---

गुरुवार, 22 अक्टूबर 2015

विजय पर्व पर कीजिए पापों का संहार ........अंक 96

आप सभी को संजय भास्कर का नमस्कार
विजयादशमी के पवन पर्व पर ब्लॉग पर मेरी दूसरी प्रस्तुति है उम्मीद है सभी को पसंद आये.....!!


सीधे सरल शब्दों में, मैंने दिल की बात कही है  :))
सीधे सरल शब्दों में,                              
मैंने दिल की बात कही है....
सीधे सरल तरीके से,
तुम्हारे दिल तक पहुच गयी है....
'आहुति'..................... सुषमा वर्मा 

तेरे हिस्से का वक्त :)
तुमने देखा ही होगा
अचानक
नीरव गगन में बिजली का कौंधना,
चौंधिया जाती है जिससे निगाहें अक्सर
बेचैनियों का गुलदस्ता ................. अंकुर जैन 

मेरे चेहरे पे मत जाना :))
देखो..मेरे चेहरे पे मत जाना
कभी-कभी रंगकर्मी की तरह
बदल लेती हूँ भाव अपने चेहरे के
सीख रही हूँ न..
जीवन जीने की कला
दुनिया भी तो ऐसी ही है न
शक्ल देखकर..मन पढ़ लेती है
कुछ ख़याल मेरे..................... पारुल चंद्रा 


विजय पर्व पर कीजिए, पापों का संहार :))
जगत जननी जगदम्बिका, सर्वशक्ति स्वरूप।
दयामयी दुःखनाशिनी, नव दुर्गा नौ रूप।। 
शक्ति पर्व नवरात्र में, शुभता का संचार।
भक्तिपूर्ण माहौल से, होते शुद्ध विचार ।। 
जयकारे से गूंजता, देवी का दरबार।

पर वो गरीब आज भी गरीब है :))
दिख जाते हैं 
अक्सर कई फ़कीर 
गंदे मैले कुचैले से 
कपड़े पहने 
राहों पर 
कोई गरीब कचड़ा बीनता 
कोई मासूम भीख मांगता 
गाड़ियों में 


इसी के साथ आप सभी से इज़ाज़त चाहता हूँ
आप सभी मित्रों को दुर्गा पूजा, विजयादशमी और दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएँ :))


-- संजय भास्कर


8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई संजय जी
    विजयादशमी की शुभकामनाएँ
    पठनीय रचनाओंं का चयन
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. विजयादशमी पर शुभकामनाऐं । सुंदर प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति!
    सभी हलचलकारों को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छी हलचल। सुन्दर लिंक्स। दशहरे की शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  5. अच्छी हलचल। सुन्दर लिंक्स। दशहरे की शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  6. http://deshwali.blogspot.com/
    .
    (1) दहशत है फैली
    दहशत है फैली हर शहर मोहल्ले मोहल्ले
    नफरत भरी गलियां देखो इन हुक्मरानों की
    .
    भाव चवन्नी के बिकती मजबूर काया यहाँ
    बेगेरत मरती आत्मा देखो सियासतदानों की
    .
    तिल तिल मरते कर्ज में डूबे अन्नदाता यहाँ
    सुखा है दूर तलक देखो हालत किसानों की
    .
    धर्म की बड़ी दीवार खड़ी है चारों और यहाँ
    जानवर निशब्द है औकात नहीं इन्सानों की
    .
    ..(2) नस्लों मैं भेड़िये
    ना जाने यह कैसे कैसे अभियान चलाते है
    फिर इनकी आड़ मैं यह इंसान जलाते है
    .
    जब देखा फ़ैल रही है भाईचारे मशालें यहाँ
    फिर यह नफरतों के चुभते बाण चलाते है
    .
    लड़ाकर हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस मैं
    फिर भी नस्लों मैं भेड़िये यह इंसान कहलाते है
    .
    गए नहीं कभी मंदिर मस्जिद की चोखट पर
    अपना ही धर्म सबसे से ऊँचा हमको सिखलाते है
    .
    इतने मैं ना हुआ इनका मकसद पूरा तो
    फिर यह दुष्ट गीता और कुरान जलाते है
    .
    फिर ले जाकर इन मुद्दों को संसद तक "राज"
    वहां भी लगता है जैसे हैवान चिल्लाते है

    जवाब देंहटाएं
  7. http://deshwali.blogspot.com/
    (3) अखलाक़
    एक अफवाह उडी के बीफ खाया जा रहा है
    हम कितने DIGITAL है यह जताया जा रहा है

    कोई धर्म नहीं शायद इनका फिर कौन है यह
    बीफ के नाम पर क्यूँ नफरतों को बढाया जा रहा है

    कुछ तो फर्क कर देता खूँ मैं भी ऐ खुदा
    जिनके सहारे कत्ले-ऐ-आम मचाया जा रहा है
    .
    कसूर इतना था उस गरीब का वो इक मुस्लिम था
    जाने किस किस को यह पाठ पढाया जा रहा है

    क्यों और कब तक मरेंगे यूँही कितने (अखलाक )
    मातम है कहीं तो कहीं जश्न मनाया जा रहा है

    यहाँ जब कोई नहीं सुन रहा उस गरीब की आह
    दूर कही अनसुलझा मसला-ऐ-कश्मीर सुलझाया जा रहा है |

    जवाब देंहटाएं
  8. .................शर्म से सर झुक गया
    कल मेने एक विदेशी दोस्त को दादरी घटना की थोड़ी डिटेल बताई
    दोस्त थोडा चोंका, फिर उसने जो जवाब दिया कसम से शर्म से सर झुक गया ..
    उसका जवाब था.....तो भाई इसका मतलब यह हुआ की इंडिया में एक जानवर को माता कहा जाता है
    यानि हर नस्ल की माता , नागोरी, थरपारकर, भगनाड़ी, दज्जल, गावलाव ,गीर, नीमाड़ी, इत्यादि इत्यादि,
    कोई बड़े सिंग वाली माता...कोई बड़ी पूँछ वाली माता...कोई काली कोई सफ़ेद माता
    कोई चितकबरी माता...कोई बड़े थन वाली माता...कूड़ा करकट खाती माता..
    फलां फलां यानि हर नस्ल की माता .....
    मेने कहा भाई ऐसी बात नहीं है यह तो कुछ तुच्छ किस्म के लोग हिन्दुस्तानीयों के दिल में नफरत भरकर अपनी रोटियां सेक रहे है ..
    .उसने कहा यार यह कैसी माता है जिसकी आड़ में लोगों के क़त्ल तक कर दिए जाते है ............
    .,कसम से जवाब देते ना बना ..में आहिस्ता से खिसक लिया
    जाते जाते पीछे से उसने चिल्लाकर कहा ..अरे भाई सुना है ब्राज़ील में तो एक गीर नस्ल की माता ने तो दूध देने के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए..
    ...
    में सोचता रह गया आखिर बन्दे ने गलत भी तो नहीं कहा था एक कड़वी सच्चाई से रूबरू करा गया .

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।