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मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016

466,,,हिंदी साहित्य डेढ़ सौ रूपये किलो

हिंदी साहित्य डेढ़ सौ रूपये किलो 
ये पढ़ा और चौंक पड़ा
 एक किलो हिन्दी साहित्य  का डेढ़ सौ रुपया
ताज्जुब इतना हुआ कि अभिवादन करना भी भूल गया
भाई कुलदीप जी को नेट त्योहारी मेंन्टेनेन्स पर है

बड़ा न सही छोटे पटाखे से काम चलाइए आज...


"पिताजी कहते थे बहुत अच्छे लघुकथाकार थे वह | लिखना है तो उनकी कथाएँ गहराई से पढ़ो | आजकल तो तुम जानते ही हो सब ऐसे ही खेल चलता है| साहित्य बेचते-बेचते इतना अनुभव तो तुम्हें भी हो ही गया होगा | आखिर ये बाल धूप में तो सफेद नही ही हुए होंगे तुम्हारें|" व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ ग्राहक बोला|


और अनदेखा कर देता है
जो दिखता कई बार
झाँक के तेरी खिड़की से
कहता - उठ जाग

प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप!
बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!!

ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार!
करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाधार!!

बिजली के बल्ब न हों,दीपों की झिलमिल लड़ी हो,
चेहरे पे मुस्कराहट सबके,खुशियों की फुलझड़ी हो,
भूखे पेट न सोए कोई भी,हर शख्स तृप्ति रस पाए,
स्वागत,सौहार्द से,मिलजुल सब मिलबांट के खाएं।


पापड़ समोसे........... शिखा वर्ष्णेय
आने वाली है दिवाली और शुरू होगा उत्सवों का, पकवानों का एक और नया दौर.
"भुक्खड़ घाट" पर हम मनाएंगे दिवाली सप्ताह -
जहाँ चटोरियों की टोली लेकर आएगी आपके लिए......
आज है पापड़ के समोसे



दिन जाने किस घोड़े पर सवार हैं
निकलते ही छुपने लगता है
समय का रथ
समय की लगाम कसता ही नहीं
और मैं
सुबह शाम की जद्दोजहद में
पंजीरी बनी ठिठकी हूँ आज भी ......


बड़ी-बड़ी आँखें.....गोपेश जैसवाल
‘आँखें तरेरना’ , आँखें निकालना’ , आँखों से अंगारे बरसाना’
आदि मुहावरों का प्रयोग हमारे यहाँ केवल मेरे लिए ही किया जाता है.
सबसे ज़्यादा दुःख की बात यह है कि मेरी श्रीमतीजी की दृष्टि में कोई कंजा कभी शरीफ़ नहीं हो सकता.
अब जब कि मेरे सर की खेती सूख गयी है, ‘कंजे और गंजे’ वाला कॉम्बिनेशन मुझे और दुखी कर रहा है.
मेरी बेटी गीतिका की आँखें कुछ-कुछ मेरी जैसी ही हैं. उसकी आँखों की जब तारीफ़ की जाती है तो मुझे हैरत होती है. पर शोध करने के बाद मुझे पता चला है कि कंजे लड़के और कंजे मर्द बदमाश होते हैं
किन्तु कंजी लड़कियां क्यूट होती हैं.

..............

आज्ञा दें दिग्विजय को
मुलाकात तब होगी जब भाई कुलदीप जी का फोन आएगा
सादर

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर सूत्र चयन सुन्दर हलचल दिग्विजय जी ।

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  2. बढ़िया लिंक्स के साथ हमारी ठंडा लहू कथा को मान देने केलिए आभार आपका भैया ..सादर नमस्ते |

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  3. बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

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  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. https://new-trendingtopic.blogspot.com/2019/01/Works.of.narendra.modi.in.hindi.html

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  6. आपकी पोस्ट बहुत ही खूब है हमें बहुत ही जानकारी मिली है इस पोस्ट से Thankyou >

    https://shaayridilse.blogspot.com/

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