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गुरुवार, 18 अगस्त 2016

398..एक रंग से सम्मोहित होते रहने वाले इंद्रधनुष से हमेशा मुँह चुरायेंगे

सादर अभिवादन स्वीकार करें...
सभी भाई-बहनों को रक्षा-बंधन की शुभ कामनाएँ


देवी जी निमग्न है किचन में
आज भाईयों व ननदों के
आगमन की प्रतीक्षा में..

आज की पसंद मेरी ही सराहना कर रही है.....

हे भारत
आज तुम बिलकुल अकेले हो,
इस महाभारत के रण में,
न कृष्ण है
न अर्जुन,
न धर्मराज,
आज विदुर भी,
तुम्हारा हित नहीं चाहता।


हाल ही में सोनू निगम ने अपने फैंस को तब हैरान कर दिया, जब वह मुंबई की सड़कों पर लगातार तीन घंटे तक भिखारी के भेष में गाना गाते रहे और उन्हें कोई पहचान ही न सका. इस दौरान एक लड़के ने कुछ पैसे उनके हाथ में थमाए और उनसे खाना खाने को कहा. सोनू के मुताबिक ‘‘ये अनुभव बेहद अभिभूत कर देने वाला था. इससे मुझे काफी कुछ हासिल हुआ और लगा कि जिंदगी की सबसे बड़ी सौगात मिल गई हो.’’



" बीबी जी, दूध वाला घी का डिब्बा दे गया है। " " अच्छा ! मांजी को पता तो नहीं चला ना ? " " नहीं , मैंने उसे रात को ही लाने का कहा था ! " " माँजी भी कमाल की हैं। दूध वाले से दूध,खोया और पनीर सब लेते हैं पर घी में ना जाने क्यों उनको बदबू आती है ? कहती है घी या तो मिलावटी है या कच्ची क्रीम से बनाया गया है। पिछली बार तो वापस करवा दिया था लेकिन बार मैं भी देखती हूँ कि उनको कैसे पता चलता है,



यहाँ तक खींच लाईं
विविध रंगों की झांकी
देख आँखें नहीं थकतीं
मन लौटने का न होता
वहीं ठहरना चाहता


सबने कहा 
अब जाकर मैंने गाया 
अपने जीवन का सबसे सुंदर गीत 
दरअसल वो 
मेरा मौन रूदन था 
छलनी दि‍ल से नि‍कलती धुन 
जो कहलाया दुनि‍या का सुंदरतम गीत 



पूछती है सवाल
अक्सर
मेरी तन्हाईयाँ
मुझसे
गुनगुनाती जब
धूप आँगन में


समय भूल जायेगा 
तुझे और मुझे 
फिर हर खेत 
में कबूतरों की 
फूल मालाऐं 
पहने हुऐ रंग बिरंगे 
पुतले नजर आयेंगे 
पीढ़ियों दर पीढ़ियों 
के लिये पुतलों पर 
कमीशन खा खा कर 
कई पीढ़ियों के लिये 
अमर हो जायेंगे 
......
आज्ञा दें दिग्विजय को
सुनिए ये गीत




7 टिप्‍पणियां:

  1. ढ़ेरों शुभकामनाओं संग शुभ प्रभात
    उम्दा प्रस्तुतिकरण

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात जीजाजी
    बढ़िया रचनाएँ
    कहाँ ले ले आते हैं आप
    मुझे इस तरह की रचनाए
    नज़र ही नही आती...

    जवाब देंहटाएं
  3. आशा जी की आवाज में एक सुन्दर राखी गीत के साथ प्रस्तुत सुन्दर हलचल । आभार दिग्विजय जी 'उलूक' के एक साल पुराने पन्ने 'एक रंग से सम्मोहित होते रहने वाले इंद्रधनुष से हमेशा मुँह चुरायेंगे' को आज की हलचल में जगह देने के लिये ।

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  4. उम्दा प्रस्तुति |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं

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