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शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

153....प्रीत सी प्यारी शरद ऋतु आई

सादर अभिवादन
आज का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है
आज ही के दिन
संत शिरोमणी परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास 
का जन्म हुआ...आज उनकी 259 जयन्ती है


रायपुर जिला गजेटियर के अनुसार गुरू घासीदास का जन्म 18 दिसंबर सन् 1756 को एक श्रमजीवी परिवार में बलौदाबाजार तहसील के अंतर्गत महानदी के किनारे बसे गिरौदपुरी ग्राम में हुआ। यह गांव छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी शिवरीनारायण से मात्र 11 कि.मी. दूर है। इनके पिता का नाम मंहगू और माता का नाम अमरौतिन बाई था।

अब शेष रचनाओं की कड़ियां....


मन की झील पर यादें कोहरे सी छाई
एक बार फिर प्रीत की शरद ऋतु आई
बीती बातों ने नवल किरणें बिखराई
आँखों में प्रेम की फिर छवि लहराई
प्रीत सी प्यारी शरद ऋतु आई


जब भी मिला दरिया मिला सागर नहीं आता
उसे देखा नहीं लेकिन दिल में रहा तो था
सफर में कहीं वो मील का पत्थर नहीं आता
सुनता हूँ खुदा मेरा फलक पर है जमाने से
वह क्यों मेरे सामने उतरकर नहीं आता


उर आंगन में रचें स्वर्ग जब
उसका ही प्रतिफलन हो बाहर,
भीतर घटे पूर्णिमा पहले
चाँद उगेगा नीले अम्बर !


यूँ तुम से बिछड़ के हम रह नहीं पाते हैं 
कैसे कहें कुछ कह नहीं पाते हैं ..
ये उम्र यूँ ही कट रही है ..
कुछ है जो हम सह नहीं पाते हैं 
यूँ तुम से बिछड़ कर हम रह नहीं पाते हैं ..


मेरी ख़ामोशी
इधर-उधर घूमती पुतलियाँ
ढूँढती हैं शब्दकोश
ताकि कह सकें
कि कैसा लगता है
जब तपते माथे पर
कोई ठंडी हथेली नहीं रखता


ना ठोकर ही नयी है, ना जख्म पुराने हैं 
हर  हाल में  जिंदगी तेरे  नाज़ उठाने हैं

सिमटने तो लगें हैं पँख हमारी अना के  
आसमां से अपने भी मगर बैर पुराने हैं 


पिछले दिनों जब दिलीप साहब का भावहीन चेहरा टीवी पर देखा तो बहुत कुछ रीत गया.दिलीप साहब को ऐसे देखने की आदत नहीं थी.शायद वे इस दुनियां में रहते हुए भी यहाँ से मीलों दूर थे.बचपन से ही उनकी फ़िल्में देखते हुए बड़े हुए एक पूरी पीढ़ी के लिए सदमे जैसा था.


इज़ाज़त दें यशोदा को
फिर मिलेंगे..
पास में ही श्रीमद् भागवत का प्रवचन हो रहा है
प्रवचन कर्ता द्वारा गाया जाने वाला भजन मन को भा गया
आप भी सुनिए..








7 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर लिंक्स का संयोजन।बहुत खूब।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर लिंक्स का संयोजन।बहुत खूब।

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात छोटी बहना
    लिंक्स की सुंदर गुलदस्ता
    शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.
    मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर हलचल और सुन्दर गीत प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. सचमुच दिलीप कुमार जी को देखकर उनकी फ़िल्में और गीत याद आ रहे थे, समय के साथ सब कुछ बदल जाता है. आभार मुझे आज की रंग बिरंगी हलचल में शामिल करने के लिए

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  7. सुंदर हलचल....
    आभार दीदी आप का....

    जवाब देंहटाएं

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