---

रविवार, 18 दिसंबर 2016

520...जीवन का संगीत है बेटी....

जय मां हाटेशवरी...

आज  एक बार फिर...
 मैं कुलदीप ठाकुर...
उपस्थित हूं....
आनंद के सफर का 520वां  अंक लेकर....
बेटियों की सुरक्षा के लिए हिमाचल सरकार के महिला एवम् बालविकासविभाग   द्वारा....
कन्या बचाओ के अंतर्गत प कन्या भ्रूणहत्या रोकने और लिंग अनुपात में सुधार के लिए 'मुस्कान' योजना का शुभारम्भ किया है।...
 
प्यार भरा
एक गीत है बेटी
जीवन का
संगीत है बेटी....
बेटी जैसे
शीतल बयार
बेटी जैसे
रिमझिम फुहार
जो महककाए
घर का आंगन
बेटी है
वो खिली बहार
एक सुहाना
मौसम जैसे
ऐसे मन का
मीत है बेटी...


विपदा खेल
----
प्यार इश्क तो कतई नहीं
कहला सकता है
प्रिंसेप घाट (कलकत्ता)में
बेटिकट कई शो
देखने को मिल सकता है
---
vibha rani Shrivastava

जिंदगी
 ----
जो दो
उसके हों
दो
मेरे.....!
---
आशा बिष्ट

अमर शहीद राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी जी की ८९ वीं पुण्यतिथि-
---
क्रान्तिकारियों द्वारा चलाये जा रहे स्वतन्त्रता-आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था को देखते हुए शाहजहाँपुर में दल के सामरिक विभाग के प्रमुख
पण्डित राम प्रसाद 'बिस्मिल' के निवास पर हुई बैठक में राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी भी सम्मिलित हुए जिसमें सभी क्रान्तिकारियों ने एकमत से अंग्रेजी सरकार का खजाना
लूटने की योजना को अन्तिम रूप दिया था। इस योजना में लाहिड़ी का अहम किरदार था क्योंकि उन्होंने ही अशफाक उल्ला खाँ के ट्रेन न लूटने के प्रस्ताव को सिरे से
खारिज कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप अशफाक ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया था।
इस योजना को अंजाम देने के लिये लाहिड़ी ने काकोरी से ट्रेन छूटते ही जंज़ीर खींच कर उसे रोक लिया और ९ अगस्त १९२५ की शाम सहारनपुर से चलकर लखनऊ पहुँचने वाली
आठ डाउन ट्रेन पर क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद 'बिस्मिल' ने अशफाक उल्ला खाँ और चन्द्रशेखर आजाद व ६ अन्य सहयोगियों की मदद से धावा बोल दिया। कुल १० नवयुवकों
ने मिलकर ट्रेन में जा रहा सरकारी खजाना लूट लिया। मजे की बात यह कि उसी ट्रेन में सफर कर रहे अंग्रेज सैनिकों तक की हिम्मत न हुई कि वे मुकाबला करने को आगे
आते।
----
शिवम् मिश्रा

गीत
-----
     कितना लूटें, कितना समेंटे बस इनका यही  है धंधा।
     ये अपनों तक को ना छोड़ें मानस इनका होता गंदा।।
     मक्कर से ये दुनिया चलाते इनकी ऐसी होती चालें।
     लाख जतन कर बच ना पाये जिस पर फंदा डालें।।
पैसे के हित कुछ भी करते हरकत चौंकानेवाली देखी।
सूरत देखी साफ, मगर सीरत कुछ  की काली देखी।।
----   
Rajesh Tripathi

कैप्टन राम सिंह राष्ट्रगान के धुन निर्माता
---
आजाद हिन्द फौज के सिपाही और संगीतकार रहे कैप्टन राम सिंह ठाकुर ने ही भारत के राष्ट्र गान “जन गण  मन” की धुन बनाई थी। वे मूलतः पिथौरागढ़ जनपद के मूनाकोट
गांव के मूल निवासी थे, उनके दादा जमनी चंद जी १८९० के आस-पास हिमाचल प्रदेश में जाकर बस गये थे।
----
Kavita Rawat

आज के लिये बस इतना ही....
फिर मिलेंगे...
धन्यवाद।


















7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    बहुत बढ़िया संकलन
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शामिल करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद sir

    जवाब देंहटाएं
  3. शामिल करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद sir

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।