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रविवार, 14 मई 2017

667...कुत्ते की पूँछ..क्या कभी सीधी हुई है..

सादर अभिवादन
आज मातृ-दिवस है
धूम-धाम से मनाया जा रहा है
हर वर्ष की तरह..
चन्द पंक्तियाँ....
एक माँ ही है जिसके प्यार में ना मिलावट काेई। 
दुनिया देखी लाेग देखे।
राक्षस देखे फ़रिश्ते देखे।

रिश्ते देखे दोस्त देखे।
हर कहीं पर मिलावट ही दिखी।

अलग अलग रंगो के फूल देखे।
एक माँ ही है जो देती है सब सुख -
उसके प्यार में ना मिलावट।

ना कभी चेहरे पे शिकन देखी।
बाकि तो सबके साथ अच्छा करने -
पर भी हर बार शिकायत देखी।
-विमल गांधी

पाठकों की पसंद...
इस बार किसी पाठक ने अपना रुचि नहीं दिखाई
सो इस बार मेरी ही पसंद की रचनाओं का आनन्द लीजिए

बोल, किस बात का डर है तुझे,
जो तेरे पास है, उसे खोने का
या उसे, जो तेरा हो सकता है?

अनज़ान रास्तों पे निकलना न परिन्दों 
मंजिल को हँसी-खेल समझना न परिन्दों 

आगे कदम बढ़ाना ज़रा देख-भाल कर 
काँटों से तुम कभी भी उलझना न परिन्दों 

खुद ब खुद 
होने लगती हैं अचानक 
कई क्रियाएँ। 
पता नहीं क्यों 
पर खुद ही बाँध लिए जाते हैं 
बंधन पाँव में। 

मन के 
आँगन की 
दीवारों पर... 
न जाने कहाँ कहाँ 
कौन कौन सी दरार ढूंढ कर 
उग आती हैं यादें 
और धीरे धीरे 
पीपल सी जड़ें जमा लेती हैं 

कुत्ते सारे 
मोहल्ले के 

आज सुबह
देखा हमने 
जा रहे थे 

सब अपनी 
अपनी पूँछ 
सीधी करके

पूछने पर 
पता चला 
नाराज हैं

हड़ताल 
पर जा 
रहे हैं
.......

सब पाठक इस सोच में हैं कि हिस्सा कैसे लें...
साधी सी बात..अपने द्वारा फॉलो किए ब्लॉग से पाँच लिंक चुनिए
और भेज दीजिए सम्पर्क फार्म के माध्यम से..
हर रविवार व गुरुवार को प्रकाशित हो जाएगी...
साथ ही साथ आप अपना संक्षिप्त परिचय भी दें
समय का ध्यान रखिएगा... कम से कम दो दिन पहले ही
प्रेषित कर दें...
आज्ञा दें यशोदा को
सादर

मातृ-दिवस की शुभकामनाएँ
एक 
माँ ऐसी भी...
हर माँ को अपना बच्चा प्यारा होता है
देखिए 2 मिनट चालीस सेकण्ड




5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति। आभार यशोदा जी 'उलूक' के 'कुत्ते की पूँछ' को जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय ,यशोदा दीदी आपके अथक परिश्रम को नमन है, शानदार प्रस्तुति ,आभार। "एकलव्य"

    जवाब देंहटाएं
  3. बिलकुल सही है एक माँ ही है जिसके प्यार में कोई मिलावट नहीं होती।
    सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं

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