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शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2025

4392....मन की आचमनी से

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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जब भोर की अलसाई हवाएँ सर्दी का लिहाफ़ हौले से सरकाने लगे,
जब फागुन की पहली लहर गाँव के खेतों को पियरी पहनाने लगे,
जब शीतल हवाओं से लदी माघ की मदमस्त रात चाँदनी में नहाने लगे,
 जब कोयलिया पीपल की फुनगी में झूलकर स्वागत गीत गाने लगे,
 जब भँवरे तितलियों संग छुआ-छाई खेल-खेल कर फूलों को लुभाने लगे,
तब समझो...
 बसंत अंजुरियों में भरकर रंग, बर्फीली ऋतु को पिघलाने लगा है...।-श्वेता
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आज की रचनाएँ-
शिथिल पड़े 
जब-जब कभी
बचपना, 
भावना, 
संवेदना हमारी,
संग शिथिल पड़े 
मन को भी,
यूँ कर-कर के 
गुदगुदी ..
हलचल करने 
तुम आ जाना .. बस यूँ ही ...






मायके लौटी स्त्री
दरअसल मायके नहीं आती
बल्कि समय का पहिए को रोककर वह
अपने अतीत को जी लेती है
फिर से एक बार। 



तुम खुद को संभालो हम तो संभल ही जाएंगे।
ज़ख्म जितने भी हों गहरे वक्त के साथ भर ही जाएंगे।।

मजबूरियाँ थीं जमाने की परेशानियां भी थीं
जो चुप तुम लगा गए और हम भी वहीं मुरझा गए।।

तुम खुद को संभालो हम तो संभल ही जाएंगे।
ज़ख्म जितने भी हों गहरे वक्त के साथ भर ही जाएंगे।।




ये सारी है दुनिया 
क्या तुम जीत लोगे
जितना भी दम होगा 
तुम उतने चलोगे
यदि है इरादे 
बड़े रहे मकसद
तो स्वर्णिम शिखर को
 तुम चूम लोगे





सुबह वैसी ही थी जैसी उसे होना था. महकती हुई, खुशगवार. सुबह की हथेलियों पर रात की बारिशों के बोसे रखे हुए थे. भीगी हुई सुबह ने जब गाल छुए तो लगा शहर ने लाड़ किया हो जैसे. पैर जैसे थिरक रहे थे और मन उससे भी ज्यादा. मैं और माया आंटी देर रात जागते रहे, गप्प लगाते रहे, हंसी ठिठोली करते रहे. इसमें श्रुति ने भी इंट्री ली बीच में. माया आंटी के भीतर की ऊर्जा चौंकाती है बहुत. तो उस हंसी ठिठोली के बीच मैं ही पहले सो गयी. सुबह आँख खुली तो माया आंटी नहा धोकर वॉक करके आ चुकी थीं. अब बारी मेरी थी समय पर तैयार होने की
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आप सभी का आभार
आज के लिए इतना ही
मिलते हैं अगले अंक में ।
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5 टिप्‍पणियां:

  1. ये सारी है दुनिया
    क्या तुम जीत लोगे
    जितना भी दम होगा
    तुम उतने चलोगे
    सुंदर अंक
    आभार
    वंदन

    जवाब देंहटाएं
  2. जी ! .. आज की आपकी प्रस्तुति की भूमिका में अतुल्य बिम्बों से सजे बसंत के मनमोहक शब्दचित्रों वाली इंद्रधनुषी रचना .. बसंत को जीवंत करती प्रतीत हो रही है ...
    अभी पहाड़ी 9° तापमान वाली अँधियारी व अलसायी सुबह के साथ .. सुप्रभातम् सह मन से नमन संग आभार आपका .. इस मंच पर अपनी बहुरंगी संकलन वाली प्रस्तुति में हमारी बतकही को स्थान प्रदान करने हेतु ...

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! श्वेता सुंदर बसंती रंगों से रंगीन भूमिका के साथ ,शानदार प्रस्तुतीकरण!

    जवाब देंहटाएं

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