तुम मरते किरदार को जिन्दा रखो.....विशाल मौर्य विशु
दुश्मन के हर वार को जिन्दा रखो
जीतोगे, बस हार को जिन्दा रखो
हर झूठ को दफ्न हो ही जाना है
सच लिखते अखबार को जिन्दा रखो
सादर
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें
आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।
टिप्पणीकारों से निवेदन
1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।
नमन
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
उम्दा
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी संकलन ! "दिग्विजय जी" आभार।
जवाब देंहटाएंवाह्ह्ह बहुत सुंदर मनभावन संकलन👌
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति। आभार दिगविजय जी 'उलूक' के धुएं को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंVery good presentation. मेरी कविता को स्थान देने के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंVery good presentation. मेरी कविता को स्थान देने के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन, मेरी कविता को शामिल करने हेतु सादर धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन, मेरी कविता को शामिल करने हेतु सादर धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएं