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मंगलवार, 12 जनवरी 2016

178..हम सब तहेदिल से स्वच्छ भारत अभियान के साथ हैं

सादर अभिवादन स्वीकारें
आज कोई अग्रलेख नहीं
सीधे चलते हैं..लिंक्स की ओर....

आज की अंतिम कड़ी
दाग  दामन  का छुपाने  का  हुनर देख  लिया ।
आग  सावन  में लगाने का  असर  देख लिया ।।

बड़ी  कमसिन  हो  हिमाकत  तेरी  तौबा  तौबा ।
फिर क़यामत  को  बुलाने का जिगर देख लिया ।।

दफ्तरों से बन गए है, 
जिंदगी के पल 
शाम से मिलते, थके दिन 
रात का आँचल। 

यथार्थ की धरा पर मखमली अहसास से रिश्ते। 
निभें तो जनम-जनम का विश्वास हैं रिश्ते।। 
नया ही रंग है हरपल, प्यार है, मनुहार है रिश्ते। 
यादों के झरोखों में बसा संसार है रिश्ते।।

जादू. तिलिस्म. सम्मोहन.
कुछ होता जो लड़की को अपनी तरफ खींचता बेतरह. यूँ उसे कोई तकलीफ नहीं होती मगर बात इतनी थी कि उसे अपनी मर्ज़ी से एक नयी दुनिया बनानी आती थी. वो कभी भी, किसी भी वक़्त...खुली आँखों से या बंद आँखों से भी, एक दुनिया बनाती चली जाती..


भरी आँखें रुलायेंगी तेरी,  ताजिन्दगी मुझको ,
तुम्हारी याद के संग आयेगी शर्मिंदगी मुझको !

हमें अरसा हुआ दुनियां के मेलों में नहीं जाते 
सहज रहने नहीं देगी, तेरी मौजूदगी मुझको !



प्यार में.... रेवा टिबरेवाल
औरत नाम है ऐसे जीव का 
जो हमेशा पिसती रहती है 
दो पाटों मे 
कभी ससुराल तो 
कभी मायके के नाम पर 
कभी पति तो कभी 
बच्चों के नाम पर ..... 
उसके मन की बात कभी 
कोई नहीं सुनता 
क्योंकि वो खुद की 
कहाँ सुनती है 




और ये रही प्रथम व शीर्षक कड़ी

हम सब तहेदिल से प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के साथ हैं। इस अभियान के तहत घर-घर शौचालय बनवाकर खुले में शौच से मुक्ति के उपाय किए जा रहे हैं। स्वच्छता अभियान का मकसद ही है, 
मल की वजह से पैदा होने वाली बीमारियों से बचाव।
हाल में किया गया एक अध्ययन बताता है कि शौचालयों में बढञिया सीवरेज सिस्टम लगाना बेहद जरूरी है और इसमें पानी की सप्लाई पाईप से हो। हालांकि यह खर्चीला होता है लेकिन हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। खर्च कम करने के लिए भारत में शौचालयों के रूप में अमूमन लीच पिट्स या सैप्टिक टैंक (मल को वहीं नीचे टैंक बनाकर नालियों के ज़रिए बहाना, या उसे मिट्टी में रिसने के लिए छोड़ देना) ही लोकप्रिय है।
लब्बोलुआब यह कि सिर्फ खुले में शौच बंद करना ही एकमात्र उपाय नहीं है। बंद टॉयलेट में शौच के बाद भी वह मल माटी के भीतर मौजूद पानी को संक्रमित न कर दे, इस पर नज़र बनाए रखना भी ज़रूरी है।
........
इज़ाजत दें यशोदा को
मिलते रहेंगे
लेखन की दुनिया में
नया समाचार
कई दिन के 
सन्नाटे में 
रहने के बाद
उलूक टाईम का प्रकाशन
प्रारम्भ हुआ








7 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा लिंक्स , मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया लिंक्स-सह-हलचल प्रस्तुति हेतु आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. hamen shamil karne hetu abhar sundar charcha links hai hardik badhai shubhkamnayen

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभसंधया...
    सुबह हलचल न पढ़ सका...
    सोच रहा था क्या कुछ नया होगा...
    पढ़ा तो सब कुछ नया था...
    आभार दीदी आप का...

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन लिंक दिए आपने , रचना को सम्मान देने के लिए आपका आभार !

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन लिंक दिए आपने , रचना को सम्मान देने के लिए आपका आभार !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति । आपने 'उलूक' के फिर से छपने की खबर दी बी एस एन एल ने ब्राड बैंड सेवा ही बंद कर दी :)

    जवाब देंहटाएं

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