से परिचय कराने के लिये आभार पम्मी जी..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति करण ...उम्दा संकलन....
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद पम्मी जी....
आदरणीय पम्मी जी आज का अंक आपके सफल प्रस्तुति से सफल हुआ। आपकी प्रस्तुति सबसे नराली !भावों के साथ सुन्दर लिंक जो मन को छूते हैं आभार ,"एकलव्य"
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं से संजोया हुआ अंक ! विविधता से परिपूर्ण करने हेतु शुक्रिया पम्मीजी ।
जवाब देंहटाएंस्याही के सुर्खे-रंग को तहे-दस्त पे हिना कर देखो..,
जवाब देंहटाएंतख्खयूल के अक़्स को फिर सफ़हे-आइना कर देखो.....
वाह!बहुत सुंदर..
हटाएंसुंदर संकलन, मेरी सुविचार
जवाब देंहटाएंको सम्मिलित करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद |
बहुत सुन्दर और रोचक संकलन...आभार
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