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सोमवार, 8 जुलाई 2024

4180 होता ही नहीं है, पर हुए जैसे दिखता है

 सादर अभिवादन

कल वर्षगांठ सम्पन्न हुआ
चलिए कुछ तो हुआ
कभी-कभी तो कुछ
होता ही नहीं है पर
पर हुए जैसे दिखने
लगता है....
चलें रचनाओं की ओर




दुखी होता है जब जंगल निकल जाता है
डाल पर उल्लुओं को देख कर मुस्कुराता है ।

रोज का रोज मान लिया जलेबी बनाता है
पकौड़ी बन गई कभी किसी का क्या जाता है






कविता पढ़ने लग गए , भाग गए यमदूत ।
सुबह पाँच की ट्रेन से , आये कवि के पूत ।।
आये कवि के पूत , न थी जीवन की आशा ।
पहुँचे कमरे में तो देखा अजब तमाशा ।।
कविता पाठ कर रहे थे ,कविवर लक्कड़ जी ।
होकर बोर, मर गये थे बाबा फक्कड़ जी ।।




एक गुलाबी कमरा,
प्रतीक्षा के अंतिम छोर पर टिका,
लाल पर्दे के पीछे अपनी सिसक छुपाकर,
करता है स्वागत चमकीली धूप का,
खोलता है खिड़की के पल्ले,
ताज़ा हवा के झोंके से
करता है गुदगुदी अठखेलियाँ,




तुम्हें क्या समझाऊं?
एक उम्मीद थी... प्रेम,

एक मुलाकात की जरूरत थी,
आंखों में तुम्हारे एक समंदर था,
जो उम्र भर मेरा पीछा करती रही..
आज समझ में आया,
सब कुछ होते हुए भी क्या बेचैनी थी?





मोह के दल-दल में धँसते  
मेरे चोटिल भाव
कंठ ने सिसकियाँ सोखी
उनकी बोलती आँखें  
वे ब्रिज से सटे
जंगल की ओर संकेत करतीं
कैसे कहती उन्हें?
मेरे पाँव ने
स्वार्थ की चप्पल पहनी हैं
जिससे तुम अनभिज्ञ हो।






साँझी लेखनी साँसे कोई प्रत्युत्तर
अंकित इस राज की   l
बहक उलझ गयी थी केशें
उस हसीं चित्रण ख्वाब की ll

अंतरंगी डोर वैतरणी रूपरेखा
उस खोई पहेली शाम की l
सतरंगी साजों धुन पिरो रही
छलकती ओस बूँदों ख़ास की ll





अरे भाई सुनो !
होश में तो हो !
तुम बस में
धक्का-मुक्की
कर के चढ़े
मवाली नहीं हो !
जो औरतों पर
अपना वज़न
डालते हुए,
टटोलते हुए,
आगे बढ़ते हैं ।

बस
कल सखी मिलेगी
सादर वंदन

5 टिप्‍पणियां:

  1. जी ! .. सुप्रभातम् सह नमन संग आभार आपका .. अपनी प्रस्तुति में मेरी बतकही को स्थान प्रदान करने हेतु ...
    पुनः आज भी मंच के अवतरण दिवस के लिए आपको पुनः नमन भी .. बधाई भी ...
    प्रकृति की असीम आलोक-अवलोक में रथ यात्रा की तरह इसकी यात्रा भी अबाधित गतिमान रहे, इस शुभकामनाओं सहित बारम्बार नमन .. बस यूँ ही ...

    जवाब देंहटाएं
  2. आभार यशोदा जी बासी पकौड़ी दिखाने के लिए | पुन: बधाई जन्मदिन महीने की पांच लिंकों के |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर रचनाओं का संकलन। मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहे दिल से आभार।

    पांचवें वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएं। ये सिलसिला यूं ही अनवरत चलता रहे और परिवार के सदस्यों की भांति आप यूं ही ब्लॉग परिवार के सदस्यों को जोड़ती रहें। अनंत शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर संकलन।
    हार्दिक आभार स्थान देने हेतु।
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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