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रविवार, 15 सितंबर 2024

4247..शिरोरेखा सिसक पड़ी,"हाँ ! बच्चों भाषा का अनुशासन सब भूल चले हैं।"

 नमस्कार


देखिए कुछ रचनाएं



यहाँ महाभारत के पांच लाख श्लोकों को किसी ने बाखूबी 9 लाइनों में व्यक्त किया है 
और अनमोल "9 मोती" नाम दिया है। वाकई में ये नौ वाक्य महाभारत का सार व्यक्त कर रहें हैं, 
एक बार अवश्य पढ़ें।  




चाहता हूँ
कुछ अच्छे काम करना
की जब हो रहा हो हिसाब
खातों का मेरे





हलाल कर मुझे अपने हसीन हाथों से।
मैं ज़िन्दा हूं तू मुझे ज़िन्दा छोड़ता क्यों है।।

दिखा के पीठ यूं मैदां से हो रहा रख़सत।
उसूल जंग के इस तरह तोड़ता क्यों है।।




तभी 'म' अक्षर बोल पड़ा," देखों न माँ ! मुझसे ही तो कई शब्द बनते हैं, अब जैसे आप को ही पुकारते हैं, 
परन्तु हम जहाँ हैं वो इसके आगे के शब्दों को विकृत कर माँ के प्रति गाली बोलते हैं। 
हमारा मन चीत्कार कर उठता है, परन्तु कर कुछ नहीं पाते।"

'भ' भी बोल पड़ा ,"हाँ माँ ! देखो न मुझसे ही  भगवान, भगवती, भार्या, भगिनी जैसे विश्वास 
बाँधते शब्द बनते हैं, परन्तु जहाँ मैं हुँ उसने मुझे सिर्फ गाली बना रखा है।"

शिरोरेखा सिसक पड़ी,"हाँ ! बच्चों भाषा का अनुशासन सब भूल चले हैं।"





हिन्दी संस्कार की भाषा है
अति सरल, मधुर, प्यार की भाषा है
हाँ, नहीं बन सकी यह
विज्ञान और व्यापार की भाषा
या शायद रोज़गार की भाषा
इसलिए आज अपने ही घर में बेगानी है




आर्य द्रविड़ के आँगन खेली
तत्सम तद्भव करें दुलार।

सदियों से वटवृक्ष सरिस जो
छंदों का लेकर अवलंब!
शिल्प विधा की पकड़े उँगली
कूक रही थी डाल कदंब
सौत विदेशी का अब डेरा
हिंदी संस्कृत पर अधिकार।।

आज बस
सादर वंदन

4 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग के सभी सदस्यों को अभियंता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

    रचनाओं का सुंदर संकलन।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार।


    जवाब देंहटाएं
  2. देर से आने के लिए खेद है, सराहनीय रचनाओं से सजा सुंदर अंक, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर संकलन ... आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं

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