---

रविवार, 4 जून 2017

688 पाठकों के पसंद......आज की पाठिका हैं पम्मी सिंह..

सादर अभिवादन,
पाठकों के पसंद के अंतर्गत आज दूसरी बार
पुनः प्रस्तुत है  पम्मी सिंह की पसंद की रचनाएँ
......
ढूंढ रही हूँ 
वो शब्दों का ताना - बाना 
जो इन लिंकों के 
माध्यम से 
प्रस्तुत कर रही हूँ..

इन्तजार के बाद आयी खुशियाँ....
शाखा -शाखा खिल उठी थी,
खूबसूरत फूलों से....
मंद हवा के झोकों के संग


जितना भी है 
जो कुछ भी है 
सभी कुछ 
खुद बा खुद 
नया नया 
निकल रहा है 
उसे भी 
लिखने का शौक था 
लेकिन घर के
माहौल के कारण 
वह अपनी
कविताएँ और शायरियाँ 
सबसे छुपाकर रखती थी ।
उपवासी अन्तेवासी हूँ,
प्रेम पींग की झुला न देना .
मैं जागी अब सुला न देना ,
हँसा के पिया अब रुला न देना. 


इम्ऱोज  का  फ़र्दा    क्या  हो 
पर  हर  ज़ख़्म   पिए   जाते  हैं 
हर  खलिश  को   दफ़न कर 
मुदावा  खोज़  लाते  हैं 
शायद वो  फ़र्दा  हमारा  होगा 


क्या से आगे क्या ?
आक्षेप, पराक्षेप से भी क्या ?
विशाल, व्यापक और विराट है क्या
सर्वथा निस्सहाय नहीं है ये क्या
उपायो में है जबाब हर क्या का
.......

:: पाठक परिचय ::
पम्मी सिंह के ही शब्दों में....
मैं इन्हीं हर्फों और सप्हों में रची बसी हूँ,क्योंकि
हमारे होने और बनने में कई लोगों के साथ-साथ 
भावों और अहसासों का सहयोग होता हैं। जी, 
धन्यवाद।

pammisingh70ps@gmail.com





12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात
    आभार
    अच्छी रचनाए चुनी आपने
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय यशोदा दीदी
    शुप्रभात ! बहुत ही उम्दा
    रचनायें ,पम्मी जी को इस
    प्रस्तुति के लिए
    हार्दिक बधाई
    आभार।
    "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। आभार पम्मी जी 'उलूक' के सूत्र का पाठकों के पाँच लिंकों में चयन के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ प्रभात, आदरणीय ,दीदी निसंदेह पाठकों की पसंद कड़ी उत्साह और अवसरों को सामजस्य कराती लिंक हैं ।
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

      हटाएं
    2. शामिल करने के लिए बहुत आभार एवं शुक्रिया पम्मीजी ' हंसा के पिया अब रुला न देना' !
      बहुत बढ़िया संकलन एवम उम्दा प्रस्तुति। धन्यवाद।

      हटाएं
  5. आदरणीय पम्मी जी आप की पसंद.....
    पाठकों को विशेष आनंद दे रही है.....
    अगर आप यहां चर्चाकार बनकर....
    स्वयम् प्रस्तुति देते तो आनंद और अधिक आता....
    पाठक भी पुराने चर्चाकारों के साथ साथ....
    नये चर्चाकारों की पसंद को पढ़ने के इच्छुक रहते हैं....
    नये चर्चाकारों की प्रस्तुति से....
    कुछ नये ब्लौगरों से भी परिचय हो जाता है....
    अतिथि चर्चाकारों के द्वारा दी गयी प्रस्तुति....
    आप की पसंद के अंतर्गत प्रस्तुत विशेषआंक पढ़कर....
    बहुत अच्छा लगता है....
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  6. आज की सुंदर प्रस्तुति के लिए पम्मी जी को बधाई। उम्मीद है आप आगे भी ऐसी बेहतर प्रस्तुति के साथ" पांच लिंकों का आनंद" में आती रहेंगी।

    जवाब देंहटाएं
  7. पम्मी जी द्वारा बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुन्दर संकलन....
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद पम्मी जी!मेरी रचना
    "आशान्वित हुआ गुलमोहर"को पाँच लिंको में शामिल करने के लिए...
    बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।