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बुधवार, 26 जून 2024

4168..न तुम जीते,न हम हारे

 ।।प्रातःवंदन।।


''विपदा से मेरी रक्षा करना
मेरी यह प्रार्थना नहीं,
विपदा से मैं डरूँ नहीं, इतना ही करना।

दुख-ताप से व्यथित चित्त को
भले न दे सको सान्त्वना
मैं दुख पर पा सकूँ जय.."
रवीन्द्रनाथ टैगोर
भावनाओ को समझने के लिए  शब्दों का भी साथ लिजिए...कि..✍️


चुनाव परिणाम आने के बाद से कइयों की गर्मी निकल चुकी है ,पर देश के कई हिस्से अभी भी उबल रहे हैं।इस गर्मी के चलते दूध और दाल के दामों में भी उबाल आया है।विशेषज्ञों ने इसका कारण उत्तर दिशा से..

✨️

सुरमई

अल्फाजों के मेरे छुआ लबों ने जब तेरे मिल गये सब धाम l

अंतस फासले सिरहाने पाकीजा अंकुश सिमट गये सब ध्यान l

युग युगांतर साधना महकी जिस सुन्दर क्षितिज सागर समर समाय l

नव यौवन लावण्य अंकुरन उदय जैसे इनके रूहों बीच समाय l

✨️

मन रे कुहूक

 अच्छा, कहिए बात कहीं से

सच्चा करिए साथ यहीं से

व्योम भ्रमण नहीं भाता है

नात गाछ हरबात जमीं से..
✨️


एक दिन हम गुम हो जायेंगे धरा से
आप के कॉन्टैक्ट लिस्ट 
में पडा़ नबर हमारा
बिना मोल के सिक्के जैसा
पडा़ रहेगा..
✨️



प्रकृति पर मलकियत जताने 

वाले वे सभी उसके मोहताज थे 

यह उन्हें नहीं पता था 

क्योंकि उन दिनों..
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह ' तृप्ति '...✍️

2 टिप्‍पणियां:

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