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शनिवार, 22 जून 2024

4164 ...महा कवि कालिदास का पसंदीदा माह

 सादर अभिवादन

महा कवि कालिदास
का पसंदीदा माह
अषाढ़स्य प्रथम दिवसे...
मेघदूत
अभिज्ञानशाकुन्तलम्

 रचनाएँ कुछ मिली जुली ....



उस चेतन का ध्यान धरें हम
उसके हित ही उसे भजें हम,
जग ही माँगा यदि उससे भी
व्यर्थ रहेगा यह सारा श्रम !

उसके सिवा न कोई दूजा
इन श्वासों का वही प्रदाता,
प्रज्ञा, मेधा, धी उससे है
ज्ञान स्वरूप वही है ज्ञाता !




बहुत दिन हुए
किसी सूखी नदी से नहीं सुना
पानी की स्मृति का गीत

बहुत दिन हुए
किसी सपने से टकराकर
चोट नहीं खाई




ये ग़म क्या दिल की आदत है? नहीं तो
किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो

है वो इक ख़्वाब-ए-बे ताबीर इसको
भुला देने की नीयत है? नहीं तो





भोर खड़ी है अलसायी सी
धीरे धीरे सड़कें चलती
पूरब लेता फिर अँगड़ाई
सकल जगत की आशा पलती
एक सबेरा मन में उतरा
अब बीतेंगे दिन ये काले।।

घूँघट पट खोले भोर चली
कुछ सकुचाती इठलाती सी





सुनिए
अषाढ़ष्य प्रथम दिवसे


स्वछंद माहौल गर हो
हवा  को मिलता है मौका
राहत देने  का हमें गर्मी में
बनकर   सुहावना    झोंका

आज बस
कल फिर मैं ही
सादर वंदन


3 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात ! कालिदास की कालजयी रचना का सुंदर चित्रांकन !! सराहनीय रचनाओं से सजा सुंदर अंक, आभार यशोदा जी !

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