---

सोमवार, 6 मार्च 2017

598.....एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया : होली है

सादर अभिवादन
कुल जमा आठ दिन बचे हैं होली को
होलाष्टक लग गया है..
कोई शुभ कार्य नहीं
लोगों की जबान का ताला खुल गया है
इससे आगे अंत में लिखूँगी....

अभी तो चलिए पसंदीदा रचनाओं की ओर....

पहली बार....
आँखों में नमी, दिल में श्रद्धा-भाव....राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
सेलुलर जेल, जहाँ एक तरफ अंग्रेजी शासन में अमानवीय यातनाओं का केंद्र रहा वहीं दूसरी तरफ आज आज़ाद भारत में क्रांतिकारियों के तीर्थस्थल के रूप में पहचाना जा रहा है. ऐसे किसी भी व्यक्ति के लिए, जो देश की आज़ादी में न्योछावर हो चुके क्रांतिकारियों के प्रति आदर-सम्मान का भाव रखता है, सेलुलर जेल किसी भी तीर्थ से कम नहीं है.

ग़ज़ल.........कालीपद "प्रसाद"
बेवफा रिश्ते निभाने आ गया
आज मुझको आजमाने आ गया |
भूला बिसरा गीत यादों में बसा
दोस्त उसको गुनगुनाने आ गया |

होली के मतवाले रंग....जयश्री वर्मा
इस प्रकृति के सात रंग से जन्मे कई हज़ार हैं रंग,
ख़ुशी जताते चटकीले रंग,फीके हैं दुखियारे रंग,
इस जीवन की उठापटक के टेंशन वाले न्यारे रंग,
गर जीते तो सर्वेसर्वा वर्ना हैं आरोपों के सारे रंग,

प्रेम -अगन.......निरुपमा मिश्रा त्रिवेदी
नादिरा का चेहरा देख नटखट राधा के होंठो पर मुस्कराहट खेल गयी - " कैसी बात नादिरा" राधा ने पूछा | " यही कि चाहे-अनचाहे ये कमबख्त प्यार-मोहब्बत का टोकरा लिए हर दूसरे दिन कोई न कोई सामने आकर जबरन हाज़िर हो जाता है, क्या बला है ये भी" 
नादिरा की बात सुनकर राधा ठहाका मार कर खिलखला पड़ी, बमुश्किल अपनी हंसी को रोकते हुए बोली कि-" अरे मेरी प्यारी सखी, ये इश्क़ है, प्यार है, मोहब्बत है कोई बला नही है री, ये प्रेम वो अगन है जो लगाये न लगे और बुझाये न बुझे, कितने ही रिश्ते , सपनें सब इस अगन में जलकर राख़ हो जाते मगर ये लाइलाज रोग जैसे ही होता है क्योंकि दिल जो होता है न सबका वो तो किसी सूरत में नहीं मानता जी "



माली...एम.रंगराज अय्यंगर
उस दिन एक चिड़िया
मेरे बगीचे में कोई बीज गिरा गई.
पता तो तब चला जब बाग में
सिंचाई से वह अंकुरित हो उठा ।

बात पते की..डॉ. सुशील जोशी
होली के दिन
बेटा बाजार से
लौट कर
आ रहा था
मुस्कुराकर
अपनी बुआ को
बता रहा था
पडो़स के एक
चाचा जी को
सड़क पर
हिलता डुलता
चलता देख
कर आ रहा था
......
मैे कह रही थी..
लोगों की जबान का ताला खुल गया
कल तक दीदी कहने वाले
आज भाभी कहने लगे...

आज्ञा दें यशोदा को
बुध को मैं नहीं मिलूँगी
पर अंक ज़रूर प्रकाशित होगा






8 टिप्‍पणियां:

  1. प्यादे से फर्जी भयो टेढो‌ टेढो जाये और समझ में आये
    दीदी से भाभी कहे किसे कौन समझाये समझ ना आये ।
    :) :)

    बड़िया प्रस्तुति यशोदा जी । आभारी है 'उलूक' एक बहुत पुराने सूत्र पुरानी बात 'एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया : होली है' को आज की हलचल में जगह दी ।

    जवाब देंहटाएं
  2. आभार यशोदा जी, आपने थोड़ी जगह मुझे भी दी.

    जवाब देंहटाएं
  3. आभार यशोदा जी, आपने थोड़ी जगह मुझे भी दी.

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा प्रस्तुतीकरण
    बुधवार का बेसब्री से इंतज़ार होता लेकिन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बुधवार को महिला सम्मेलन है पटना में ..साथ में होली मिलन भी है
      सो असमंजस में है मेरी दीदी

      हटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।