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शनिवार, 2 अगस्त 2025

4468 ...कोई जिन्दा मिले , तो बताऊं न

 सादर अभिवादन



मेरी माँ
हर दिन अपने बूढ़े हाथों से
इधर उधर से मिट्टी ला कर

घर की कच्ची दीवारों के ज़ख़्मों को
भरती रहती है

तेज़ हवाओं के झोंकों से
बेचारी कितना डरती है

मेरी माँ
कितनी भोली है
बरसों की सीली दीवारें

छोटे-मोटे पैबंद से
आख़िर कब तक रुक पाएँगी

जब कोई बादल गरजेगा
हर हर करती ढह जाएँगी
-निदा फ़ाज़ली

और भी है... क्रमशः आएगी ही



थाईपुसम त्योहार भगवान मुरुगन के प्रति समर्पण का उत्सव है ! इस त्योहार में सबसे कठिन तपस्या वाला कांवड़ है। वाल कांवड़ लगभग दो मीटर लंबा और मोर पंखों से सजा हुआ होता है। इसे भक्त अपनी शरीर से जोड़ लेते हैं। ये भक्त भगवान की भक्ति में इतने लीन रहते हैं कि इन्हें किसी भी तरह की दर्द, तकलीफ का अहसास तक नहीं होता। वहीं इस क्रिया में ना हीं खून निकलता है और ना हीं बाद में शरीर पर कोई निशान बचा रहता है !






ब्रह्म लोक ले जाने आये,
वरदाता यह इंद्र मुझे
इंद्रियों पर कर नियंत्रण,
विजय पायी है तप से अपने

किंतु मुझे जब ज्ञात हुआ कि,
आप यहाँ आने हैं वाले
निश्चय किया। नहीं जाऊँगा,
बिना आपके दर्शन पाये

धर्म परायण आप महात्मा,
आपको मैं निवेदन करता
स्वर्ग व ब्रह्म लोक जो जीते,
उन्हें आपको अर्पित करता




कोई जिन्दा मिले ,
तो बताऊं न!
डर कितना , बड़ा झूठ है!
पर तुम सब तो ,
लड़े ही नहीं,
डर से डर गये,
और मर गये!



फिर आप राह चलते
मिल जाते हो,
कभी बैठकर
मेरी आँखों को
पढ़ा ही नहीं।





राजकुमार सिद्धार्थ से महात्मा बुद्ध बनने के बीच का सफर भी कोई आसान नहीं रहा होगा। लेकिन उन्होंने यह सफर पूरा किया। इस दौरान वे आत्म विवेचन, परीक्षण और अनुसंधान के कई चरणों से गुजरे होंगे। कई बार वे विचारों, सिद्धांतों को लेकर गलत साबित हुए, उन्होंने उसमें सुधार किया। महात्मा बुद्ध जिस युग में पैदा हुए थे, उस युग में कर्मकांडों और यज्ञों का बोलबाला था। तत्कालीन समाज में पुरोहितों ने दीन हीन, निराश्रित और असहाय जनता को यज्ञ और कर्मकांड के नाम पर लूट मचा रखी थी। महात्मा बुद्ध आम जनता को इन कर्मकांडों और यज्ञों से मुक्ति दिलाने के लिए आगे आए।
उन्होंने उद्घोष किया, अप्प दीपो भव। अपना प्रकाश खुद बनो।



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आज बस
सादर वंदन

7 टिप्‍पणियां:

  1. अप्प दीपो भव।
    अपना प्रकाश खुद बनो।
    सुंदर अंक

    जवाब देंहटाएं
  2. सम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद। स्नेह बना रहे 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. 'श्रद्धा सुमन' को इस अंक में स्थान देने हेतु आभार यशोदा जी, विविधरंगी रचनाओं से सजा अंक!

    जवाब देंहटाएं

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