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बुधवार, 22 अक्टूबर 2025

4548..हालात पे नजर रखें..

 ।।प्रातःवंदन।।

"किसको उम्मीद थी जब रौशनी जवां होगी,

कल के बदनाम अंधेरों पे मेहरबां होगी।

खिले हैं फूल कटी छातियों की धरती पर,

फिर मेरे गीत में मासूमियत कहाँ होगी"

कवि/शायर अदम गोंडवी (रामनाथ सिंह) की जयंती पर नमन

(22अक्टूबर 1947,निवास स्थान:अट्टा परसपुर, गोंडा,उत्तर प्रदेश,भारत हाशिए की जातियों,दलितों,गरीब लोगों की दुर्दशा को उजागर करती लेखनी।) आज की प्रस्तुतिकरण में शामिल रचनाए ..✍️

टारगेट’ पर तेरा सर (गजल)

दवा की जगह वे जहर रखेंगे

हालात पे फिर वे नजर रखेंगे

यूँ तो हौसला देंगे दौड़ने का

मगर रास्ते में वे पत्थर रखेंगे

खबरों के लिए ही संग चलेंगे..

✨️

आओ आज एक दीप जलाएं

कुछ ऐसा करें 

कि मुरझाए चेहरे मुस्कुराएं

आओ आज एक दीप जलाएं।

एक दीप

जो समरसता का हो 

सबकी साझी सभ्यता का हो।

✨️

नगरी प्यारी राम की, बहती सरयू धार

नगर अयोध्या आ गए , करने को उपकार।।

राम-राम के बोल में, रमता है संसार।

माया से तू दूर हो, मानव से कर प्यार।।

✨️

बांचती रही हूं

 बस तुम्हें औ तुम्हारा लिखा ही मैं बाँचती रही हूं

तुम्हे सोना चांदी हीरा मोती सम मैं आंकती रही हूं

 अक्षरशः पढ़ना तुझे जैसे सांस सांस लेना

तेरा वजूद तूफान सा और मैं पत्ते सी कांपती रही हूं

एक मंज़र सा तू, मिरी तलाश उम्र भर की..

✨️

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

2 टिप्‍पणियां:

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