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बुधवार, 4 जनवरी 2017

537...दिल कहता है रोएँ लेकिन हँसना पड़ता है

जय मां हाटेशवरी...

सर्वप्रथम मैं नमन करता हूं...
लुई ब्रेल जी को...उन के   पावन जन्म दिवस पर...
जिन्होंने अनगिनत  दृष्टिहीनों के जीवन में...
ब्रेल के प्रकाश से...
ज्ञान के दीपक जलाए...
  कभी कभी इतनी धुंधली हो जाती है तस्वीरें
पता नहीं चलता कदमों में कितनी हैं ज़ंजीरें
पाँव बंधे होते हैं लेकिन चलना पड़ता है
दिल कहता है रोएँ लेकिन हँसना पड़ता है
आज एक बार फिर मैं ही...
कुछ चुनी रचनाएं लेकर उपस्थित हूं...


नया साल आया है
आँचल में अधिकार मिले
अटल रहे अहिवात
कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! भाग-33
अपनी तलाश पर निकलूं,
भी तो क्या फायदा...
तुम बदल गये हो...
खो गये होते तो...
कुछ और बात होती...
 नायब सूबेदार बाना सिंह की ६८ वीं वर्षगांठ-
हमेशा की तरह अतिक्रमण और उकसाने वाली कार्यवाही पाकिस्तान द्वारा ही यहाँ भी की गई। पहले तो उसने सीमा तय होते समय 5180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जो भारत का होता
उसे चीन की सीमा में खिसका दिया। इसके अलावा वह उस क्षेत्र में विदेशी पर्वतारोहियों को और वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए बाहर के लोगों को भी बुलवाता रहता है,
जब कि वह उसका क्षेत्र नहीं हैं। इसके अतिरिक्त भी उसकी ओर से अनेक ऐसी योजनाओं की खबर आती रहती है जो अतिक्रमण तथा आपत्तिजनक कही जा सकती है। यहाँ हम जिस प्रसंग
का जिक्र विशेष रूप से कर रहे हैं, वह वर्ष 1987 का है। इसमें पाकिस्तान ने सियाचिन ग्लेशियर पर, भारतीय सीमा के अन्दर अपनी एक चौकी बनाने का आदेश अपनी सेनाओं
को दे दिया। वह जगह मौसम को देखते हुए, भारत की ओर से भी आरक्षित थी। वहाँ पर पाकिस्तान सैनिकों ने अपनी चौकी खड़ी की और 'कायद चौकी' का नाम दिया। यह नाम पाकिस्तान
के जनक कायदे-आजम मोहम्मद अली जिन्ना के नाम पर रखा गया था।
फल -महिमा -दोहे-
पपीता बहुत काम का, कच्चा खाने योग्य |
पक्का खाओ प्रति दिवस, है यह पाचक भोज्य ||
खट्टा मीठा रस भरा, अच्छा है अंगूर |
खाओ संभल के इसे, अम्ल कारी प्रचूर ||
मीठा होता सन्तरा, ज्यों अंगूर-शराब |
रस इसका खुल पीजिये, पाचन अगर ख़राब ||
नए साल से दो बातें
प्यार-भरे दिल
तोड़े
उनको भी समझाना ।
फूल खिलाते
रहे जो भी
सपनों में भी
उनको
हरदम गले लगाना।
जीवन को साकार करें...
सीमित को अपना कर
जीवन के लय में बह कर
जीवन का सत्कार करें
जीवन को साकार करें!
दशमेश पिता तेरी दुनियाँ में-
तेरे त्याग दया करुणा बल की
नित ज्योति जले इस दुनियाँ में-
आपे ही गुरु, आपे ही चेला
नव -रीत बनाई दुनियाँ में-
चहुं ओर दिगंत  मही जैकारे
क्या सरदार बनाई दुनियाँ में -


आज बस इतना ही...
कल फिर मिलुंगा...
धन्यवाद।


 










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