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बुधवार, 16 जुलाई 2025

4451..सभी घरों की यही कहानी ..

 ।।प्रातःवंदन।।

वह बैठी भरी जवानी में वर्षा-श्री तरु की डाली में,

कैसी सुन्दर लगती लाली खपरैलों की, हरियाली में!

वह दूर दीखता खेत धान का, काँप रहे छवि के अंकुर,

बक शुक्लपंख ज्यों श्वेत शंख, शोभित मरकत की थाली में!

 पं. नरेंद्र शर्मा 

चलिए आज शुरुआत करते हैं ..

मधुमालती ...

 


पड़ोस में थोड़ी दूर पर एक छप्पर वाला घर था और सामने की तरफ़ मधुमालती की लतर फैली थी।शाम को उसकी भीनी खुशबू फैलती तो बड़ा ख़ुशनुमा एहसास होता। 

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मगह (मगध) में हमलोग नागपंचमी को नगपांचे बुलाते है

मगह (मगध) में हमलोग नागपंचमी को नगपांचे बुलाते है। पूरे देश में सावन में पिछला पक्ष में नाग पंचमी होता है। हमारे यहां पहला पक्ष में। जो आज है। इस दिन आम..

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किसलिए

 हो आधा-आधा किसलिए

जरूरत से ज्यादा किसलिए

आपकी जागीर कब तलक

यह शान लबादा किसलिए

✨️

खुशी या गम के मिलेंगे आँसू

नजर झुकाना या फिर उठाना, नजर मिलाना लगा हुआ है

मिली मुहब्बत में जो निशानी, वहीं निशाना लगा हुआ है

भले हो मेरा या घर तुम्हारा, सभी घरों की यही कहानी 

कसक मुहब्बत की जो है बाकी, उसे सुनाना लगा हुआ है 

✨️

।।इति शम।।

धन्यवाद 

पम्मी सिंह ' तृप्ति '..✍️




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