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शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

132....जब 'मुर्दा' बोला? ..एक बीड़ी म्हारी भी लगा दो!

सादर आभिवादन
कल संजय भाई का नेट
काम नहीं कर रहा था
सो भाई कुलदीप जी ने
अपने कार्यालय हेतु

बनाई गई प्रस्तुति
यहां प्रकाशित कर दी
जन-जागरण के लिए ये
आवश्यक भी है....


चलिए चलें आज की पसंदीदा रचनाओं की कड़ियों की ओर...


जाने कहाँ ? 
गुम जाने की उसकी बुरी आदत थी, 
या फिर 
मेरे रखने का सलीका ही सही न था, 
चश्‍मा दूर का 
अक्‍सर पास की चीजें पढ़ते वक्‍़त 
नज़र से हटा देती थी 


अपनों के किये कराये 
पर लिखा गया 
ना नजर आता है 
ना पढ़ा जाता है 
ना समझ आता है 
भाई ‘उलूक’ 
लिखना लिखाना है 
ठीक है लिखा करो 


जब 'मुर्दा' बोला? 
वे अंधेरे में ही शव के नजदीक एक पुलिया पर बैठ गये। एक ने बीड़ी निकाली और जलाने लगा।
दूसरा बोला-एक बीड़ी मेरी भी लगा लेना!
तभी आवाज आयी- भाई! एक बीड़ी म्हारी भी लगाय दो!
तीनों ने एक दूसरे के मुंह को देखा, मानों एक दूसरे से पूछ रहे हों कि कौंन बोला? क्योकि तीसरा सिपाई बीड़ी नहीं पीता था।
तभी उन्होने देखा कि मुर्दे ने अपना हाथ ऊपर कर रखा है, और वह फिर बोला- भाई! एक बीड़ी म्हारी भी लगा दो! 


शहीद हूँ मैं .....
मेरे देशवाशियों
जब कभी आप खुलकर हंसोंगे ,
तो मेरे परिवार को याद कर लेना ...
जो अब कभी नही हँसेंगे...


अभी तारे नहीं चमके 
जवां ये शाम होने दो 
लबों से जाम हटा लूँगा 
बहक कर नाम होने दो 














हाल ही में रश्मि रविजा जी का उपन्यास ‘काँच के शामियाने’ पढ़ कर समाप्त किया है! कुछ उनके प्रखर लेखन के ताप से और कुछ काँच के शामियानों के नीचे खड़ी मौसमों की बेरहम मार झेलती उपन्यास की नायिका जया की व्यथा कथा की आँच से मैं स्वयं को भी झुलसा हुआ ही पा रही हूँ ! 

आज्ञा दें यशोदा को
फिर मिलते हैं
















8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात...
    समस्त पाठकों को...
    आभार दीदी आप का...
    सुंदर व पठनीय हलचल के लिये...

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर हलचल प्रस्तुति । आभार 'उलूक' का सूत्र 'अपनों के किये कराये पर लिखा गया ..' को स्थान देने के लिये यशोदा जी ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर हलचल और अद्भुत लिंक संयोजन ...........

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीया यशोदा जी, सुन्दर-सुन्दर आलेखों के साथ मेरा साधारण सा संकलन प्रकाशित करने के लिए धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  6. एक विवाह समारोह से लौटने के बाद आज इन लिंक्स को देख पाई हूँ ! मेरी प्रस्तुति को इन लिंक्स के साथ सम्मिलित करने के लिये मैं आपकी आभारी हूँ यशोदा जी ! हृदय से आपका धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं

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