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गुरुवार, 21 जुलाई 2016

370.........मोती शब्दों के

सादर अभिवादन
भाई संजय जी अब तक नहीं दिखे
सो आज मैं फिर से आपके समक्ष.....

आज मेरी पसंदीदा रचनाएँ कुछ यूँ है.....


बचपन यार अच्छा था.... मदनमोहन सक्सेना
जब हाथों हाथ लेते थे अपने भी पराये भी
बचपन यार अच्छा था हँसता मुस्कराता था

बारीकी जमाने की, समझने में उम्र गुज़री
भोले भाले चेहरे में सयानापन समाता था



शिव नाम ही काफी है......कंचन प्रिया
शिव नाम ही काफी है जीने के लिए
कोई और सहारा क्यूँ चाहिए
बड़े भोले है  मन के प्रबल दानी
पल में ढ़ुलते हैं बस भोलापन चाहिए



फिर जिंदगी की एक नई शुरुआत होने को है,
सूखे बंजर में बरसात होने को है, 
तड़पता रहा उम्र भर जिस शख्स के खातिर,
उस शख्स से आज मुलाकात होने को है।

दर्द कितना कहेगा दर्द को महसूस कीजिये 
कुछ फर्ज हैं हमारे ,फर्ज महसूस कीजिये 

सागर की सीपी  में मोती
हैं अनमोल अद्भुत दिखाई देते 
है भण्डार अपार  उनका 
उनसे शब्द मोती से झरते


आज्ञा दें यशोदा को
फिर मिलते हैं

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर
    प्रस्तुति
    आपकी लग्न को सलाम

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया रचना पढवाने के लिए धन्यवाद |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

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