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रविवार, 15 जनवरी 2017

548..जिंदगी कुछ यूँ भी सँवर जाती ...

      नमस्कार  दोस्तो 

सुप्रभात 
आज 15 जनवरी को प्रस्तुत है 548 वी पोस्ट. ...✝✝✝
आज की सलेक्ट की हुई  पांच लिंक. ....✝✝✝

अब पछताये क्या होत - कहानी




विनय के घर आज हाहाकार मचा था .विनय के पिता का कल रात ही लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया .विनय के पिता चलने फिरने में कठिनाई अनुभव करते थे .सब जानते थे कि वे बेचारे किसी तरह जिंदगी के दिन काट रहे थे और सभी अन्दर ही अन्दर मौत की असली वजह भी जानते थे किन्तु अपने मन को समझाने के लिए सभी बीमारी को ही मौत का कारण मानकर खुद को भुलावा देने की कोशिश में थे .विनय की माँ के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे .बच्चे और पत्नी इधर उधर के कामों में व्यस्त थे ....नहीं थी तो बस अवंतिका.....

जिंदगी कुछ यूँ भी सँवर जाती .






तुम्हारे रुखसार पर घिरी 

ये जुल्फें जरा सिमट जातीं 
चांदनी कुछ और निखर जातीं 
ये रात शबनमी यूँ ही बरस जाती 




निबाह ज़रूरी है - -

आसपास यूँ तो आज
भी हैं ख़ुश्बू के
दायरे,
गुल काग़जी हों या
महकते हुए
यास्मीन,
निबाह ज़रूरी है
मुख़ौटे हों या
असल
चेहरे। बर ख़िलाफ़
क़ुदरत के यूँ 




झरना

झर् झर् झर् झरता है झरना .
सर् सर् सर् बहता है झरना ,
पर्वत के अन्तर में पिघली ,
करुण-कथा कहता है झरना .

रात और दिन झरे निरन्तर .
धरती को जल देता भर भर.
पत्तों को हँसना सिखलाता ,
बंजर को भी करता उर्वर .
खुद ही अपनी राह बनाता ,
अपनी धुन रहता है झरना .
झर् झर् झर् झरता है झरना .



    

व्यंग्य / "साइकिल" जो किसी फेरारी, लैंबॉर्गिनी , बुगाटी या रोल्स रायल से कीमती है ! / विवेक रंजन श्रीवास्तव

हमारी  संस्कृति में पुत्र की कामना से बड़े बड़े यज्ञ करवाये गये हैं . आहुतियो के धुंए के बीच प्रसन्न होकर अग्नि से यज्ञ देवता प्रगट हुये हैं और उन्होने यजमान को पुत्र प्राप्ति के वरदान दिये . यज्ञ देवता की दी हुई खीर खाकर राजा दशरथ की तीनों रानियां गर्भवती हुईं और भगवान राम जैसे मर्यादा पुरोषत्तम पुत्र हुये जिन्होंने पिता के दिये वचन को निभाने के लिये राज पाट त्याग कर वनवास का रास्ता चुना . आज जब बेटियां भी बेटों से बढ़चढ़ कर निकल रहीं है , पिता बनते ही हर कोई फेसबुक स्टेटस अपडेट करता दीखता है " फीलिंग हैप्पी " साथ में किसी अस्पताल में एक नन्हें बच्चे की माँ के संग तस्वीर लगी होती 


आज्ञा दिजिये 
को

7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    अच्छी रचनाओं का चयन
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात आप सभी को बहुत सुंदर अति सुंदर आनंद आ गया आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बहुत धन्यवाद हलचल की इस सुंदर प्रस्तुति के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. विवेक जी का व्यंग्य अच्छा लगा . अन्य रचनाएं भी अच्छी हैं . मेरी रचना को शामिल करने के लिये धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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