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शनिवार, 19 दिसंबर 2015

आस पास की खबरें



सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

ईक लम्हें के लिये रुका तू भी नहीं मैं भी नहीं।
चाहते दोनों बहुत एक दूसरे को हैं।
मगर ये हकीकत है कि
मानता तू भी नही मैं भी नही॥-


रामदेवसिंह बालेसर


जुस्तुजू ही जुस्तुजू है,  उफनते थर्राते सवाल
राह में टकरा गया मुस्कुराता जवाब देखा है
वक़्त के साथ साथ  ज़माने को, होते बे नक़ाब देखा है

किसी पत्थर में नहीं न किसी ताबीज़ में
अपने अंदर झाँककर रहीम -ओ-राम आज देखा है

Raahi


जितनी  योग्यता  बढ्ती  चले  ,
सफलता  की मंजिल  उतनी  ही   प्राप्त  करता  चले  ,
 रास्ता  सबके  लिए  खुला  है  ,  उस  पर  चलकर  कितना
 पार  कर  सकता  है  ,  यह  व्यक्ति  की  अपनी  लगन ,
साहस  और  विश्वास  पर  निर्भर  है

Anjali


नाग व्यापम का अपना कसे पाश है
बेईमानों की सत्ता बनी खास है
ऐसे में न्याय की ना कहीं आश है
आ गये अच्छे दिन आ गये
सच्चे दिन मैं नहीं मानता ।
 मैं नहीं मानता।

amrnath


जीवन  की परिपूर्णता उपलब्धियों पर निर्भर नहीं करती
बल्कि इस बात में है कि उसे सही तरह से जियें।
या वैसे जियें जैसे हमने हमेशा सोचा था।
हम सब इन बंधनों में स्वयं बंधते हैं और फिर खुद को घिरा हुआ महसूस करते हैं।
और एक दिन हम स्वयं से ही बहुत दूर हो जाते हैं
और चाह कर भी जीवन को अपने हिसाब से जी नही पाते

Bhawna


रात की रानी सी ख़ुशबू  शाम के ढलने के बाद
मेरी ज़ुल्फ़ों से उड़ी तो चाँद पागल हो गया

रूठ कर बादल चले हैं रूठ कर तारे चले
रूठ कर बदली चली तो चाँद पागल हो गया

Anita


आस पास की खबरें
आदत बनकर उत्तेजना में
किसी की भी जान ले सकती हैं। ....
चालीस फोटो के साथ चार पृष्ठों में
पति की तारीफ़ से भरा पत्र
जब एक पत्नी से शेयर कर दिया

Kanchan



तन्हा अजमेरी

फिर मिलेंगे ...... तब तक के लिए

आखरी सलाम



विभा रानी श्रीवास्तव

8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    आपकी प्रस्तुति हमेशा लाजवाब रहती है
    ऩमन के साथ
    यशोदा


    जवाब देंहटाएं
  2. आंटी शुभप्रभात....
    सुंदर लिंक संयोजन....

    जवाब देंहटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं

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