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सोमवार, 3 अगस्त 2015

लक्ष्य पर चमकते निशान बनो तुम.... सोलहवाँ अंक

आज सातवां दिन है
और आज ही राष्ट्रीय शोक का समापन भी है
क्या हम इनको भूल जाएँ...
कदापि नहीं,,,

सफ़र में मुश्किलें आयें, तो जुर्रत और बढती है ,
कोई जब रास्ता रोके , तो हिम्मत और बढती है....

चलिये चलते हैं आज की पसंदीदा लिंक्स का ओर....



आप अपना भविष्य नहीं बदल सकते 
पर आप अपनी आदतें बदल सकते है 
और निश्चित रूप से आपकी आदतें
आपका फ्यूचर बदल देगी।


ज़िंदगी में कठिनाइयां हैं तो क्या 
लक्ष्य पर चमकते  निशान बनो तुम 


खिले सुमन
सजा हर बदन
सुरभित पवन
पंछी मगन
हर्षित जन-जन
धरा पुजारन  
मुग्ध नयन
अश्रु जल से
धोये चरण
करे अर्पण
निज जीवन धन


अचानक 
कोई और बोला 
गिद्धों को देख कर 
नये सीख रहे हैं 
गिद्ध हो जाना 
ये चले भी जायेंगे 
कुछ दो चार सालों में 
नये उग जायेंगे गिद्ध 


झुकना तो चाहिए
भगवान के सामने धन्यवाद में
किसी के सम्मान में
किसी के प्यार में
कृतज्ञता बोध में
अनुग्रह में
पर ये अकड़ी रहती है
अहंकार में


तुम तो मुझे रुलाकर दूर चले गये..
मै किससे पूछूँ मेरी खता क्या है..

चलती हूँ....
आज्ञा दीजिए यशोदा को
फिर मिलते हैं न...




















10 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर सावन की सुंदर सोलहवीं प्रस्तुति । आभार यशोदा जी 'उलूक' के सूत्र 'गिद्ध उड़ नहीं रहे हैं कहीं गिद्ध जमीन पर हो गये हैं कई' को आज के पाँच सूत्रों में आपने जगह दी ।

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  2. बहुत-बहुत धन्यवाद यशोदा जी मेरी रचना को आज की पांच लिंक्स में सम्मिलित करने के लिये ! अन्य सभी सूत्र भी अत्यंत उत्कृष्ट एवं पठनीय हैं ! आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं

  3. ​बहुत हीं सुन्दर सूत्रों का संकलन.... मान देने के लिए धन्यवाद ​....:)

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर सूत्रों से सजी प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर सूत्रों से सजी प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  6. मेरी कविता शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद आभारी हूँ.
    अच्छी कविताओं का संग्रह पड़ने मिल रहा हैं यहाँ पर धन्यवाद।
    indumukho.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं

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