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रविवार, 26 मार्च 2017

मै और वो.......618


नमस्कार 
सुप्रभात दोस्तो 
आज आप सब जानते ही है कि अपने तो अपने होते है, बाकी सब सपने होते है ।
  इसलिए "आप हमेशा आपके अपनो को अपना होने का अहसास दिलाए अन्यथा वक्त आपके अपनो को आपके बिना जीना सीखा देगा ।"

आइए अब चलते है आज की पाँच लिंको की ओर. . . . . 

मैं और वो

शहर की सुंदर लड़की,
तेज़-तर्रार,
नाज़-नखरेवाली,
साफ़-सुथरी,
सजी-धजी,
शताब्दी ट्रेन की तरह 
सरपट दौड़ती.
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  मुकदमा एक साल तक चला।
आखिरकार करुण और समता में तलाक हो गया। तलाक के कारण बहुत मामूली थे। पर मामूली बातों को बड़ी घटना में रिश्तेदारों ने बदल डाला।झगड़ा पति और पत्नी में हुआ, हुआ यूं कि ऑफिस में करुण का झगड़ा किसी .....


न जाने कौन सी तकलीफ लेकर दौड़ता होगा -सतीश सक्सेना


न जाने दर्द कितना दिल में लेकर दौड़ता होगा
कहीं छूटी हुई उंगली पिता की , ढूंढता होगा !


कभी तो याद आएगी उन्हें भी, उस अभागे की
कहीं दिख जाएँ वीरानों में,बेटा खोजता होगा !


कोई सपने में आकर, नींद में लोरी सुना जाए !
हर इक ममतामयी चेहरे में,अम्मा ढूंढता होगा !

मन के पंछी कहीं दूर चल

तुम आशा विश्वास हमारे
तुम धरती आकाश हमारे...गीत बजने लगा है विविध भारती पर ....
है तो प्रार्थना ही पर मैं चली गई अतीत में ,मन भारी हो गया,सूरज की लाली दिखाई देने लगी है अब ..अरे!ये क्या सूरज से पहले तुम उग आए आसमान में!
-मैं जानता था,इस गीत के बजते ही तुम्हारे हृदय की सितार के तार झनझना उठेंगे और मैं चल पड़ा  उन्हें सुनने ...ये क्या? तुम्हारी आँखों में नमी तो नहीं ,मन का बोझ महसूस हो गया था मुझे ...


फ़ेसबुक की जगह अब ताऊ की दिमाग बुक का जमाना आने वाला है।



जब ब्लागिंग अपने चरम पर थी उस वक्त फेसबुक के लिएऐसी कल्पना भी मुश्किल थी की पृथ्वी वासी जंतुओं की शुभप्रभात से शुभ रात्रि तक का जुगाड़ यहीं बन जाएगा.  ब्लागिंगमें किसी ने नित्य एक पोस्ट लगा दी तो बहुत होगया वरना तोसाप्ताहिक पोस्ट तक मामला चल जाता थावैसे कुछ मठाधीषअपवाद भी थे जो एक दिन में कई कई पोस्ट ठेलने में उस्तादथे.
  
वाह रे जकुर बर्गवा तूने भी क्या धोबीपाट मारा है कि आदमीफोन लिए लिए ही किसी की पोस्ट पर हंसता है और किसी कीपर रोता हैगुस्सा होता है और ये सच में अनुभव किया होगाआपने की ये एक्शन होता ही है. 



दोस्त अब दीजिए 
इजाजत 
धन्यवाद 
विरम सिंह


6 टिप्‍पणियां:

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