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रविवार, 13 अक्टूबर 2024

4275 ..फिल्मी गाने पर 'गरबा' करते देखना आहत कर गया

सादर नमस्कार
मिला जुला
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भारत को कमजोर करने और यहाँ की सत्ता में हस्तक्षेप करने के लिए आज भी विदेशी ताकतें हिन्दू समाज को बाँटने के प्रयासों में लगी रहती हैं। यद्यपि संघ ने अपनी 99 वर्ष की यात्रा में परिस्थितियों को बदल दिया है। आज भारत का मूल समाज जागृत और एकजुट है। इसलिए भारत विरोधी ताकतें अपने मंसूबों में सफल नहीं हो पाती हैं। आज हिन्दू पहले की तरह अपनी संस्कृति, स्वाभिमान और पहचान पर संकोच नहीं करता है अपितु गर्व के साथ कहता है कि “हाँ, मैं हिन्दू हूँ”। हालांकि, अभी भी कई बार हिन्दू समाज को चेताना पड़ता है। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इसी संदर्भ में कहना पड़ा- “बंटेंगे तो कटेंगे”। भारत के इतिहास का सिंहावलोकन करते हैं तब योगी आदित्यनाथ की यह बात सत्य साबित होती दिखायी पड़ती है।




कुछ भी स्थायी नहीं है
कुछ दो साल
कुछ दस साल
कुछ बीस, कुछ पचास
कुछ सौ साल चलते हैं
धराशायी सब होते हैं
फेंक सब दिए जाते हैं

ज़मीं जैसी है वैसी रहती है
आत्मा जैसी है वैसी रहती है




सर पर गरबा रख कर गीत गाते-गाते घूमते हुए हाथ, पैर, नेत्र, वाणी सभी को एक दिशा मिली। सब अंग नृत्य करने लगे।

गीत, संगीत और नृत्य में एक सामंजस्य स्थापित हुआ और इस प्रकार एक नयी विधा का जन्म हुआ, जो गुजरात का प्रतिनिधि लोकनृत्य बन गया।

और अब तो देश में सब नाच रहे हैं। सिर्फ नाच रहे हैं!





नाभि पे अपनी, कवच चढ़ा कर,
उतरा रावण, आज समर में,
लंकापति बनने का सपना,
भाई का अब, हुआ अधर में.

छुप कर बाली, भले मार लो,
किन्तु दशानन, बड़ा सजग है,
साम-दाम औ दंड-भेद से,  
जीता उसने, सारा जग है.


बस

1 टिप्पणी:

  1. आखिरकार रावण वध हो ही गया
    एक और वर्ष बीता जा रहा है
    अप्रतिम अंक
    वंदन

    जवाब देंहटाएं

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