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सोमवार, 6 जनवरी 2025

4360 ...चलो हँसने की हम वजह ढूंढते है

दिग्विजय का वंदन



आज मनाया जाएगा गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व साल 2025 में पौष महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 5 जनवरी रात 8 बजकर 15 मिनट से शुरू हो रही है और 6 जनवरी शाम 6 बजकर 23 मिनट पर तिथि की समाप्ति हो रही है. इस साल गुरु गोबिंद जी का प्रकाश पर्व 6 जनवरी को मनाया जाएगा
श्री गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान के उपरान्त 11 नवम्बर सन् 1675 को 10 वें गुरू बने। आप एक महान योद्धा, चिन्तक, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। सन् 1699 में बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ (पन्थ) की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है
शत शत नमन

अब देखिए रचनाएँ



मैं एक कण , मैं ब्रह्माण्ड,
इस सृष्टि में, सृष्टा का मान |
सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म मैं,
और व्यापक से व्यापक परिमाण |
यत्र-तत्र-सर्वत्र मैं ही
और मैं ही अकिंचनता का भान |






सौंदर्य विमल,
थोड़ा चंचल,
पायल सा थोड़ा सा छम-छम,
प्यार के आराधन में लय,




बड़े जलते हुए अंगारे थे हम जवानी में
लगा हम आग दिया करते ठंडे पानी में
नहीं कुछ रखा है अब बातें इन पुरानी में

ऐसी जीवन में बुढ़ापे में अड़ा दी है टांग
मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब ना मांग




है जाती
जहाँ तक नजर
लगे मनोहारी
सृष्टि सकल
छा गया
उल्लास....चारों
दिशाओं में
री सखि देखो
बसन्त आ गया





मिलकर हम सब
चलो हँसने की
हम वजह ढूंढते है
अपनी - अपनी सी लगे
वो जगह ढूंढते है
जहाँ सबकुछ हो हमारा
वो सतह ढूंढते है




तुम शाम के ही वक़्त जो आती हो इसलिए,
आए कभी न रात तो ये शाम ना चले.

बारिश के मौसमों से कभी खेलते नहीं,
टूटी हो छत जो घर की तो आराम ना चले.
****
आभार
आज बस
कल मिलिएगा श्वेता जी से

2 टिप्‍पणियां:

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