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मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

4473 ..लोटे के जल में फूल रखते हैं

 सादर अभिवादन



कुछ सोच .....
जिसके अभिमान की गति जितनी तेज होती है, 
उस मनुष्य का पतन उतनी ही जल्दी होता है। 
यह तब होता है जब मनुष्य को लगता है कि इस संसार में उससे ज्यादा श्रेष्ठ कोई नहीं
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आज का अंक आवश्यकता से अधिक विलम्बित हो गया
खेद है

होते हैं रचनाओं से रूबरू




आतंकी हमलों ने
पावन धरती को बदनाम किया
हुई मनुजता जग में लज्जित
नीच अमानुष काम किया
गंगा की लहरें हैं क्रोधित
दूषित सिंधु सहेली से






यह तुम हो-जब तुम स्वयं को छोड़ देती हो।
जब तुम 'शक्ति' नहीं, 'शून्य' बन जाती हो —
तब तुम शिव बन जाती हो।
पार्वती ने काँपती आवाज़ में कहा:
मैं शक्ति थी, माया बन गई…

और अब जान गई हूँ —
जो मिटता है, वह मैं नहीं।
जो रोता है, वो माया है।
और जो मौन हो गया है — वही 'मैं' हूँ।
शिव ने उत्तर दिया:
जब तुमने प्रश्न किया —
तभी तुम माया बनी।
और जब तुम मौन हो गई —
तभी तुम ब्रह्म हो गईं।






अकबर का सामना महाराणा प्रताप से हुआ था ! उस समय अकबर की सेना के सेनापति मानसिह प्रथम थे ! दोनों ओर की सेनाओं में प्रचुर संख्या में राजपूत सैनिक थे जो अपने-अपने आकाओं की वजह से अपने भाई बंधुओं को मारने के लिए विवश थे ! अकबर की फ़ौज के एक मुस्लिम फौजदार ने अपने साथी से पूछा, “सारे राजपूत सैनिक एक तरह की पगड़ी पहने हैं कैसे जानें कि हमारी फ़ौज का सैनिक कौन है और दुश्मन की फ़ौज का कौन ?”
जानते हैं उसे क्या जवाब मिला ! उसके मुस्लिम साथी ने यही कहा, “तुम तो हर पगड़ी वाले को मारो ! चाहे हमारी सेना को हो या राणा की सेना का ! मरेगा तो काफिर ही ! जन्नत में बहुत सवाब मिलेगा हमें !” अब बताइये आतंक का धर्म होता है या नहीं ?

 





हमारी झील में शतदल के सारे रंग मिलते हैं
काँटीली झाड़ियों के पेड़ हम निर्मूल रखते हैं

हम तीरथ पर निकलने वालों को पानी पिलाते हैं
न हम जजिया लगाते हैं नहीं महसूल रखते हैं

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आज बस
सादर वंदन

4 टिप्‍पणियां:

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