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बुधवार, 20 जुलाई 2016

369..जाते जाते आने वाले को कुछ सिखाने के लिये कान में बहुत कुछ फुसफुसा गया एक साल

सादर अभिवादन..
दूसरे साल का..
आज दूसरा दिन..
फिर से इन्तजार..
364 वें दिन का
बड़ी बेसब्री से..

आज की पसंदीदा रचनाएँ....

क्योंकि मोहब्बत है वो...अनुषा मिश्रा
प्यार अक्सर हार जाता है
कोशिशें इसमें कामयाब नहीं होती हैं
अपेक्षाएं फेर देती हैं इस पर पानी
जिसके लिए जीना ही था आपकी जिंदगी
कई बार उसके जीवन की चुभन बन जाते हैं आप
हर पल उसकी ख्वाहिश करना ही
मार देता है आपकी ख्वाहिशें





अरेंज्ड मैरिज...अवधेश कुमार झा
उसके बदले रुख से डॉक्टर भी हैरान हो गई लेकिन वो 
क्या बताता कि शादी को तीन महीने ही हुए हैं।
रिपोर्ट और पत्नी को लेकर चुपचाप निकल लिया। 
गाड़ी में भी ख़ामोशी छायी रही। 
बहुत हिम्मत करके पत्नी की तरफ़ देखा, "कौन था?" 

"क्या फ़ायदा शादी की रात ही वो सुसाईड कर चुका है।"



है वक़्त बेरहम थानेदार की तरह....गुलाब जैन
ज़िन्दगी है गिरती दीवार की तरह,
हालात चल रहे हैं बीमार की तरह। 

अब किस के पास जाएँ फ़रियाद लेके हम,
है वक़्त बेरहम थानेदार की तरह।



आज पाकिस्तानी मॉडल कंदील बलोच की हत्या से 
ना जाने कितने सवाल जहन में आ रहे हैं जो ये सोचने पर विवश कर रहे हैं कि आखिर इस्लाम के नाम पर, गैर मजहब के नाम पर, महिलाओं (औरत शब्द का प्रयोग मैं नहीं करूंगी क्योंकि इस शब्द का प्रयोग अरब देशों में महिला के जेनाइटल भाग को संबोधित करने के लिए किया जाता रहा है मगर उर्दू में आते-आते इसे महिलाओं के ही लिए प्रयोग किया जाने लगा) के नाम पर एक पूरा का पूरा धर्म इतना डरा हुआ क्यों है कि उसे सब अपने विरुद्ध जाते दिखाई दे रहे हैं। 


आज फिर तुम नाराज हो गये,
मेरे बचपने पर,मेरा तुमसे मिलने को कहना,
तुम्हे मेरी फालतू की जिद ही तो लगती है,
और तुम तो हर काम सोच के समझ कर,
सही वक़्त के आने पर करते हो,...,
और यही उम्मीद तुम मुझसे भी रखते हो,


आज का शीर्षक भी कुछ कह रहा है..

बहुत कुछ सिखा गया 
याद नहीं है सब कुछ 
पर बहुत कुछ 
लिखा गया 
एक साल 
और आते आते 
सामने से साफ साफ 
दिख रहा है अब सीटी बजाता 
जाता हुआ एक साल 

आज्ञा दें यशोदा को
फिर मिलेंगे..


4 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसे कई वर्ष निकलेंंगे अभी आगे । चर्चा जारी रहे लोग जुड़ते चलें काफिले बनें । बस इतनी तमन्ना और है मेरी गली से गुजरने वाले बस एक नजर देखते हुए ही ना निकलें दो ही शब्द चाहे ना अच्छा ना बुरा बस नमस्ते राम राम या आदाब ही कहें । सुन्दर प्रस्तुति यशोदा जी । आपकी लगन और मेऔर हनत पर साधुवाद और हमेशा की तरह 'उलूक' का सलाम आभार सम्मान देने के लिये ।

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  2. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ..
    आभार!

    जवाब देंहटाएं

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