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रविवार, 11 जून 2017

695....पाठकों की पसंद.... आज के पाठक हैं श्री पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

सादर अभिवादन
आज इस श्रृंखला में प्रस्तुत है 
श्री पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा की पसंद की रचनाएँ...

पढ़िए और पढ़ाइए....

यह खुलापन
यह हँसी का छोर
मन को बाँधता है 
सामने फैला नदी का छोर 
मन को बाँधता है 


भ्रमण-पथ लंबा अकेला
लिपटकर कदमों से बोला 
तेज़ कर लो चाल अपनी 
प्राणवायु का है रेला 
हर दिशा संगीतमय है
मूक सृष्टि 
के इशारे


पीर की गहराई में
दिल की तन्हाई में
ढूँढते खुद को
खुद की परछाई में
'वो' कुछ बोल पड़ा है
हाँ, 'वो' जो सोया पड़ा था


हृदय तड़पा
वेदना के वेग से
ये हृदय तड़पा
अश्रु टपका
रेत में
फिर अश्रु टपका


मीलों तक फैले निर्जन वन में
पलाश के गंधहीन फूल
मन के आँगन में सजाये,
भरती आँचल में हरसिंगार,
अपने साँसों की बातें सुनती

घोर आश्चर्य...
श्री सिन्हा जी की पसंद बहुत ही निराली है पर...
उनके अपने ब्लॉग की कोई रचना नहीं..

:: पाठक परिचय ::
मेरा परिचय अति साधारण है।  
12 अगस्त 1968 को माता श्रीमति ऊषा सिन्हा 
एवं पिता स्व.रत्नेश्वर प्रसाद के आंगन मेरा जन्म हुआ 
तथा बचपन से ही अपनी बड़ी माँ श्रीमति सुलोचना वर्मा, 
जो स्वयं हिन्दी की कुशल शिक्षिका एवं सक्षम कवयित्री है, 
के सानिध्य में पलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ फलतः हिन्दी लेखन का शौक एक आकार लेता गया। 1987-1990 में कृषि स्नातक तथा 1992 से इलाहाबाद बैंक में अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए, वर्तमान में मुख्य प्रबंधक,  व्यस्तता के कारण लेखनी को आगे नहीं ले जा पाया। अभी कोशिश जारी है। अब तक लगभग अपनी 700 रचनाओं के साथ आपके समक्ष प्रस्तुत हूँ तथा जल्द ही अपनी कविताओं की श्रृंखला प्रकाशित कराने की योजना है। 
सादर।।।।
पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा

हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि भविष्य में भी
इनकी पसंदीदा रचनाएं पढ़ने को मिलेगी
दिग्विजय 






19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर लिंकों का चयन P.k जी बहुत आभारी है आपके हृदय से आपने मेरी रचना भी पसंद की बहुत बहुत धन्यवाद आपका।

    इस रचना को पढ़ने के लिए कृपया इस लिंक का प्रयोग करें,http://swetamannkepaankhi.blogspot.in/2017/04/blog-post_26.html?m=1

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात
    आभार भाई पुरुषोत्तम जी
    अच्छी रचनाए चुनी आपने
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात सुंदर संकलन आभार आदरणीय आपका अपनी पसंद की रचनाएं इस मंच पर भेजने के लिए पुनः आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. पुरुषोत्तम जी ने आज का अंक प्रस्तुत कर भावात्मक रचनाओं को प्रमुखता दी है। सुंदर लिंक्स के चयन के लिए आपको बधाई एवं आभार। ऊपर की दो रचनाएं शायद किसी तकनीकी त्रुटि के कारण खुल नहीं पा रही हैं जोकि 404 Error दिखा रही हैं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय दिग्विजय जी ने तकनीकी त्रुटि दुरुस्त कर दी है। सादर आभार।

      हटाएं
  5. शुभप्रभात
    आदरणीय दिग्विजय जी
    एक रचनाशील पाठक व लेखक का
    चयन। श्री पुरुषोत्तम जी की रचनायें
    उन्हीं की भाँति उत्तम एवं संवेदनशील हैं
    आप सभी पाठकों और लेखकों को
    हमारे पाँच लिंकों का आनंद परिवार
    की ओर से हार्दिक
    शुभकामनायें।
    आभार। "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  6. हलचल और इससे जुड़े तमाम सदस्यों का हार्दिक शुक्रिया। विशेषकर यशोदा दी एवं दिग्विजय्जी जिन्होने मुझे मार्गदर्शन व प्रेरणा दी।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति पुरुषोत्तम जी द्वारा

    जवाब देंहटाएं

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