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रविवार, 28 मई 2017
681...''कारवां तो हम बनाते हैं''
12 टिप्पणियां:
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बहुत उम्दा संकलन,सुंदर लिंकों का चयन,मेरी रचना को मान देने के लिए शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात.....
जवाब देंहटाएंमंजे हुए चर्चाकार की तरह
कमाल की प्रस्तुति
सादर
शुभ प्रभात जी
जवाब देंहटाएंसारी रचनाए बहुत सुन्दर है 🌹
बहुत उम्दा प्रस्तुति. मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. सादर
जवाब देंहटाएंएकलव्य जी को उनकी रचनाओं के संकलन के अथक प्रयास हेतु बधाई। भाई मजा आ गया।
जवाब देंहटाएंबढियाँ संकलन..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअपनी सशक्त रचना के माध्यम से समाज को करारा जवाब
जवाब देंहटाएंस्वागत है 'एकलव्य'। बहुत उम्दा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत बढियासंकलन...
जवाब देंहटाएंगहन अध्ययन का परिणाम-ध्रुव जी!बहुत बहुत शुभकामनाएं...
आज की प्रस्तुति के लिए एकलव्य जी बधाई के पात्र हैं। पाठकों की अभिरुचियों के अनुरूप रचनाओं का चयन कर आपने आज के अंक को आकर्षक और विचारणीय प्रस्तुति बना दिया है। सभी चयनित रचनाकारों को भी हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत हलचल! हार्दिक बधाई एकलव्य जी ।
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