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शनिवार, 26 मार्च 2016

253 .... माँ


सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

आज मेरे बेटे का जन्मदिन है 
सबके आशीष के आकांक्षी हम हैं



अब इस पार या उस पार
बाधाओ से पाना है पार
हौसला मुझे दिखाना होगा
बाधाओ से पार तो पाना होगा
लक्ष्य मैंने साध लिया है
चुनौतियों को स्वीकार लिया है




चैट कीजिये


आज तक केवल चैट और कल्पनाओ की आँख से ही देखता था ।
 कभी भी वह सेल्फ़ी या कोई पिक भेजने से इंकार करती रही थी ।
अब सामने खड़ी होगी और हम खूब बात करेंगे ।
 मन की दुविधा दूर हो जायेगी ।



पढाई के बोझ तले बचपन की खोज

बाल केद्रित शिक्षा,करके सीखना,और मानव निर्माण की शिक्षा,जैसे विचार और नीतियाँ अब सिर्फ शिक्षा शास्त्र की किताबों में गुम हो गयी है.सीसीई पद्धति पर बच्चों का ऐकेडमिक विकास शून्य हो जाता है.बच्चों में पासिंग प्रतिशत तो बढ जाता है पर प्रतियोगी परीक्षाओं में उनका परिणाम औसत से भी कम होता है.आज के समय की माँग है कि बच्चों को स्किलफुल बनाया जाये



मुझको अक्सर दिखती है


 फर्श पे बिखरे पानी पर
 कभी उतर आता
 कभी बादलों से करता
 प्यार भरी मुठभेड़


बे - हिसी

रंजिशों तक ठीक था क्यों साजिशों पर आ गए,
मुतमईन इतने हुए के बदमाशियों पे आ गए.
जानते हैं ये कोई नादान हरकत थी नहीं,
बुद्ध गांधी से चले और याकूब पर तुम आ गए


अचानक

जो ठोकर खाकर भटक गयी
पथ पर रहने के बजाये
पथ का रोड़ा बन गयी ...
अभिलाषाओं को कुंदन हुआ
आशाओं का तुषार पात


माँ

कहने को एक जन्म का नाता हैं
लेकिन सादियों तक कोई भूल ना पाता है
माँ होती हैं बहुत ही खास
कर देती हर संकट को साफ यह मुझको विश्वास
बहुत खुशनसीब होते है वह
रहती माँ हरदम जिसके पास



फिर मिलेंगे .... तब तक के लिए

आखरी सलाम

विभा  रानी  श्रीवास्तव


3 टिप्‍पणियां:

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