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रविवार, 21 जनवरी 2024

4012 ..देश की गलियों के कुत्ते-बिल्लियों को भी पता थी कि ये लोग मंदिर नहीं जाएंगे !

सादर अभिवादन

आज से उत्सव प्रारंभ
कल विराजेंगे राम लला
पूरे दरबार के साथ
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छोटा सा किस्सा
यदि आप शराब पीकर
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या चर्च
नहीं जाते हो तो
घर कैसे जाते हैं
जहाँ आपको जन्म देने वाली
माँ रहती है,
प्यार करने वाली बहन रहती है,
सम्मान देने वाली पत्नी रहती है,
साथ निभाने वाला भाई रहता है
और सहारा देने वाला पिता रहता है
घर भी तो एक मंदिर है|

अब रचनाएं देखें...



आस का सूर्य जब निकला
मिटा है क्लेश भी गहरा....
सिया रघुवर भवन आये
परम पावन चरण लाये
गुणों के धाम राघव नाम
मनोरम मंत्र है प्यारा....





अयोध्या जाने से इंकार करने वालों की फोटो, उनके ब्यान मीडिया रोज ऐसे दिखा-बता रहा है जैसे कोई बहुत बड़ी घटना हो गई हो, यह बात तो देश की गलियों के कुत्ते-बिल्लियों को भी पता थी कि ये लोग मंदिर नहीं जाएंगे ! सारा देश जानता है कि ऐसे लोगों का ना कोई धर्म है, ना ईमान, ना नैतिकता है ना कोई विवेक ! इनका एक ही ध्येय है कुर्सी ! है तो बचाए रखो नहीं है तो उसको पाने के लिए देश तक की परवाह ना करो !

अविवेक, अहम्, घमंड, सत्तामद जब सर पर सवार होते हैं, तो मनुष्य अधमावस्था को प्राप्त हो जाता है ! मदांधता में  पतन अवश्यंभावी है चाहे वह कोई सम्राट हो, ऋषि हो, ज्ञानी हो, रावण हो या फिर शंकराचार्य ही क्यों ना हो ! आदि शंकराचार्य जी को यह कल्पना जरूर रही होगी कि भविष्य में मेरी धरोहर अयोग्य हाथों में भी जा सकती है पर उस वक्त पीठों का निर्माण भी अति आवश्यक था !




उमड़ते हर्ष के बादल
झड़ी आँसू की लगती है
पधारे राम फिर कोशल
दीवाली देख मनती है
सभी भूले हैं सुध-बुध आज
अवध को जो सजाना है।
स्वप्न जो था कभी मुश्किल
हुआ अब वो पुराना है




श्रीराम का त्रेतायुग में दिया गया भावी शासकों के प्रति सन्देश आज भी कितना सार्थक है-
"भूयो भूयो भाविनो भूमिपाला: नत्वान्नत्वा याच्तेरारामचंद्र
सामान्योग्य्म धर्म सेतुर्नराणा काले-काले पालनियों भवदभि:"





जिस दुनिया में औरतों को इंसान होने भर की इजाज़त नहीं मिलती। उसे उसी दुनिया में ईश्वर होना था। ऐसा ईश्वर जिसे पाप का भय नहीं था। कृष्ण की तरह। ‘तुम सब छोड़ कर मेरी शरण में आओ, मैं तुम्हारे सारे पाप क्षमा करता हूँ।’

सारे इकट्ठा हुए पाप जाते कहाँ थे? क्या उसकी दुनिया का चित्रगुप्त दारू पी कर हिसाब में गड़बड़ कर रहा था?


सदियों से दशकों का
दशकों से वर्षो का
वर्षों से महीनों का
महीनों से दिनों का 
इंतजारआखिरकार 
खत्म होने को है।
अब बस कुछ घंटे शेष,
भगवान राम आने को हैं।

आज बस
कल फिर
सादर

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