---

मंगलवार, 15 नवंबर 2016

487....व्यक्त जिनको कर न पाए मूकवत मन की व्यथा हैं


जय मां हाटेशवरी...

कल गुरुनानक प्रकाशोत्सव था...
पर चर्चा बाल दिवस की ही रही...
बच्चों को भी पता तक नहीं है कि...
कौन हैं श्री गुरु नानक...
उनकी शिक्षाएं क्या हैं...
मैं हैरान हूं कि...
ये कैसी शिक्षा-प्रणाली है...
पढ़ते हैं आज के लिंक...


तुम अलग युग की कहानी....अभिषेक शुक्ला



इन आँखों से ये ख्वाब ले लो.... दिगम्बर नासवा



भीड़ में सबसे पीछे खड़े का कौन सहारा...गगन शर्मा




माँ..... राजीव शर्मा




लानत.........दिव्या माथुर


आज मेरे कम्प्यूटर में जरा गड़बड़ी पैदा हो गई
एक मित्र की सहायता से ये प्रस्तुति बना पाया हूँ
एवं सूचना भी किसी को नहीं दे पाया हूँ
क्षमा.....







3 टिप्‍पणियां:

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।