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बुधवार, 23 दिसंबर 2015

158...दुनिया और ब्रह्मांड की बात क्या करना, इस छोटे से नक्शे में भी उसका नामो निशान नहीं है।

जय मां हाटेशवरी...

बहुत पुरानी बात है। किसी शहर में एक बड़ा धनी सेठ रहता था। वह सेठ दिल का उदार था और परोपकार में भी आगे रहता था। जो भी संत उस शहर में आता, उनका वह जी भर सत्कार करता। इसके चलते उस शहर में ही नहीं, दूर-दूर तक सेठ के दान-पुण्य के कार्यों की चर्चा रहती थी। इन सबकी वजह से सेठ के मन में अहंकार आने लगा था। वह दान-पुण्य तो करता ही रहा, लेकिन धीरे-धीरे अपने सद्गुणों को लेकर अपनी श्रेष्ठता का भाव उसके अंदर बैठता चला गया।

कुछ समय बाद एक बड़े संत उस शहर में आए। सेठ को जब इसका पता चला तो वह संत के पास पहुंच गया। उसने संत से कहा, 'हमारा सौभाग्य है कि आप हमारे शहर आए। आप मेरे घर को भी अपनी चरण धूलि से पवित्र कर दें तो मैं कृतार्थ हो जाऊंगा।' यह कहकर वह संत को अपना भव्य बंगला दिखाने ले आया। संत अलमस्त थे, पर सेठ अपने बड़प्पन की डीगें हांकने में व्यस्त था। संत को उसकी हर बात में अहम नजर आ रहा था।

आखिर संत ने उसकी मैं-मैं की महामारी मिटाने के उद्देश्य से दीवार पर टंगे मानचित्र को दिखाते हुए पूछा, 'इसमें तुम्हारा शहर कौन सा है' सेठ ने मानचित्र पर एक बिंदु पर उंगली टिकाई। संत ने हैरान मुद्रा में पूछा, 'इतने बड़े मानचित्र पर तुम्हारा शहर बस इतना सा ही है। क्या तुम इस नक्शे में अपना बंगला बता सकते हो।' उसने जबाव दिया, 'इतने बड़े नक्शे में भला मेरा बंगला कहां दिखेगा महाराज। वह तो ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है।' संत ने पूछा, 'तो फिर इतना अभिमान किस बात का।'

शर्मिंदगी के मारे सेठ का सिर झुक गया। वह समझ गया कि दुनिया और ब्रह्मांड की बात क्या करना, इस छोटे से नक्शे में भी उसका नामो निशान नहीं है। अपनी मूर्खता में वह बेवजह ही स्वयं को अति महत्वपूर्ण मान रहा था।
संकलन: सुभाष बुड़ावनवाला

अब चलते हैं...आज की हलचल की ओर...

अश्क आँखों में सदा सबसे छुपाना
क्या खरी ही तुम सदा कहते रहे हो
मिर्च तुमको इसलिए कहता जमाना
वे चुरा लेते हमेशा भाव मेरे
है नहीं आसान अब इसको पचाना
तुम हँसो तो साथ में हँसता जमाना...ऋता शेखर मधु





यहाँ हर रिश्ता जायज  है, रिश्ते को नाम न दो।  लोग खुलकर बोल रहे हैं।  खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं।  भावनाओं की चाँदी है और कामनाओं
की भी।  प्रीत के तार ऐसे जुड़ें हैं कि टूटने का नाम ही नहीं लेते हैं. नैन मटक्का अब चैन मटक्का बनता जा रहा है, कुछ नए रिश्ते गुदगुदा रहें है, कुछ प्रीत
की डोर से बँधने के लिए तैयार बैठें हैं।  कुछ रिश्तें सेलिब्रिटी बनकर अपने जलवे दिखा रहें है.  चैन लूटकर ले गया बैचेन कर गया  ........ यहाँ हर आदमी बैचेन
हैं।  कोई कुछ पाने के लिए कोई कुछ खोने को।
चैन लूटकर ले गया। .......shashi purwar


ऐसी भी अन्जान नहीं मैं अब सजना
बिन देखे मुझको दिखता है सब सजना
अच्छा--तो वो क्या है
वो सागर है---उस सागर में
इक नैया है--अरे तूने कैसे जान लिया
मन की आँखों से नाम लिया
वो क्या है....
कवर प्रस्तुति -गायक --सफीर और अल्पना
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सुनो ,माँ का पत्र आया है .बच्चों सहित घर बुलाया है ---कुछ दिनों के लिए घर हो आते है .बच्चों की
छुट्टियां भी है .”पति ने कहा .
“मैं नहीं जाऊँगी उस नरक में सड़ने के लिए .फिर तुम्हारा गाँव तो गन्दा है ही ,तुम्हारे गाँव के और घर
आग्रह...भगीरथ



दो दिन बाद क्रिसमस  आने वाला है...
इस लिये  अब अंत में....
क्रिसमस स्पेशल केक बनाने की विधि - Christmas Special Cake Hindi Recipe
अगर केक पूरी तरह से बेक हो गया है, तो उसे खुले में रख दें और ठंडा हो जाने दें। ठंडा होने पर केक में चाकू की सहायता से कुछ छेद करें और उनमें ब्रैंडी भर
दें। उसके बाद केक को प्लेट में निकाल लें। उसके बाद केक पर मेवे लगाकर ऊपर से आइसिंग शुगर छिड़कें। फिर चाकू की सहायता से चारों ओर खुबानी/ऐपल जैम लगाएं। उसके
बाद मार्जपेन की कोटिंग करें और ऊपर से नींबू का रस छिड़क दें।
अब आपका क्रिसमस केक तैयार है। इसे चाकू की सहायता से छोटे-छोटे पीस में काटें और सर्व करें।

आज्ञा दें
फिर मिलते हैं
कुलदीप सिंह ठाकुर

   

8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
    बेहतरीन कड़ियां
    केक सिर्फ क्रिसमस में ही नही हर
    हर जगह काटा जाता है
    कुछ ही वर्षों मे बकरीद में भी
    बकरेनुमा केक
    काटा जाएगा
    सादर

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    1. सुन्दर लिंक की प्रस्तुति! साभार! आदरणीया यशोदा जी!
      Hkkjrh; lkfgR; ,oa laLd`fr

      हटाएं
  3. सुन्दर लिंक की प्रस्तुति! साभार! आदरणीया यशोदा जी!
    भारतीय साहित्य एवं संस्कृति

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया ब्लॉग है आपका.
    http://recipeshindi.com/

    जवाब देंहटाएं

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