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मंगलवार, 11 अगस्त 2015

और भी है खूबसूरत है ..........चौबीसवां अंक

शुभ प्रभात...
ख़ूबसूरत है वो मुस्कराहट 
जो दूसरों के चेहरों पर भी मुस्कान सजा दे 
ख़ूबसूरत हैं वो जज्बात जो किसी का एहसास करें 
ख़ूबसूरत है वो एहसास जो किसी के दर्द मे दवा बने 
ख़ूबसूरत हैं वह बातें जो किसी का दिल न दुखाएं 
मैं न जानू की कौन हूँ मैं,
लोग कहते है सबसे जुदा हूँ मैं

ये रहे आज की पसंदीदा लिंक्स.....


मैनें रेखाचित्र बनाये,
जगह जगह से कर एकत्रित, 
आकृतियों के ढेर सजाये ।


आज, जो ये आज है 
कल नहीं रह जाएगा। 
बारिश के बादलों सा 
कुछ बरसेगा 
कुछ रह जाएगा॥ 


इश्क में तेरे
बदल लिया है वेश
फिरते हैं दर दर
तलाश में तेरी


बहुत सा बहुत कुछ 
और भी है खूबसूरत है 
खूबसूरती से उतारता है 
खूबसूरत लफ्जों को 
लिखा हुआ हर तरफ 
सभी कुछ खूबसूरत 
और बस खूबसूरत 
सा नजर आता है 


मुझे आज भी याद है,
वो खामोश सी शाम...
ना जाने कितने ही..
अफ़साने छिपाये गुजरती,
जा रही थी..
वो खामोश सी शाम....


सफ़र में मुश्किलें आयें, 
तो जुर्रत और बढती है ,
कोई जब रास्ता रोके , 
तो हिम्मत और बढती है....

इज़ाज़त दीजिए यशोदा को....

अंत में एक गीत..



















5 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर 24वाँ अंक । आभार यशोदा जी 'उलूक' के सूत्र 'समझ में आता है कभी शुतुरमुर्ग क्यों रेत में गरदन घुसाता है' को पाँच में स्थान देने के लिये ।

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  2. शुभप्रभात....
    सुंदर लिंकों का संकलन....

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. bhaut bhaut dhanaywaad mam... jo apne 5 links me mujhe sthan diya aur sarhAana ki....

    जवाब देंहटाएं

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